शक्कर के साथ बायप्रोडक्ट्स का निर्माण भी आवश्यक

वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे का सुझाव

    24-Feb-2025
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पुणे, 23 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
आर्थिक संकट में फंसे चीनी उद्योग को बचाने के लिए, केवल चीनी पर निर्भर रहने के बजाय उपपदार्थों के निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है. एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना की बजाय मक्का के मुख्य फसल बनने की संभावना अधिक है, इसलिए किसानों को गन्ने तक सीमित न रहकर मक्का की फसल की ओर बढ़ना होगा, ऐसा सुझाव वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे ने दिया. नेटाफिम इंडिया के सिंचाई उपायों के प्रमुख प्रदाता ने पुणे में ड्रिप फर्टिगेशन और ऑटोमेशन के तहत एकीकृत गन्ना प्रबंधन पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में यह बात कही. यशद के अतिरिक्त महासंचालक शेखर गायकवाड़, फलोत्पादन निदेशक डॉ. कैलाश मोते, कावेरी वेिशविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रवीण राव, कोल्हापुर कृषि महाविद्यालय के सहयोगी अधिष्ठाता रविंद्र बनसोड़े, पुणे कृषि महाविद्यालय के सहयोगी अधिष्ठाता डॉ. महानंद माने, विशेषज्ञ पी.पी. शिंदे, गन्ना विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र भिलारे, नेफाफिम इरिगेशन के सीईओ विकास सोनवणे, और कृष्णात म्हामुलकर आदि उपस्थित थे. इस सम्मेलन में 50 से अधिक चीनी मिलों और 80 से अधिक उद्योग विशेषज्ञों और कृषि विशेषज्ञों ने सटीक सिंचाई, फर्टिगेशन और ऑटोमेशन के माध्यम से गन्ना उत्पादकता बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा की. ठोंबरे ने कहा कि, जबकि गन्ने की एफआरपी 2700 से बढ़कर 3400 रुपये तक पहुंच गई है, पिछले पांच वर्षों में चीनी बिक्री दर 3100 रुपये है. गन्ने के उत्पादन की लागत में वृद्धि के कारण, चीनी उद्योग वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट में है. इसे जीवित रखने के लिए, अब चीनी उत्पादन पर निर्भर रहने के बजाय सह-उत्पादों के निर्माण पर ध्यान देने की आवश्यकता है. देश में अपेक्षित अनुमान से घटता हुआ चीनी उत्पादन एक भयावह स्थिति है. इसलिए, यदि गन्ने की खेती में आधुनिकता और ड्रिप सिंचाई का उपयोग नहीं किया गया, तो उद्योग मुश्किल में रहेगा. प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन बढ़ाना और मिट्टी की रक्षा करना ड्रिप सिंचाई के उपयोग के कारण हैं. फलोत्पादन निदेशक डॉ. कैलास मोते ने कहा, ड्रिप एरिगेशनन के लिए महाडीबीटी पोर्टल पर वर्तमान में तीन लाख किसानों के आवेदन हैं. किसानों की वर्तमान में लॉटरी के माध्यम से होने वाली चयन प्रक्रिया के बजाय पहले आने वाले को प्राथमिकता देने के अनुसार चयन करने पर सरकार के स्तर पर विचार चल रहा है. किसान योजना में भागीदारी के लिए कभी भी आवेदन कर सकते हैं.
 
* किसानों को केंद्र बिंदु बनाकर योजना बनाएं
 
 
गायकवाड़ ने कहा, भविष्य में कृषि और किसानों के अच्छे दिन आएंगे. एक अर्थ में, दुनिया के अनाज का नेतृत्व भारत की ओर बढ़ेगा. इसके लिए किसानों को केंद्र बिंदु बनाकर योजनाएं बनानी चाहिए. हमें प्रिसिजन फार्मिंग यानी सटीक खेती के माध्यम से पानी और खाद का प्रबंधन करना होगा. इस्रायल में किसान आगे और सरकार पीछे यह विशेषता है. लेकिन हमारे यहां प्रशासन में भी इस बदलाव की आवश्यकता है. राज्य की कृषि की स्थिति को देखते हुए, मराठवाड़ा और विदर्भ भविष्य में कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे. पश्चिम महाराष्ट्र की स्थिति अगले 15 वर्षों में यूरोप जैसी होगी