इतिहास को बदलने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए

श्रीमती लक्ष्मीबाई दगडूशेठ हलवाई दत्त मंदिर ट्रस्ट के ‌‘गुरु महात्म्य" पुरस्कार कार्यक्रम में शाहू महाराज छत्रपति ने कहा

    13-Feb-2025
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शिवाजीनगर, 12 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

हमारा इतिहास अभी भी सभी तक सही तरीके से नहीं पहुंच रहा है. आज, कुछ लोग इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि इतिहास को कैसे बदला जा सकता है. सांसद श्रीमंत शाहू महाराज छत्रपति ने कहा कि सच्चा इतिहास बदला नहीं जा सकता और इतिहास को बदलने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. वे श्रीमती लक्ष्मीबाई दगडूशेठ हलवाई दत्त मंदिर ट्रस्ट द्वारा आयोजित गुरु महात्म्य पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे. बालगंधर्व रंगमंदिर में रविवार (9 फरवरी) को आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ इतिहास शोधकर्ता पांडुरंग बलकवड़े और लोकमान्य मल्टीपर्पज सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. किरण ठाकुर को यह पुरस्कार प्रदान किया गया. बता दें कि यह पुरस्कार का 30वां वर्ष है. कार्यक्रम में एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. वेिशनाथ कराड, श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील रासने, श्री शिवाजी मराठा सोसायटी के सचिव अन्ना थोरात, कोषाध्यक्ष एड. रजनी उकरंडे, महोत्सव प्रमुख सुनील रुकारी, महोत्सव के उप प्रमुख अक्षय हलवाई, ट्रस्टी महेंद्र पिसाल, डॉ. पराग कालकर, युवराज गाड़वे और अन्य उपस्थित थे. कार्यक्रम में पुणे बार एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष एड. हेमंत जांजड़ और प्रसिद्ध रंगावलीकार प्रो. अक्षय शाहपुरकर को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. शाहू महाराज छत्रपति ने अपने भाषण में डॉ. किरण ठाकुर और पांडुरंग बलकवड़े के कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि डॉ. ठाकुर ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है. उन्होंने वेिशास व्यक्त किया कि गुरु महात्म्य पुरस्कार के लिए उनका चयन योग्य है तथा भावी पीढ़ियां निश्चित रूप से उनके कार्य से प्रेरणा लेंगी. डॉ. वेिशनाथ कराड ने कहा, हमें देखना चाहिए कि कैसे अध्यात्म और विज्ञान का विषय लेकर भारत माता वेिश गुरु बनेगी. जब मैं स्वामी विवेकानंद के विचारों को देखता हूं तो मुझे आत्म, आत्म-सम्मान और आत्म-धर्म की याद आती है. दत्त मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष राजेंद्र बलकवड़े ने स्वागत किया. कार्यकारी ट्रस्टी एड. प्रताप परदेशी ने परिचय दिया. एड. शिवराज कदम जहागीरदार ने आभार व्यक्त किया.  
 
यह भाग्य का क्षण है : बलकवड़े
पुरस्कार विजेता पांडुरंग बलकवड़े ने कहा, आज मुझे दत्त महाराज के नाम पर यह पुरस्कार मिला है, जिनकी मैं बचपन से पूजा करता आया हूं. यह एक भाग्यशाली क्षण है. छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास हर मराठी व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है. संतों ने महाराष्ट्र को एक विचारधारा दी और संस्कृति के माध्यम से समाज को कायम रखा. इसलिए हम इस गौरवशाली इतिहास को दुनिया के सामने लाने के लिए अपने प्राथमिक कर्तव्य मानकर काम करेंगे.
 मैं इस पुरस्कार के लिए आभारी हूं : डॉ. ठाकुर
डॉ. किरण ठाकुर ने कहा, मैं इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर आभारी हूं. मैं पुणे से मिले प्यार से सचमुच खुश हूं. भारतीय संस्कृति में गुरुओं का बहुत महत्व है. गुरु जीवन को दिशा देते हैं. अतः गुरु साक्षात्‌‍ परब्रह्म, ऐसे ही शब्दों में हमारी संस्कृति गुरु के महत्व को बयां करती है. मैंने राजनीति और सामाजिक कार्य की शिक्षा अपने माता-पिता से प्राप्त की. हम ‌‘लोकमान्य' के माध्यम से सहकारिता आंदोलन में भी काम कर रहे हैं. हम लोगों के आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, इस भावना के साथ कि संगठन की वित्तीय प्रगति के साथ-साथ हमारा समाज के प्रति भी कुछ दायित्व है. सीमावर्ती क्षेत्रों और गोवा में मराठी भाषा की अवहेलना की जा रही है. डॉ. ठाकुर ने कहा कि इसलिए हम मराठी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहे हैं.