पुणे, 22 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
आईटी इंजीनियर युवक को बिना कारण पीटकर दहशत फैलाने वाले हों या फिर पुलिसकर्मियों पर हमला करने वाले, किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए. इतना ही नहीं, बल्कि ऐसे आरोपियों को बचाने के लिए आने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. सोशल मीडिया पर कई लोगों के रील्स और फोटो वायरल हो रहे हैं, लेकिन पुणे पुलिस आंखें मूंदकर बैठी है क्या? इस पर आत्ममंथन करने की जरूरत है. ऐसी कड़ी फटकार केंद्रीय सहकार एवं नागरिक परिवहन राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने लगाई. पुलिस की प्रशंसा के बाद अब आत्मनिरीक्षण का समय कुछ दिनों पहले तरंग 2025 कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने पुणे पुलिस की खूब प्रशंसा की थी. लेकिन इस प्रशंसा की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि अब मोहोल को पुणे पुलिस को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह देने की नौबत आ गई.चतु:श्रृंगी और कोथरुड में हुई दो घटनाओं के बाद मोहोल ने पुलिस को सख्त चेतावनी दी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी पुणे की स्थिति पर चर्चा करनी पड़ी. अवैध धंधों पर कड़ा रुख,
लेकिन पुलिस की ढिलाई पर सवाल उठाया. पुलिस आयुक्त अमितेशकुमार ने अवैध धंधों के खिलाफ सख्त नीति अपनाई है. उन्होंने साफ कहा कि अवैध गतिविधियों को संरक्षण देने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन यह भी देखा गया कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी इन अपराधियों को बचाने में मदद कर रहे हैं. इससे आपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और अपराधियों को पुलिस और प्रशासन में बैठे कुछ लोगों का संरक्षण मिल रहा है, जिससे आम जनता का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है. इसी प्रकार कोथरुड की घटना और पुलिस रवैया भी बदला हुआ नजर आया. जिसमें केंद्रीय राज्यमंत्री मोहोल के करीब कार्यकर्ता को बीच सड़क पर पीटा गया.पुलिस ने मामला दर्ज किया, लेकिन जैसे ही पता चला कि हमलावर गजा मारणे गैंग से जुड़े हैं, पुलिस का रुख बदल गया. कोथरुड पुलिस ने पूरी कोशिश की कि यह मामला सामान्य जनता तक न पहुंचे. CCTV फुटेज से साफ था कि आरोपी गजा मारणे गैंग के अपराधी हैं, लेकिन पुलिस ने 24 घंटे से ज्यादा समय तक इसे छिपाने की कोशिश की. वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ही मामूली मारपीट का केस हत्या के प्रयास में बदला गया.
सोशल मीडिया पर अपराध बढ़ने से पुलिस पर सवाल 5 साल पहले सोशल मीडिया पर अपराधियों की बढ़ती दहशत रोकने के लिए पुणे पुलिस ने एक विशेष टीम बनाई थी. हथियारों के साथ फोटो पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई की जाती थी इसके साथ ही तलवार से केक काटने वालों पर पुलिस सख्त कार्रवाई करती थी. लेकिन जैसे ही वरिष्ठ अधिकारी बदले, पुलिस ने सोशल मीडिया पर हो रही आपराधिक गतिविधियों पर ध्यान देना बंद कर दिया. मोहोल ने स्पष्ट कहा कि अब यह सब बंद होना चाहिए. अगर पुलिस ने सख्त कदम नहीं उठाए, तो हम अपनेतरीके से काम करेंगे. उन्होंने कहा कि रातोंरात मामूली मारपीट का केस हत्या के प्रयास में कैसे बदल गया? पुलिस स्टेशनों के वरिष्ठ अधिकारियों को निष्पक्ष रवैया अपनाना चाहिए, लेकिन जब वे खुद मामलों को दबाने की कोशिश करते हैं, तब मामला वरिष्ठ स्तर तक जाता है. कुछ अधिकारियों की गलत हरकतों के कारण पूरी पुणे पुलिस बदनाम हो रही है, इस पर भी गंभीर विचार करने की जरूरत है.
पुलिस पर लगे गंभीर आरोप
चतु:श्रृंगी पुलिस थाने की घटना में सेनापति बापट रोड पर एक पुलिसकर्मी को बेरहमी से पीटा गया. लेकिन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक ने दबाव में आकर उस पुलिसकर्मी को ही शिकायत दर्ज न करने की सलाह दी. अंततः पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद ही आधी रात को हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया. सवाल उठता है कि जब वरिष्ठ अधिकारी ही अपराध दर्ज करने से हिचकिचा रहे हैं, तो जांच निष्पक्ष कैसे होगी?