मां आशापुरा माता मंदिर में श्री गोदम्बाजी विवाह समारोह संपन्न

हल्दी, मेहंदी और संगीत समेत कई कार्यक्रम हुए ः पूजा-पाठ और शोभायात्रा भी निकली

    15-Jan-2025
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बिबवेवाड़ी, 14 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
धनुर्मास के अवसर पर मां आशापुरा माता मंदिर में श्री गोदम्बाजी-रंगनाथ जी का विवाह समारोह बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया. शनिवार (11 जनवरी) को हल्दी, मेहंदी और संगीत का कार्यक्रम रखा गया तथा विवाह समारोह रविवार (12 जनवरी) को हुआ. मां आशापुरा माता मंदिर में आयोजित विवाह समारोह में वर पक्ष की ओर से गोपालकृष्ण अग्रवाल और संगीता अग्रवाल तथा दुल्हन पक्ष से राजेश मेहता, मीना मेहता और विशाल मेहता ने भाग लिया. इस अवसर पर राजेश सोनी एवं जागृति सोनी मामा-मामी के रूप में उपस्थित थे तथा ट्रस्ट की ओर से चेतन भंडारी, भारती भंडारी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे. एक पौराणिक कथा के अनुसार, गोदा देवी ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लगभग 30 दिनों तक प्रतिदिन भजन-कीर्तन करके उनकी भक्ति की और धनुर्मास के अवसर पर विवाह किया.
 
इस धनुर्मास में गोदा रंगनाथ कल्याण महोत्सव का अत्यधिक महत्व है. विवाह समारोह दो दिन 11 और 12 जनवरी को हुआ. यहां मेहंदी और हल्दी की रस्म बहुत ही पारंपरिक तरीके से आयोजित की गई. साथ ही संगीत का कार्यक्रम भी रहा. शादी के अवसर पर शहनाई चौघड़े, रंगोली और ढोल ताशा के साथ शोभा-यात्रा निकाली गयी. साथ ही अनेक धार्मिक कार्यक्रम एवं औपचारिक पूजा-अर्चना आयोजित की गई. धनुर्मास के अवसर पर पिछले 30 दिनों से प्रतिदिन सुबह भजन-कीर्तन भी किए जा रहे हैं. इस त्यौहार के लिए मंदिर को सुंदर फूलों से सजाया गया था.
 
कार्यक्रम के संयोजन में दिलीप मुनोत, श्याम खंडेलवाल, राजेंद्र गोयल, मंगेश कटारिया एवं अन्य साथियों ने अथक परिश्रम किया. धनुर्मास भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए एक बहुत ही शुभ माह के रूप में जाना जाता है. इस अवधि के दौरान माता गोदादेवी भगवान विष्णु को पति रूप में प्राप्त करने के लिए उपवास रखती हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा को देखकर भगवान विष्णु धनुर्मास के 27वें दिन उनसे विवाह करते हैं.
 
श्री गोदम्बाजी विवाह समारोह भारत के विभिन्न राज्यों में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दौरान भक्तगण सुबह जल्दी उठते हैं और पूरे मन से प्रार्थना करते हैं. विष्णु सहस्त्रनाम और अन्य धार्मिक मंत्रों का भी पाठ किया जाता है. यह पूजा भगवान विष्णु के साथ देवी गोदा की भी की जाती है.