बुधवार पेठ, 18 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम, अफजल खान का वध, शाहिस्ता खान की उंगलियां कांटना, सूरत की लूट, आगरा से पलायन इसके अलावा भी उनके काम बहुत बढ़िया है. हमें इनका अध्ययन करना चाहिए. छत्रपति शिवाजी महाराज ने सिर्फ युद्ध नहीं किया था. उन्होंने अन्य कई काम किये हैं. छ. शिवाजी की 50 वर्ष की आयु में से, बचपन के 16 वर्ष को छोड़कर, उनका मुख्य जीवन 34 वर्षों तक चला. इसमें 6 से 7 वर्षों की अवधि में महान उपलब्धियां हासिल कीं. फिर भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने अन्य 26 वर्षों तक और क्या किया..? हमें यह समझना होगा, ऐसे विचार व्याख्याता केतन पुरी ने रखे. वह श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट, सुवर्णयुग तरुण मंडल की ओर से आयोजित शिव जयंती महोत्सव 2025 में बोल रहे थे. इस व्याख्यान का विषय था, छत्रपति शिवाजी महाराज से मिले विदेशी. इस कार्यक्रम का आयोजन दत्त मंदिर के सामने जय गणेश प्रांगण में किया गया है. उद्घाटन समारोह में ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील रासने, कोषाध्यक्ष महेश सूर्यवंशी, सुवर्णयुग तरुण मंडल के अध्यक्ष प्रकाश चव्हाण समेत पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी मौजूद थे. यहां मंडल के राजाभाऊ पायमोडे को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. केतन पुरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में अंग्रेज, फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली भारत आए. उस समय विदेशों से भी लोग छ. शिवाजी से मिलने आये थे. उन्होंने इस बारे में कई बातें लिखी हैं. एक पुर्तगाली व्यक्ति ने छ. शिवाजी पर एक किताब लिखी थी जब वे जीवित थे. परिचय महेश सूर्यवंशी ने दिया. उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के पहलुओं को सामने लाया जाना चाहिए और उससे दिशा मिलनी चाहिए. इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय में जागरूकता बढ़ाना है.
विदेशियों से भी शिवाजी महाराज की जानकारी मिलती है- केतन पुरी ने कहा छ. शिवाजी के समय में मुंबई और सूरत महत्वपूर्ण बंदरगाह थे. सूरत में 2 लाख से अधिक लोग रहते थे.
- सूरत पर पहला आक्रमण 1664 में किया गया था. उस समय सूरत और मुंबई का नाम सामने आया था.
- ऐतिहासिक संदर्भों में राज्याभिषेक के समय अंग्रेजों को दिखाया गया है. उन्होंने इस राज्याभिषेक का विस्तार से वर्णन किया है. इसलिए हमें इन विदेशियों से भी छत्रपति शिवाजी का इतिहास जानने को मिलता है.