अग्रवाल समाज का देश की आजादी और विकास में महत्वपूर्ण योगदान !

अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपालशरण गर्ग ने दै. ‌‘आज का आनंद‌’ से की खास बातचीत

    15-Jan-2025
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गोपालशरण गर्ग

राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय अग्रवाल समाज नई दिल्ली 
 
 
अग्रवाल समाज जो देश में लगभग दस करोड़ की संख्या में फैला हुआ है, न केवल धार्मिक और सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है, बल्कि उसने देश की आजादी में भी अहम योगदान दिया है. समाज की कई संस्थाएं समाजसेवा, शिक्षा, चिकित्सा और गौसेवा में सक्रिय हैं. कलियुग में गीता का प्रचार अग्रसेन महाराज ने ही किया है एवं उन्होंने ही अग्रोहा में सर्वप्रथम सनातन धर्म की नींव रखी. अग्रोहा की पावन भूमि पर 1100 दिनों तक एक पैर पर खड़े होकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया. महाराजा अग्रसेन ने 9 साल की उम्र में ‌‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‌’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो आज भी अत्यंत प्रासंगिक है, यह जानकारी अखिल भारतीय अग्रवाल समाज नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपालशरण गर्ग ने दै. ‌‘आज का आनंद‌’ से विशेष मुलाकात में साझा की. वे लोनावला के कार्ला स्थित महाराजा अग्रसेन पैलेस में मुंबई अग्रवाल सामूहिक विवाह सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए थे, इस दौरान उन्होंने आज का आनंद की संवाददाता रिद्धि शाह से बातचीत की. पेश हैं पाठकों के लिए उनसे बातचीत के कुछ विशेष अंश :
    
सवाल : इस देश में अग्रवाल समुदाय की कितनी जनसंख्या है?
 
 
जवाब : इस देश में अग्रवाल समाज की संख्या लगभग दस करोड़ से ज्यादा है. समाज की 22 हजार से ज्यादा संस्थाएं हैं, जो स्थानीय स्तर पर समाज सेवा का कार्य करती हैं. इसके अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में अग्रसेन भवन, अग्रसेन पंचायतें, स्कूल और अस्पताल स्थापित हैं. अग्रवाल समाज द्वारा 14,000 से अधिक गौशालाओं की स्थापना की गई है. यह समाज धर्मपरायण और राष्ट्रप्रेमी है.
 
सवाल : अग्रवाल समाज का देश की आजादी में क्या योगदान रहा है?
 
 
जवाब : अग्रवाल समाज ने देश की आजादी और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दो प्रमुख दल थे : नरम दल, जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया और गरम दल, जिसका नेतृत्व लाला लाजपत राय ने किया. नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज का गठन भी अग्रवाल समाज के वरिष्ठ नेता लाला शंकरलाल संघी ने किया था, जो सुभाषचंद्र बोस के परम भक्त और मित्र थे. देश की आजादी में सभी समाजों का योगदान था, लेकिन अग्रवाल समाज ने 29 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानी दिए. आज भी यह समाज देश के 70 प्रतिशत रेवेन्यू का योगदान करता है और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है. समाज सेवा और धर्म के कार्यों में अग्रवाल समाज सबसे आगे है. हालांकि समाज के पास 10 करोड़ की जनसंख्या और 3000 से ज्यादा आईएएस, आईपीएस तथा अन्य उच्च पदों पर लोग होने के बावजूद समाज संगठित नहीं है. इसका कारण यह है कि अंग्रेजों और मुगलों ने अग्रवाल समाज का गौरवशाली इतिहास नष्ट कर दिया था. एक अग्रवाल समाज ही ऐसा समाज है, जिसने धर्म परिवर्तन कभी नहीं किया, हमने राष्ट्र के लिए सेवा के लिए अनेकों कुर्बानियां दी हैं.
 
 
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सवाल : महाराजा अग्रसेन को महाभारत से कैसे जोड़ा गया है?
 
