नई दिल्ली, 4 फरवरी (आ. प्र.)
वित्तीय सेवा सचिव एम. नागराजू ने को कहा कि, केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी को अधिक कार्यात्मक स्वायत्तता देने के लिए इसमें संशोधन लाने की योजना बना रही है. नागराजू ने कहा कि, यह बीमा कानून (संशोधन) विधेयक का हिस्सा होगा जिसे केंद्र चालू बजट सत्र में पेश करने की तैयारी कर रहा है. एलआईसी अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर नागराजू ने कहा कि, इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एलआईसी को कर्मचारियों की नियुक्ति, पारिश्रमिक और नई शाखाएं या कार्यालय खोलने जैसे मुद्दों पर अधिक स्वायत्तता दी जाए. उन्होंने कहा, हम नहीं चाहते कि एलआईसी को कुछ मुद्दों पर मंजूरी के लिए सरकार के पास जाना पड़े. हम उन्हें अधिक कार्यात्मक स्वायत्तता देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि, इस विधेयक को वित्त मंत्री ने मंजूरी दे दी है. इसे जल्द ही मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास ले जाया जाएगा. सबसे अधिक संभावना है कि, इसे बजट सत्र में ही पेश किया जाएगा. हम इस बात के लिए बहुत उत्सुक हैं कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने का काम जल्द से जल्द लागू किया जाए. बीमा नियमों पर नागराजू ने यह भी कहा कि बीमा नियमों की भी समीक्षा की जाएगी और उन्हें कानून के अधिनियमन के साथ ही जारी करने के लिए संशोधित किया जाएगा. नियम पहले की उन आवश्यकताओं को हटा देंगे जिन्हें विदेशी खिलाड़ियों के दृष्टिकोण से प्रतिबंधात्मक माना जाता था. यह एफडीआई, लाभांश के प्रत्यावर्तन, प्रमुख प्रबंधन व्यक्तियों की नियुक्ति के मानदंडों की समीक्षा करेगा. उन्होंने कहा, सब कुछ एक साथ किया जाएगा ताकि कोई अस्पष्टता न रहे. हम रोडमैप पर स्पष्टता प्रदान करना चाहते हैं. नागराजू ने कहा कि, भारत में बीमा क्षेत्र में पूर्ण स्वामित्व वाली संस्थाओं को शामिल करने के लिए विदेशी बीमा कंपनियों की ओर से पहले से ही जबरदस्त रुचि है. इनमें से किसी भी इच्छुक कंपनी ने इस शर्त पर आपत्ति या चिंता व्यक्त नहीं की है कि 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा एकत्र किए गए सभी प्रीमियम केवल भारत में ही निवेश किए जाने चाहिए. नागराजू ने कहा कि, प्रस्तावित बीमा कानून (संशोधन) विधेयक में बीमा अधिनियम और आईआरडीएआई अधिनियम में भी संशोधन करने का प्रयास किया जाएगा. बीमा अधिनियम में संशोधनों में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना, बीमा क्षेत्र में समग्र लाइसेंस की शुरुआत और अन्य महत्वपूर्ण सुधार शामिल होंगे.
जमा बढ़ने से लोन देने में तेजी आएगी
डीएफएस सचिव नागराजू ने कहा कि, कर राहत से वित्त वर्ष 2026 में 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बैंक जमा प्रवाह और ऋण देने में तेजी आएगी. संकेत हैं कि सरकार और IRD I बोर्ड में अधिकांश भारतीय नागरिकों को शामिल करने जैसे प्रतिबंध हटा देंगे. डीएफएस सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2000 में खुलने के बाद से बीमा क्षेत्र में कुल एफडीआई प्रवाह 82,000 करोड़ रहा है, जो देश के आकार को देखते हुए बहुत कम है. उन्होंने कहा, नियामक प्रतिबंधों के कारण, बहुत अधिक एफडीआई नहीं आया है. हमें 100 प्रतिशत एफडीआई की आवश्यकता है ताकि वे अपने लोगों, उत्पादों और प्रौद्योगिकी को ला सकें.