चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल तैयार

भारतीय रेलवे की तकनीकी क्षमता को दी नई ऊंचाई ; आधुनिकीकरण की आकांक्षाओं का प्रतीक बना

    10-Feb-2025
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नई दिल्ली, 9 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
भारत में रेल परिवहन की दिशा में एक नई क्रांति शुरू हो चुकी है. चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल ने न केवल भारतीय रेलवे की तकनीकी क्षमता को एक नई ऊंचाई दी है, बल्कि यह आधुनिकीकरण की आकांक्षाओं का प्रतीक भी बन चुका है. यह पुल समुद्र तल से 359 मीटर ऊंचा है, जो एफिल टॉवर से 35 मीटर और कुतुब मीनार से लगभग पांच गुना ऊंचा है. चिनाब पुल, जो उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) का हिस्सा है, अत्याधुनिक मशीनरी और रखरखाव से लैस है और 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं का सामना करने में सक्षम है. लगभग 37,000 करोड़ की लागत से निर्मित, यूएसबीआरएल परियोजना 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ दुनिया की सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में शामिल है. यह मार्ग 943 पुलों और 36 मुख्य सुरंगों से होकर गुजरता है, जिसमें देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग, टी-50 भी शामिल है, जो 12.77 किलोमीटर लंबी है.
 
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इस परियोजना के तहत, कटरा बनिहाल सेक्शन में देश का पहला केबल-स्टेड रेल पुल, अंजी खड्ड ब्रिज भी निर्मित हुआ है, जो 96 केबल्स के सहारे टिका, समुद्र तल से 331 मीटर ऊंचा और 725 मीटर लंबा पुल, डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिहाज से एक मील का पत्थर है. यह रेलवे लिंक न केवल कश्मीर को समग्र और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान कर रहा है, बल्कि पर्यटन, व्यापार और सुरक्षा में भी वृद्धि कर रहा है. इस लाइन पर बने रेलवे स्टेशन जम्मू और कश्मीर की प्रगति, सुरक्षा और समृद्धि की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण ह्‌ैं‍. काजीगुंड, जिसे ‌‘कश्मीर घाटी का प्रवेश द्वार‌’ भी कहा जाता है,
 
 दक्षिण कश्मीर और पूर्वी क्षेत्रों के मध्य एक महत्वपूर्ण संपर्क के रूप में कार्य करता है. पंपोर, श्रीनगर, सोपोर और अनंतनाग स्टेशन कश्मीर घाटी की आर्थिक गतिविधि के प्रमुख केंद्र ह्‌ैं‍. खासकर रियासी एवं कटरा स्टेशन, जो माता वैष्णो देवी मंदिर से नजदीकी के कारण आध्यात्मिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, इस परियोजना का अहम हिस्सा है. इसके अलावा, जल्द ही कटरा से श्रीनगर के लिए अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस का यूएसबीआरएल रेलवे लाइन पर नियमित परिचालन भी शुरू होगा, जो कश्मीर की कड़ी सर्दी और बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से तैयार की गई है.
  
इसके उन्नत हीटिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करेंगे कि ट्रेन शून्य से नीचे के तापमान में भी यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करे. ड्राइवर के सामने के ग्लास में भी हीटिंग उपकरण लगे हैं, ताकि सर्दी में भी स्पष्ट विजिबिलिटी हो सके. कश्मीर की अपनी वन्दे भारत एक्सप्रेस वेिशस्तरीय यात्रा के लिए तैयार है. ‌‘कश्मीर से कन्याकुमारी‌’ तक देश हमेशा एक रहा है. भारतीय रेल की यह नवनिर्मित रेलवे लाइन न केवल कश्मीर को निर्बाध रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास के नए आयाम भी स्थापित करेगी. अब कश्मीर घाटी का प्रहरी, पीर पंजाल की ऊंची पहाड़ियों और बनिहाल सुरंग से गुजरती ट्रेन की मधुर आवाज में यात्रियों का स्वागत करने के लिए तैयार है. इसकी बदौलत सचमुच, कश्मीर अब दूर नहीं होगा.