‘कट्टरता’ एक मनाेवैज्ञानिक बीमारी है !

01 Oct 2020 11:27:17

ओशो_1  H x W: 0
 
प्रश्न : क्या यहाँ संसार में ऐसा काेई व्यक्ति है, जाे पूर्ण विकसित और पूर्ण निर्दाेष हाे?
 
चरमाेत्कर्ष अथवा पराकाष्ठा पर पहुँचने और पूर्ण हाेने का विचार, एक कुरूप विचार है. पूर्ण रूप से धार्मिक और नैतिक व्यक्ति बनने का प्रयास एक मानसिक रुग्णता है. कट्टर धार्मिक और नैतिक बनना एक मनाेवैज्ञानिक बीमारी है. इसलिए पहली चीज ताे यह याद रखने की है, कि मैं किसी भी तरह से पूर्ण धार्मिक और नैतिक व्यक्ति बनने के पक्ष में नहीं हूँ. मैं तुम्हें अखण्ड बनाना चाहता हूँ, कुशल विद्वान अथवा नैतिक व्यक्ति नहीं. परिपूर्णता की पराकाष्ठा पर पहुँचने से बचाे, क्याेंकि पराकाष्ठा पर पहुँचने का अर्थ है-मृत्यु; परिपूर्णता का अर्थ है कि अब काेई और विकास हाेना सम्भव नहीं है.
 
परिपूर्णता का अर्थ है कि अस्तित्वगत रूप से तुम एक तंग अन्धी और आगे से बन्द गली में प्रविष्ट हाे गये, तुम अपनी जानकारी की पराकाष्ठा पर पहुँच गये. अब वहाँ से कहीं और नहीं जाना है, तुम अब हमेशा के लिए थिर और जड़ हाे गये-क्याेंकि तुम परिपूर्ण बन गये हाे. इस भयानक स्थिति के सम्बन्ध में जरा विचार कराे कि तुम अब थिर और जड़ हाे गए हाे, तुम्हें आगे कहीं और नहीं जाना है; कुछ करने काे अब बचा ही नहीं; तुम एक चट्टान की तरह खड़े हाे. जब मैं कहता हूँ-समग्र अथवा अखण्ड बनाे, ताे मेरे कहने का अर्थ है, तुम जाे कुछ भी कराे, उसे समग्रता से कराे, परिपूर्ण कुशलता से नहीं-ये दाे भिन्न आयाम हैं.
 
तुम्हें पूर्ण कुशल और पराकाष्ठा पर पहुँचना सिखलाया गया है. उदाहरण के लिए यदि तुम क्राेधित हाे, ताे कट्टर धार्मिक और  तिकवादी तुमसे कहेंगे-‘यह ठीक नहीं है, क्राेध छाेड़ाे.’ एक परिपूर्ण मनुष्य बनने के लिए क्राेध करने की अनुमति नहीं है, एक पूर्ण मनुष्य क्राेधी बनकर नहीं रह सकता. यही कारण है कि भारत में तथाकथित धार्मिक लाेग, जीसस काे बहुत अधिक आदर नहीं दे सकते, क्याेंकि वहाँ ऐसे भी क्षण थे, जब वे क्राेधित हाे गये. यहूदियाें के मन्दिर में जीसस बहुत क्राेधित हाे गये. उन्हाेंने सूदखाेराें और धन उधार देने वालाें काे बाहर फेंक दिया. जीसस ताे क्राेधित हाे गये? इसका सामान्य अर्थ है कि वह एक अपूर्ण और अधूरे धार्मिक मनुष्य हैं. नैतिकतावादी कट्टर धार्मिक लाेग कहते हैं-‘क्राेध बिल्कुल नहीं.’नैतिकतावादी सबके खिलाफ है, क्राेध हाे या प्रेम. लेकिन एक जीवंत व्यक्ति ही क्राेधित हाे सकता है या प्रेम कर सकता है.
 
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