पुणे, 17 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
औंध स्थित परिहार चौक में शिवदत्त मित्र मंडल द्वारा प्रायोजित मिनी मार्केट में बड़ा घोटाला सामने आया है. पहले व्यापारियों को लाइसेंस देने से मना करने वाले अधिकारी ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के बाद में उन्हें लाइसेंस जारी कर दिया. इतना ही नहीं, उस अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में न होने के बावजूद उसने आयुक्त के समक्ष गलत जानकारी देकर उन्हें भ्रमित किया. यह चौंकाने वाला खुलासा जांच में सामने आया है, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी है. यह मामला औंध क्षेत्र की भाजपा नगरसेविका अर्चना मुसले ने उठाया था. इसके बाद मनपा आयुक्त ने जांच के आदेश दिए थे. औंध क्षेत्र की भाजपा नगरसेविका अर्चना मुसले और उनके पति एड. मधुकर मुसले ने यह आरोप लगाया था कि परीहार चौक स्थित शिवदत्त मित्र मंडल का मिनी मार्केट अवैध रूप से संचालित हो रहा है और यह यातायात में बाधा डाल रहा है. इसे हटाकर चौक की यातायात समस्या का समाधान किया जाए, इस मांग को लेकर उन्होंने जनआंदोलन शुरू किया. साथ ही, मनपा के अतिक्रमण विभाग के अधिकारियों द्वारा इसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक भ्रष्टाचार किया गया है, ऐसे आरोप भी उन्होंने मनपा आयुक्त के सामने रखे. इस पर संज्ञान लेते हुए मनपा आयुक्त डॉ. राजेंद्र भोसले ने सितंबर 2023 में जांच के आदेश दिए थे. अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी.पी. की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट मनपा आयुक्त को सौंपी. इसके आधार पर आयुक्त ने एक महीने पहले संबंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए. हालांकि, उसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, जिसकी चर्चा मनपा प्रशासन में हो रही थी.कैसे हुआ घोटाला? सितंबर 2002 में तत्कालीन महापौर और स्थानीय नगरसेवक ने परिहार चौक की सड़क किनारे की जमीन को 11 महीने के अनुबंध पर शिवदत्त मित्र मंडल को देने का प्रस्ताव रखा, जिसे मनपा की जीबी से मंजूरी मिली.बाद में 11 साल की नई लीज मंजूर की गई, जिसके तहत 30 व्यापारियों को दुकानें दी गईं. 2013 में यह अनुबंध समाप्त हो गया, लेकिन इसके एक साल बाद फिर से इसे 11 साल के लिए देने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी.हालांकि, तत्कालीन अतिक्रमण विभाग प्रमुख ने 2008 में मुख्य सभा के निर्णय के आधार पर बताया कि यह भूमि 24 मीटर चौड़ी डीपी रोड के अंतर्गत आती है और यह ‘नो हॉकर्स जोन' में स्थित है, इसलिए इसे अनुबंध पर नहीं दिया जा सकता.स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बाधा बनीं दुकाने2016ं में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इस सड़क के विकास कार्य की शुरुआत हुई. स्मार्ट सिटी प्राधिकरण ने मनपा से मिनी मार्केट को हटाने की मांग की.उस समय औंध क्षेत्रीय कार्यालय ने व्यापारियों से स्वेच्छा से दुकानें खाली करने को कहा और पुनर्वास का ओशासन दिया, लेकिन इसके लिए आयुक्त की मंजूरी नहीं ली गई .2017 में नए नगरसेवकों ने फिर से प्रशासन पर इस मार्केट को हटाने का दबाव बनाया.व्यापारियों ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी, और उन्हें स्टे मिल गया, जिससे निष्कासन की कार्रवाई नहीं हो सकी.कोरोना महामारी के बाद 2022 में व्यापारियों ने पुनर्वास की मांग करते हुए अदालत से अपना मामला वापस लेने की इच्छा जताई, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया.
2024 में कैसे हुआ बड़ा भ्रष्टाचार? 2023 में एक नए उपायुक्त को अतिक्रमण विभाग में नियुक्त किया गया, जिनके पास औंध क्षेत्र की भी जिम्मेदारी थी.2024 में, पूर्व उपायुक्त ने आयुक्त के समक्ष प्रस्ताव रखा कि औंध परिहार चौक से 15 मीटर की दूरी पर 30 व्यापारियों का पुनर्वास किया जाए. 2013 से 2017 तक की बकाया राशि वसूल कर उन्हें पथ विक्रेता नीति के तहत लाइसेंस दिए जाए्ं. आयुक्त से मंजूरी मिलने के बाद उन्होंने 30 व्यापारियों को लाइसेंस जारी कर दिए. अगस्त 2023 में उन्होंने भवन विभाग को पत्र लिखकर इन व्यापारियों को ु54 मीटर के गाले (दुकानें) बनाने का आदेश भी दिया. 2008 और 2016 की ‘नो हॉकर्स जोन' नीति के अनुसार, परिहार चौक से 50 मीटर के दायरे में किसी भी पथ विक्रेता को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता था, लेकिन इन उपायुक्त ने 15 मीटर के भीतर ही दुकानें आवंटित कर दीं. यह अधिकारी औंध क्षेत्र के प्रभारी भी नहीं थे, फिर भी उन्होंने पूरे मामले को अपने नियंत्रण में लिया, जिससे उनकी मनमानी और भ्रष्टाचार स्पष्ट होता है.
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
पुरानी सूची और नई सूची में 12 व्यापारियों के नाम बदल दिए गए थे व्यवसाय करने के कोई सबूत नहीं मिले. 5 व्यापारी महाराष्ट्र में 15 वर्षों से निवास करने का प्रमाण देने में असमर्थ थे, फिर भी उन्हें लाइसेंस जारी कर दिए गए. अब मनपा प्रशासन ने परिहार चौक स्थित सभी अवैध दुकानें हटा दी हैं.
अधिकारी पर कार्रवाई के आदेश जारी
औंध स्थित परिहार चौक के शिवदत्त मित्र मंडल मिनी मार्केट में पथ विक्रेता लाइसेंस दिए जाने को लेकर अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई गई थी. मैंने इस समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है. संबंधित अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए जा चुके हैं, और विभागीय जांच की प्रक्रिया जारी है. - डॉ. राजेंद्र भोसले, मनपा आयुक्त