जवाब : गीता का संदेश भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध के समय सुनाया था. 15 साल की उम्र में महाभारत देखी, पांडवों की तरफ शामिल रहे. युद्ध के बाद अर्जुन हिमालय चले गए और तब यह सवाल उठता है कि गीता कलियुग में कैसे आई? इसका उत्तर अग्रभागवत पुराण में दिया गया है. अग्रसेन महाराज, जो विष्णु के अवतारी और प्रभु राम के वंशज हैं, महाभारत काल में मौजूद थे. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सुनाए गए गीता के 18 अध्याय सुने थे. युद्ध की समाप्ति के बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक (खाटू श्याम जी) को आशीर्वाद दिया कि वे कलियुग में श्याम के नाम से जाने जाएंगे और अग्रसेन महाराज को यह आशीर्वाद दिया कि वे कलियुग में धर्म की स्थापना करें. अग्रसेन महाराज ने भगवान के आशीर्वाद से अग्रोहा की पावन भूमि पर 1100 दिन तक एक पैर पर खड़े होकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया. इसके बाद उन्होंने सनातन धर्म की नींव रखी और गीता का प्रचार शुरू किया. आज अग्रबंधुओं ने देश में सबसे ज्यादा मंदिरों का निर्माण किया है और हमारे समाज की युवा पीढ़ी को हमारे ऐतिहासिक योगदान को जानने की सख्त आवश्यकता है
   
सवाल : महाराजा अग्रसेन के सिद्धांतों के बारे में कुछ बताएं?
 
जवाब : महाराजा अग्रसेन ने 9 साल की उम्र में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जो आज भी अत्यंत प्रासंगिक है. उनके एक ईंट, एक रूपया अभियान के माध्यम से उन्होंने हर गरीब को सम्मान और सहारा दिया. नारी सशक्तिकरण की बात अग्रसेन जी ने रखी, जानवरों की रक्षा के लिए उन्होंने बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगाया और नारियल की आहुति का मार्ग प्रशस्त किया. शादी में दिन के फेरे अग्रसेन जी ने शुरू करवाए. आज के समय में महाराजा अग्रसेन के सिद्धांतों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि समाज में समानता, शिक्षा और दया का संदेश फैल सके. हमें उनके सिद्धांतों को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए. हर घर में भागवत के साथ-साथ अग्रभागवत का उच्चारण, महाराजा अग्रसेन का मंगलपाठ और उनकी उपासना होनी चाहिए, ताकि उनके विचारों का प्रचारप्रसार हो सके और हम सभी एक बेहतर समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें.
 
सवाल : क्या भविष्य में महाराजा अग्रसेन जी का पाठ शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाएगा?
 
जवाब : हां, हमने हाल ही में हरियाणा सरकार से आवेदन कर सरकारी स्कूलों में महाराजा अग्रसेन का पाठ शुरू करवाने की कोशिश की है. इसके अलावा, पंजाब सरकार से भी इस पाठ को लागू करवाया गया और उत्तरप्रदेश की सरकार से निवेदन कर 7वीं कक्षा में अग्रसेन का पाठ शामिल किया गया. हमारा अगला प्रयास महाराष्ट्र में भी महाराजा अग्रसेन का पाठ लागू करने का है. महाराजा अग्रसेन केवल अग्रवालों के नहीं, बल्कि सभी मानवता के प्रवक्ता थे. उन्होंने पूरी दुनिया को एक साथ चलने का संदेश दिया और गरीबों, किसानों के बड़े शुभचिंतक थे. हम यह भी चाहते हैं कि सीबीएससी की किताबों में महाराजा अग्रसेन का पाठ शामिल किया जाए. इस अवसर पर, मैं केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करता हूं, क्योंकि हरियाणा के हिसार में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नामकरण भगवान अग्रसेन के नाम पर किया गया है.  इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग और 400 करोड़ रुपये के जलपोत का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है. इससे देश को और राष्ट्र को बड़ा लाभ होगा. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि भगवान अग्रसेन का एक स्टेच्यू लोकसभा में भी लगाया जाए, क्योंकि वे गणतंत्र के सबसे बड़े रक्षक थे. अगर सरकार अपनी नीतियों में भगवान अग्रसेन के सिद्धांतों को लागू करती है, तो देश में कभी भी अशांति नहीं होगी.
 
सवाल : महाराजा अग्रसेन ने धर्म की रक्षा के लिए क्षत्रिय वर्ण छोड़कर वैश्यवर्ण क्यों धारण किया?
 
जवाब : महाराजा अग्रसेन ने धर्म की रक्षा के लिए क्षत्रिय वर्ण छोड़कर वैश्य वर्ण धारण किया. यद्यपि अग्रवाल समाज सूर्यवंशी और क्षत्रिय हैं और भगवान राम के वंशज हैं, लेकिन धर्म की रक्षा और समाज के भले के लिए महाराजा अग्रसेन ने वैश्य वर्ण अपनाया. इसी कारण से हम व्यापार और वाणिज्य के कार्यों में संलग्न हैं. व्यापार का एक प्रमुख केंद्र अग्रोहा था, जो मथुरा से तक्षशिला तक जाने वाले सिल्क रूट का अहम हिस्सा था. अग्रसेन ने धर्म और सत्य का पालन करते हुए व्यापार करने की कला सिखाई, जिससे समाज को न केवल आर्थिक समृद्धि मिली, बल्कि एक उच्च नैतिक आधार भी स्थापित हुआ.
 
