रविवार पेठ, 11 जनवरी (आ. प्र.)
‘धनुर्मास' का शाब्दिक अर्थ है वह महीना जो सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से शुरू होता है. इसे धुंधुर मास, कोदंड मास, कर्म का मास और शून्य मास जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. धनुर्मास के अवसर पर शनिवार (11 जनवरी) रविवार पेठ स्थित माहेेशरी समुदाय के श्री लक्ष्मीनारायण एवं श्री राम मंदिर में ‘गोदाम्बा रंगनाथ विवाह उत्सव' धूमधाम से मनाया गया. धनुर्मास के दौरान, हर सुबह देवी के लिए काकड़ आरती और श्रृंगार आरती की जाती है. इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए सत्येंद्र राठी ने बताया कि, दक्षिण भारत में स्वीकृत बारह आलवारों में से एक ‘गोदाम्बा' हैं. उनका जन्म विष्णुचित्त स्वामी के परिवार में हुआ था, जो तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में रहते थे. उनका पारिवारिक नाम ‘अंडालदेवी' है. इस दौरान उन्होंने लगातार भगवान विष्णु की स्तुति की और उपवास किया. उपवास के सत्ताइसवें दिन भगवान विष्णु ने उन्हें ‘रंगनाथ भगवान' के रूप में दर्शन दिए और गोदाम्बा से विवाह किया. चूंकि वे धनुर्मास के दौरान अल्प जीवनशैली जी रहे हैं और नाममात्र मात्रा में दूध और चावल का सेवन कर रहे हैं, इसलिए पूरे महीने मंदिर में उपस्थित भक्तों को प्रसाद के रूप में दूध और चावल वितरित किया जाता है. दक्षिणायन के छः महीने भगवान की रात्रि हैं, जबकि उत्तरायण के छः महीने भगवान का दिन हैं. इसलिए इन दोनों के बीच पड़ने वाले धनुर्मास को देवताओं का ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है. इसलिए इस महीने के दौरान, राम प्रहरी जागते हैं और माहेेशरी समुदाय की ओर से क्षेत्र में भजन गाते हुए प्रभातफेरी निकालते हैं. मार्गशीर्ष मास के मध्य से प्रारंभ होकर पौष मास के मध्य तक चलने वाला यह माह व्रत, अनुष्ठान आदि के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. सूर्य मकर संक्रांति में प्रवेश करता है और धनुर्मास में समाप्त होता है.