उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार काे बुद्धिजीवियाें की गुटबाजी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसी संस्था का कमजाेर हाेना राष्ट्रीय हित में नहीं है.धनखड़ ने कर्नाटक के बेंगलुरु में सभी राज्य लाेक सेवा आयाेगाें के अध्यक्षाें के 25 वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस समय देश की राजनीति बहुत विभाजनकारी है. राजनीतिक संगठनाें में उच्च स्तर पर बातचीत नहीं हाे रही है. राजनीतिक विभाजन, खराब राजनीतिक माहाैल जलवायु परिवर्तन के उन प्रभावाें से कहीं ज्यादा खतरनाक है जिनका हम सामना कर रहे हैं. उन्हाेंने कहा कि राजनीति में सामंजस्य केवल एक इच्छा नहीं है, बल्कि एक वांछनीय पहलू है. सामंजस्य अनिवार्य है. अगर राजनीति में सामंजस्यनहीं है, अगर राजनीति विभाजनकारी है, काेई संचार चैनल काम नहीं कर रहा है ताे यह राष्ट्र के लिए बहुत नुकसानदेह है.धनखड़ ने कहा कि काेई भी एक संस्था अगर कमजाेर हाेती है, ताे इसका नुकसान पूरे देश काे हाेता है. संस्थाओं काे मजबूत करना चाहिए. राज्याें और केंद्र काे मिलकर काम करना चाहिए.
उन्हें तालमेल के साथ काम करना चाहिए. जब राष्ट्रीय हित की बात आती है ताे उन्हें एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना चाहिए.
राष्ट्र के सामने आने वाले मुद्दाें काे नजरअंदाज करने के बजाय बातचीत और चर्चा के जरिए हल करने की जरूरत पर जाेर देते हुए धनखड़ ने कहा, हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां विभिन्न विचारधाराओं का शासन हाेना निश्चित है. यह समाज में समावेशिता की अभिव्यक्ति है.उन्हाेंने कहा कि सभी स्तराें पर बैठे सभी लाेगाें काे संवाद बढ़ाना चाहिए और आम सहमति पर विश्वास करना चाहिए. उन्हें हमेशा विचार-विमर्श के लिए तैयार रहना चाहिए. देश के सामने माैजूद समस्याओं काे पृष्ठभूमि में नहीं धकेला जाना चाहिए.
धनखड़ ने कहा, मैं सभी राजनीतिक दलाें के वरिष्ठ नेतृत्व से एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र और माहाैल बनाने का आग्रह करता हूं जाे औपचारिक, अनाैपचारिक संवाद, चर्चा उत्पन्न कर सके. आम सहमति वाला दृष्टिकाेण, चर्चा हमारे सभ्यतागत लाेकाचार में गहराई से निहित है.