 
सवाल : समाज में शादी-ब्याह को लेकर दिखावे की होड़ और अन्य समस्याओं पर आपकी क्या सलाह है ?
 
 
जवाब : मेरा सभी सनातनियों से निवेदन है कि शादी में रात्रि फेरे की परंपरा को अब समाप्त किया जाए. इसका एक लॉजिक भी हैं, जैसे कोर्ट में विवाह के लिए दो गवाहों की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारे धर्म में अग्नि को पवित्र गवाह माना गया है. अगर हम दिन में विवाह के फेरे कराएंगे हैं, तो अग्नि के साथ-साथ सूर्य देव भी इस शुभ बंधन के साक्षी बनेंगे. सूर्य और अग्नि की साक्षी में होने वाला विवाह न केवल अमर और अडिग होता है, बल्कि इससे जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख-शांति आती है. विवाहित जोड़े का सांसारिक जीवन अच्छा बीतेगा. साथ ही, इस बदलाव से हम अनावश्यक खर्चों से बच सकते हैं, जैसे टेंट और लाइटिंग पर होने वाला बेफिजूल खर्च. औरंगजेब के दौर में जब दुल्हन की डोलियां लूटीं जाती थीं, तब समाज के वरिष्ठों ने बेटियों की इज्जत की रक्षा के लिए रात के अंधेरे में शादी कराना शुरू किया था और तड़के विदा किया जाता था. लेकिन वक्त के साथ समाज में बदलाव लाने की जरूरत है, अब हमें उन परंपराओं को छोड़कर, एक नए दृष्टिकोण से देखना होगा. शादियों में अनावश्यक खर्च या दिखावे की होड से भी हमें बचना चाहिए.
 
सवाल : आजकल समाज में शादी-ब्याह को लेकर रिश्ते क्यों टूट रहे हैं?
 
जवाब : आजकल रिश्तों के टूटने का मुख्य कारण समाज में बढ़ता हुआ सांस्कृतिक अभाव है. पहले हमारे समाज में महापुरुषों के गौरवमय इतिहास और संस्कृति की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी जाती थीं, जो अब धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं. भारतीय संस्कृति में पत्नी को अर्धांगिनी और लक्ष्मी स्वरूप माना जाता था, जबकि पत्नी अपने पति को ‌‘पति परमेेशर‌’ के रूप में देखती थी. यह समझ और आदर्श अब कम हो रहे हैं, जिसके कारण सोच में अंतर उत्पन्न हुआ है. आजकल रिश्तों में सबसे बड़ा कारण ‌‘इगो‌’ की समस्या है, जिससे अधिकतर रिश्ते टूट रहे हैं. रिश्ते तय करते समय पैसों से ज्यादा संस्कारों को महत्व दिया जाना चाहिए.
 
सवाल : युवाओं और अभिभावकों से आप क्या आग्रह करना चाहेंगे?
 
जवाब : मैं समाज के सभी लोगों, विशेष रूप से युवाओं और उनके अभिभावकों से यह आग्रह करना चाहूंगा कि हमारी पितृभूमि, हमारी कुलभूमि अग्रोहा, हमें वहां अवश्य जाना चाहिए. वहां की शक्तिपीठ में समाज के 58 महापुरुषों का दर्शन करके हम उनसे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं और अपने गौरवमय इतिहास को जान सकते हैं. वहां मंदिरों, धर्मशाला, अन्य समाजों की जरूरतमंद कन्याओं के लिए सिलाई केंद्र हैं, मेडिकल कैंप चलाते हैं, कंप्यूटर सेंटर हैं, गौधाम हैं. हमने मिनी भारत के रूप में अग्रोहा को स्थापित किया है. इसलिए, मैं सभी से आग्रह करता हूं कि अग्रोहा जाएं और इस पवित्र स्थान से जुड़कर अपने सामाजिक और सांस्कृतिक कर्तव्यों को समझें.
 
सवाल : अग्रवाल समाज को संगठित होने में क्या समस्या आ रही है और इसका समाधान क्या हो सकता है?
 
