पुणे, 14 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) पुणे और खड़की कैंन्टेोंमेंट बोर्ड को पुणे मनपा में मर्जिंग करने के संबंध में अभी तक स्पष्ट रूप से कुछ भी निर्णय नहीं लिया गया है. दोनों बोर्डों द्वारा मर्जिंग के संबंध में अपनी अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गयी हैं. लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मर्जिंग के बारे में अब तक कोई भी स्पष्ट भूमिका नहीं अपनायी. मर्जिंग भी नहीं और केंद्र द्वारा समय समय पर फंडिंग भी नहीं. नागरिकों की समस्यांए हल नहीं हो पा रहीं. परिणामस्वरूप कैन्टोंन्मेंट बोर्ड की हालत ना घर की ना घाट जैसी हो गयी है. कैन्टोंमेंट बोर्ड की पुणे मनपा में मर्जिग होने के बारे में वहां के स्थानिक नागरिक खुश थे. लेकिन ,वास्तविक स्थिति अलग ही है. राजनेताओं की अकुशलता के कारण कैन्टोंमेंट की वित्तीय स्थिति बहुत ही ख़राब हो गई है. राजनीतिक नेताओं की निष्क्रियता के कारण बोर्ड प्रशासन के लिए नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना मुश्किल हो गया है. बोर्ड लोकल बॉडी को भंग हुए ढाई से तीन साल हो गये हैं. पिछले वर्ष बोर्ड के चुनाव भी अचानक रद्द कर दिए गए. कैटोंन्मेंट की आर्थिक स्थिति गंभीर है, इसलिए नागरिकों की समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पा रहा है. लोकल बॉडी टैक्स (एलबीटी) रद्द होने के बाद से कैन्टोंमेंट बोर्ड की वित्तीय आय में कमी आई है. जीएसटी का हिस्सा अभी भी केंद्र सरकार द्वारा मिला नहीं है. जीएसटी का हिस्सा देंगे या नहीं देंगे यह भी स्पष्ट नहीं. केंद्र सरकार कैन्टोंमेंट बोर्ड का पुणे मनपा में विलय भी नहीं कर रही है और बोर्ड के प्रशासकीय कामकाज के लिए आवश्यक फंड भी देरी से मिलता है. बोर्ड को कर्मचारियों के वेतन और अन्य बुनियादी ढांचे पर खर्च करना पड़ता है. इसके कारण, वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कैन्टोंमेंट बोर्डों को खर्चा चलना भी मुश्किल हो गया है. पुणे कैन्टोंमेंट बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार समय पर आवश्यकता अनुसार फंड मुहैया नहीं करती और न ही बोर्ड का मनपा में विलय भी नहीं करती. इसलिए, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र सरकार की वास्तविक भूमिका क्या है. पुणे कैन्टोंमेंट बोर्ड ने राज्य सरकार को मर्जिंग के बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपे एक वर्ष हो गया है. खड़की कैन्टोंमेंट बोर्ड ने भी कुछ महीने पहले राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी हैं. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इसलिए अब नागरिकों को यह संदेह है कि क्या कैन्टोंमेंट बोर्ड का मनपा में विलय होगा या नहीं. कैन्टोंमेंट बोर्ड की भूमि पर मालिकाना हक्क रक्षा विभाग का है. बोर्ड की सीमाओं के भीतर बड़े बंगले और आर्मी इंस्टीट्यूट हैं. यदि स्वामित्व राज्य सरकार के पास चला जाता है तो बोर्ड की सीमा के भीतर अन्य स्वामित्व वाली भूमि पर भी बड़ी बडी इमारतें खडी होने की संभावना जताई जा रही है. इसलिए केंद्र सरकार ने विलय पर अभी तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है. बोर्ड के विलय से नागरिक खुश हैं. हालांकि, विभिन्न शर्तों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. इसलिए कैन्टोंमेंट बोर्ड के विलय के संबंध में कोई भी निर्णय नहीं हुआ है. इस बीच, पुणे कैन्टोंमेंट बोर्ड के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, स्कूलों, अस्पतालों, स्ट्रीट लाइट, पेयजल जैसे आवश्यक कार्यों के लिए हर महीना फंड की आवश्यकता पड़ती है. बोर्ड को अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर हर महीने 7 से 8 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. अन्य बुनियादी सुविधाओं पर भी खर्च करना पडता है. हालांकि, पर्याप्त धनराशि के अभाव में बोर्ड प्रशासन को हर महिने अथक परिश्रम करना पड़ता है,यह भी जानकारी वरिष्ठ अधिकारी ने दी है.