प्रॉपर्टी टैक्स विभाग की ‌‘खास‌’ लोगों के लिए अभय योजना

चुनाव के पहले मार्च महीने में मनपा प्रशासन द्वारा टैक्स में छूट देने की जा रही तैयारी!

    23-Feb-2025
Total Views |
 
 
aaaaa
 
  
पुणे, 22 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
प्रॉपर्टी टैक्स से अपेक्षित राजस्व लक्ष्य पूरा न होने के कारण, मनपा बकायादारों के लिए ‌‘अभय योजना‌’ लाने की तैयारी कर रहा है. नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रशासक की मदद से ‌‘खास बकायादारों‌’ को राहत देने के लिए सत्ताधारी दल सक्रिय हो गए हैं, ऐसी चर्चा तेज हो गई है संपत्ति कर वसूली में कमी, अनुमानित राजस्व पूरा नहीं हुआ नगर निगम ने 2024-25 के बजट में संपत्ति कर से 2,700 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने का अनुमान लगाया था. 34 नए गांवों को नगर निगम में शामिल करने और कर संरचना में वृद्धि के कारण यह लक्ष्य निर्धारित किया गया था. हालांकि, वित्तीय वर्ष समाप्त होने में केवल एक महीना बचा है और अब तक केवल 2,000 करोड़ रुपये की ही वसूली हुई है.लोकसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने नए शामिल गांवों में बकायादारों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आदेश दिया, जिससे राजस्व में गिरावट आई, ऐसा दावा संपत्ति कर विभाग ने किया है.
 
इसके अलावा, राज्य सरकार ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि शामिल किए गए गांवों की कर संरचना और बकाया राशि का निपटारा कैसे किया जाए, जिससे वसूली में बाधा आ रही है. पुराने शहर में भी बकाया वसूली की सुस्ती नए गांवों को छोड़कर, पुराने शहर में भी बड़ी संख्या में संपत्ति कर बकायादार हैं, लेकिन संपत्ति कर विभाग वसूली करने में पीछे रह गया है. बकायादारों की संपत्तियों के सामने बैंड पथक (बैंड बजाना) लगाने की प्रक्रिया ठंडी पड़ गई. पिछले साल की तुलना में सील की गई संपत्तियों की संख्या में भारी कमी आई. अतिरिक्त 125 कर्मचारी मिलने के बावजूद वसूली में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ. मनपा में प्रशासनिक शासन होने के कारण, केवल पूर्व नगरसेवक, विधायक, सांसद और मंत्री अपने वार्ड के विकास कार्यों के लिए फंड मांगने आते हैं, लेकिन कर वसूली को लेकर कोई रुचि नहीं दिखा रहे है.
 
 
बड़े बकायादारों पर नजर शहर के शीर्ष 100 बकायादारों पर 334 करोड़ रुपये (दंड सहित) की बकाया राशि है.कुल बकाया राशि लगभग 11,000 करोड़ रुपये है इसमें से 5,000 करोड़ रुपये मोबाइल टावर कंपनियों पर बकाया हैं, लेकिन ये कंपनियां न्यायालय में मामला लड़ रही है. सरकार की नीति के अनुसार, यदि यह मामला सुलझ भी जाता है, तो महज 15% (करीब 750 करोड़ रुपये) की वसूली हो सकेगी. मोबाइल टावरों के अलावा अन्य कई बकायादारों के मामले भी न्यायालय में लंबित हैं. इसके बावजूद हजारों संपत्ति मालिकों पर करोड़ों रुपये की बकाया राशि है, लेकिन उसकी वसूली के लिए प्रभावी प्रयास नहीं हो रहे हैं. चुनाव से पहले अभय योजना की रणनीति नगर निगम चुनाव कभी भी हो सकते हैं, ऐसा सत्ताधारी दलों द्वारा बार-बार कहा जा रहा है. चुनाव को ध्यान में रखते हुए शहर में सड़कों की मरम्मत, सफाई और अन्य विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपये की निविदाएं तेजी से मंजूर की जा रही है. पूर्व नगरसेवकों को उनके वार्ड में काम कराने के लिए करोड़ों की फंडिंग दी जा रही है. बड़े बकायादारों को राहत देने के लिए ‌‘अभय योजना‌’ लाने की तैयारी शुरू हो गई है. इस योजना को मार्च 2024 में लागू करने की योजना बनाई गई है. दंड में 50% तक छूट देने की चर्चा चल रही है. ईमानदार करदाताओं पर अन्याय करते हुए हमेशा बड़े बकायादारों को राहत क्यों दी जा रही है? इस पर भी अब जोरदार बहस छिड़ गई है
 
 योजना पर नीति बनाई जाएगी मार्च में
 
मनपा में प्रशासकीय शासन को तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस दौरान प्रशासकों ने संपत्ति कर में कोई बढ़ोतरी नहीं की. अब तक प्रशासकों का यह मत रहा है कि कर वृद्धि का निर्णय निर्वाचित सभा के अस्तित्व में रहते हुए लिया जाना चाहिए. अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासक अभय योजनाके लिए नीति बनाकर बड़ा निर्णय लेंगे?