जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक प्रगति नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति है

58 वें तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम के समापन अवसर पर सदगुरु माता सुदीक्षाजी ने कहा

    28-Jan-2025
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पिंपरी, 27 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक प्रगति में नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति में है. यह विचार निरंकारी सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. तीन दिवसीय संत समागम का रविवार रात विधिवत रूप से सफल समापन हुआ. सदगुरु माताजी ने कहा कि मानव जीवन इसलिए श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है. परमात्मा निराकार है और इस परम सत्य को जानना ही मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है. जीवन एक वरदान है, और इसे परमात्मा से क्षण-प्रतिक्षण जुड़कर जीना चाहिए. ऐसा जीवन जीने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है और हम अनंत की ओर अग्रसर हो सकते हैं. समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जीवन में ज्ञान और कर्म का संगम आवश्यक है, जिससे जीवन सुखमय बन सके. जैसे पक्षी को आसमान में उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में ऊंचाई तक पहुंचने के लिए ज्ञान प्राप्त कर उसके अनुसार कर्म करना जरूरी है. ब्रह्मज्ञानी भक्त परमात्मा से जुड़कर प्रत्येक कार्य करता है. यही सच्ची भक्ति है. निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा से प्रेम जोड़ने का होना चाहिए. समागम के तीसरे दिन विस्तार असीम की ओर विषय पर आधारित बहुभाषी कवि दरबार आयोजित किया गया. 
 
21 कवियों ने कविताओं द्वारा समा बांधा
महाराष्ट्र के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से आए 21 कवियों ने मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, कोंकणी और भोजपुरी भाषाओं में कविताएं प्रस्तुत कीं. समागम में कायरोप्रैक्टिक थेरेपी द्वारा निशुल्क उपचार शिविर का आयोजन किया गया. यह थेरेपी मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी से संबंधित विकारों के लिए है. ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और अमेरिका के 18 डॉक्टरों की टीम ने सेवा प्रदान की. इस वर्ष लगभग 3500 लोगों ने इस थेरेपी का लाभ उठाया. समागम स्थल पर 60 बिस्तरों वाला अस्पताल स्थापित किया गया, जिसमें आपातकालीन स्थिति के लिए आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध थी. इसके अलावा तीन स्थानों पर निशुल्क होम्योपैथी और डिस्पेंसरी की व्यवस्था की गई. इस सेवा में वायसीएम अस्पताल और डीवाई पाटिल अस्पताल ने सहयोग दिया. 282 डॉक्टर और 450 स्वयंसेवक स्वास्थ्य सेवा में तैनात रहे. समागम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए तीन स्थानों पर निशुल्क लंगर की व्यवस्था की गई्‌‍. इसमें 72 क्विंटल चावल एक बार में पकाने की क्षमता थी, और एक साथ 70,000 लोग भोजन कर सकते थे.