सह्याद्री हॉस्पिटल्स में स्टेंट-मुक्त एंजियोप्लास्टी सफल

डॉ. अभिजीत पलशीकर की टीम ने 70 वर्षीय डायबिटीज के रोगी पर की सर्जरी

    16-Feb-2025
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डेक्कन, 15 फरवरी (आ.प्र.)

पुणे की पहली लेजर-सहायता प्राप्त, स्टेंट-मुक्त एंजियोप्लास्टी दिल का दौरा पड़े हुए एक 70 वर्षीय डायबिटीज के रोगी पर की गई. डेक्कन जिमखाना स्थित सह्याद्री सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अभिजीत पलशीकर के नेतृत्व में की गई इस क्रांतिकारी प्रक्रिया ने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है. एक प्रेस कांन्फ्रेंस में यह जानकारी दी गई. डायबिटीज से पीड़ित रोगी को प्रक्रिया से तीन दिन पहले हल्का दिल का दौरा पड़ा था. उनका इलाज शुरू था. हालांकि, इस मामले में डॉक्टरों को दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सबसे पहले, धमनी में कैल्शियम की एक मोटी परत जमा हो गई थी, जिससे स्टेंट लगाने की पारंपरिक प्रक्रिया को पूरा करना कठिन हो जाता है. दूसरी चुनौती यह थी कि मरीज स्वयं स्टेंट निकलवाने के लिए तैयार नहीं थे. इस समस्या के समाधान के लिए, मेडिकल टीम ने लेजर-सहायता प्राप्त एंजियोप्लास्टी का विकल्प चुना और इसे दवा-लेपित गुब्बारे (ड्रग-कोटेड बलून) के साथ संयोजित किया. इससे स्थायी धातु स्टेंट की आवश्यकता के बिना धमनी को खोला जा सका. डॉ. अभिजीत पलशीकर ने कहा, इस प्रक्रिया का मुख्य लाभ यह है कि इसमें स्थायी धातु प्रत्यारोपण का उपयोग नहीं किया जाता है. यह एक ऐसा विकल्प प्रदान करता है जो उन रोगियों के लिए बेहतर परिणाम और कम जोखिम की गारंटी देता है जो स्थायी स्टेंट लगाने में हिचकिचाते हैं या जिनके पास जटिल कैल्शियम-युक्त रुकावटें हैं. सह्याद्रि ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के सीओओ और चिकित्सा निदेशक डॉ. सुनील राव ने कहा, पुणे में इस तरह की पहली प्रक्रिया की सफलता ने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में एक नए युग का मार्ग प्रशस्त किया है. 
 
एक्साइमर लेजर का उपयोग

इस एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया में एक्साइमर लेजर का उपयोग किया गया, जो एक अत्यधिक उन्नत तकनीक है जो धमनियों के अंदर जमा कैल्शियम और कोलेस्ट्रॉल को प्रभावी ढंग से हटा देती है.