आचार्य श्री ‌‘विशुद्धसागरजी' महाराज को ‌‘डी. लिट'

भारती वेिशविद्यालय के कुलपति एवं विधायक डॉ. वेिशजीत कदम द्वारा सम्मान की घोषणा

    30-Jan-2025
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vdavd
पुणे, 29 जनवरी (आ. प्र.)

चर्याशिरोमणि, आध्यात्मिक योगी प. पू. 108 आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज का साहित्य में बहुत बड़ा योगदान है. दिगंबर जैन मुनियों की कठोर जीवनशैली का पालन करने वाले वे भारत में अग्रणी दिगम्बर जैन आचार्य हैं. 550 से अधिक संतों का नेतृत्व आचार्य श्री की समग्र कठोर तपस्या एवं साहित्य को देखते हुए उन्हें भारती विद्यापीठ द्वारा ‌‘डी. लिट' की उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है, ऐसी भारती वेिशविद्यालय के कुलपति एवं डॉ. वेिशजीत पतंगराव कदम ने लाखो श्रद्धालुओं की उपस्थिति में घोषणा की. कोल्हापुर के पास नंदनी गांव में पूज्य आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में पंचकल्याणम्‌‍ प्रतिष्ठा एवं महास्तकाभिषेक समारोह बिते सप्ताह संपन्न हुआ. इस पूजा उत्सव में विधायक डॉ. वेिशजीत कदम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि, गुरुदेव ने सत्यार्थ बोध, कर्म विपाक के साथ 250 से अधिक महान ग्रंथों की रचना की है. उनके ‌‘वस्तुत्व महाकाव्य' का गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में पंजीकरण हो चुका है. आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज द्वारा मुनि दीक्षा के पश्चात सन 1995 से सन 2025 तक 153 पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सवो में ससंघ सानिध्य प्रदान कर तीर्थंकर - भगवंतों की प्रतिमाओं में सूरी मंत्र प्रदान कर उन्हें पूजनीय बनाया है. इससे पहले भारती वेिशविद्यालय द्वारा 2019 में संतशिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज को ‌‘डी.लिट' की उपाधि से सम्मानित किया गया था. नांदनी मठ के प. पू. स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी द्वारा विधायक डॉ. वेिशजीत कदम से पूज्य आचार्यश्री को ‌‘डी. लिट.' प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की थी.  
 
आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज जी का वेिश रिकॉर्ड
 
1. गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ( कर्म विपाक कृति केशर से लिखने पर )
2. लंडन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (1201 काव्यों के 1100 पृष्ठिय‌ ‘वस्तुत्वमहाकाव्य' पर )
3. यु. एस. ए. बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (सर्वाधिक पंचकल्याणक हेतु)
4. डी. लिट. - ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्यून मेरी अमेरिका द्वारा डाक टिकट (डाक विभाग द्वारा प्रकाशित) सन 2021, 2024