जवाब : अग्रवाल समाज धर्मपरायण है, लेकिन अपने पितरों की भूमि, अग्रोहा को छोड़ने के कारण वह संगठित नहीं हो पाया है. इसी कारण समाज को पितरों का दोष भी लगा है. हम ज्ञान, धन और शक्ति में सम्पन्न होने के बावजूद समाज में एकता की कमी महसूस कर रहे हैं. मेरा सभी अग्रबंधुओं से आग्रह है कि वे अग्रोहा लौटें, वहां अपने पितरों के स्थान को नमन करें और उनकी पूजा करें. जब तक हम सभी एकजुट होकर भगवान अग्रसेन के सिद्धांतों एवं अग्रोहा से नहीं जुड़ेंगे, तब तक समाज में सच्ची एकता और संगठन की भावना जागृत नहीं हो सकती. यह हमारे समाज के उज्जवल भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है
 
 
व्यापारी को टैक्स पेयर नहीं, टैक्स कलेक्टर का दर्जा मिलना चाहिए : समस्त व्यापारी समुदाय की ओर से मांग रखी
 
 
श्री गोपालशरण अग्रवाल ने खास तौर पर बताया कि आजकल समाज के बच्चे विदेश जा रहे हैं और उनकी व्यापार में रुचि कम हो रही है. इसका मुख्य कारण अंग्रेजों द्वारा व्यापारियों के लिए बनाए गए काले कानून हैं, जैसे लेबर एक्ट. आज भी व्यापारी भाई इन काले कानूनों के शिकार हो रहे हैं, और जीएसटी, इन्कम टैक्स, एक्साइज, पीएफ, ईएसआई आदि की आड़ में उनका शोषण हो रहा है. हमारे देश के व्यापारियों का कोई ठोस समर्थन नहीं है, जबकि नियम और कानून होने चाहिए, लेकिन इनमें समानता होनी चाहिए. हमने दिल्ली में अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के जरिए व्यापारी समर्थन रैली निकाली थी और सरकार से यह मांग की थी कि देश में 45 आयोग बनाए जाएं, जिसमें एक व्यापारी कल्याण आयोग भी हो,
 
जो आज तक नहीं बना. व्यापारी वर्ग की संख्या आज 30 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन फिर भी उनके लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई. 2016 में हरियाणा सरकार ने व्यापारी कल्याण बोर्ड तो बनाया, लेकिन आयोग बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए्‌‍. जैसे किसानों को आपदाओं में मुआवजा मिलता है, वैसे ही व्यापारी भाइयों को भी किसी भी आपदा या संकट के समय मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही, उन्हें पेंशन की भी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि व्यापारी सरकार का सबसे बड़ा कमाऊ स्रोत हैं. टैक्स वस्तु पर लगता है, और व्यापारी वही वस्तु बेचकर उपभोक्ता से टैक्स कलेक्ट करता है.
 
व्यापारी टैक्स पेयर नहीं, बल्कि टैक्स कलेक्टर है, और इसलिए उसे टैक्स कलेक्टर का दर्जा मिलना चाहिए्‌‍. सरकारी कर्मचारी को 8 घंटे काम करने पर पेंशन मिलती है, लेकिन व्यापारी दिन-रात काम करता है, तो उसे भी बुढ़ापे में पेंशन मिलनी चाहिए्‌‍. 2019 में बार-बार मांग करने के बाद केंद्र सरकार ने व्यापारी कल्याण बोर्ड तो बनाया, लेकिन व्यापारी कल्याण आयोग नहीं. यह आयोग देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र में बेहद आवश्यक है. आज हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है, और हमारे पास व्यापार के सभी स्रोत भी हैं. लेकिन डब्ल्यूटीओ के नियमों के नाम पर सिर्फ कानून तैयार कर लिए गए हैं, जबकि व्यापारी को वास्तविक सहूलियतें नहीं मिल रही हैं.
 
अमेरिका, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में टैक्स पेयर को मेडिकल सहायता, पेंशन, और सोशल सुरक्षा मिलती है, लेकिन हमारे देश में ऐसा कुछ नहीं है. मैं केंद्र और राज्य सरकार से यह मांग करता हूं कि व्यापारी कल्याण आयोग का गठन किया जाए, और व्यापारी के व्यापार का सरकारी बीमा होना चाहिए्‌‍. जो जितना टैक्स देता है, उसे जिला, प्रदेश और केंद्र स्तर पर सम्मान मिलना चाहिए. इससे न केवल सरकार को टैक्स में बढ़ोतरी होगी, बल्कि व्यापारी को भी सम्मान मिलेगा और उपभोक्ताओं को सस्ता सामान मिलेगा. यह हम सभी के लिए लाभकारी होगा. समाज में व्यापारी वर्ग का सम्मान बढ़ाने के लिए यह कदम उठाने की आवश्यकता है.