पुणे, 24 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
कोथरुड में आईटी इंजीनियर पर हमला करने के मामले में पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार द्वारा कड़ा रुख अपनाने के बाद गजा मारणे और रुपेश मारणे को इस अपराध में आरोपी बनाया गया. इसके बाद गजा मारणे स्वयं पुलिस थाने में हाजिर हो गया. पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह उसके खिलाफ दर्ज 28वां अपराध है. गजा मारणे और उसकी गैंग के 27 अन्य सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उनकी संपत्ति जब्त करने के प्रयास जारी हैं, इस संबंध में पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने सोमवार को एक संवाद कार्यक्रम में जानकारी दी थी. इसके कुछ ही घंटों बाद गजा मारणे ने स्वयं पुलिस थाने में आत्मसमर्पण कर दिया. उसके खिलाफ 1988 से अब तक कुल 27 मामले दर्ज ह्ैं. दो बार उसे तड़ीपार किया गया है और एक बार नजरबंद भी किया गया था. इस प्रकार, अब तक उसके खिलाफ 12 बार अलग-अलग प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा चुकी है.
मूल रूप से मुलशी तहसील का निवासी गजा मारणे बाद में कोथरुड के शास्त्रीनगर में रहने लगा. उसके खिलाफ पहला मामला 1988 के अंत में डेक्कन पुलिस थाने में मारपीट के लिए दर्ज हुआ था. 1990 में डेक्कन पुलिस थाने में मारपीट के दो और समर्थ पुलिस थाने में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ. 1991 में, डेक्कन पुलिस थाने में दो और मारपीट के मामले दर्ज हुए, जिसके कारण उसे दो साल के लिए तड़ीपार कर दिया गया. कुछ साल शांत रहने के बाद, 1996 में कोथरुड पुलिस थाने में उसके खिलाफ फिर से हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ्. अपराध बढ़ते देख, 2008 में पुलिस ने एक साल के लिए उसके खिलाफ बांड भरवाया. इसके बावजूद अपराध जारी रहे, तो 2012 में उसे फिर से एक साल के लिए तड़ीपार किया गया. अब तक उसके खिलाफ डेक्कन, कोथरुड, सासवड़, दत्तवाड़ी, पौड, कामोठा, शिरगांव, हिंजवड़ी और भारती विद्यापीठ पुलिस थानों में कुल 28 मामले दर्ज हो चुके हैं. उसके खिलाफ आखिरी बार 31 जुलाई 2024 को चैप्टर केस दर्ज किया गया था. गजा मारणे से मिलने कई लोग उसके घर जाते रहते हैं. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार ने भी कुछ महीने पहले उससे मुलाकात की थी,
जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई थी. लोकसभा चुनाव के बाद सांसद निलेश लंके ने भी उससे मुलाकात की थी. गजा मारणे को राष्ट्रवादी कांग्रेस में शामिल किया गया था, लेकिन जब इसका विरोध हुआ, तो उसका प्रवेश रद्द कर दिया गया. राजनीति में सक्रिय होने के लिए उसने कई बार प्रयास किए. अपनी छवि सुधारने के लिए, उसने खुद को ‘गुंडा’ या डॉन के बजाय महाराज कहलवाना शुरू कर दिया, लेकिन हर बार किसी न किसी आपराधिक घटना के कारण उसकी असली पहचान उजागर हो जाती थी. तलोजा जेल से रिहाई के बाद गजा मारणे ने अपने समर्थकों के साथ भव्य रैली निकाली, जिससे उसका नाम पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया. इस रैली में शामिल गाड़ियों को पुलिस ने जब्त कर लिया था. इसके अलावा, शिवजयंती के दिन सिटी प्राइड कोथरुड में गजा मारणे और उसकी गैंग के सदस्य एक फिल्म देखने गए थे. फिल्म के बाद, भेलकेनगर चौक पर उनकी गाड़ियों का काफिला रुका, जहां आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे देवेंद्र जोग नामक युवक से विवाद हुआ. इस मामूली बात पर गजा मारणे की गैंग ने उसे बुरी तरह पीटा. अब पुलिस सीसीटीवी फुटेज की मदद से इस मारपीट में शामिल गाड़ियों और बाइकों की पहचान कर उन्हें जब्त करने की तैयारी कर रही है.
गजा मारणे का 37 सालों का आपराधिक रिकॉर्ड
पुणे शहर का कुख्यात गुंडे गजा उर्फ गजानन पंढरीनाथ मारणे (उम्र-57 वर्ष) पर पिछले 37 वर्षों में कुल 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उसे दो बार तड़ीपार किया गया था और उसके खिलाफ मकोका के तहत कार्रवाई भी की गई थी. तलोजा जेल से रिहा होने के बाद, उसके समर्थकों ने मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर उसकी शानदार रैली निकाली थी, जिसे पुलिस के लिए सीधी चुनौती माना गया. इसके चलते पुणे शहर, पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस और ग्रामीण पुलिस ने गजा मारणे और उसके समर्थकों के खिलाफ अलग-अलग थानों में मामले दर्ज किए थे, जिसके बाद वह फरार हो गया था. बाद में, पुणे ग्रामीण पुलिस ने उसे सातारा जिले से गिरफ्तार कर लिया और एमपीडीए के तहत एक साल के लिए नजरबंद किया गया. इस रैली में शामिल 50 से अधिक गाड़ियां पुलिस ने जब्त कर ली थीं.