सादगी के साथ संत ज्ञानेश्वर व संत तुकाराम महाराज की पादुकाओं का देहू व आलंदी से प्रस्थान

AajKaAanad    01-Jul-2020
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पुंडलिका वरदे हरि विट्ठल के घोष से गूंज उठा परिसर आषाढी वारी के लिए आलंदी से संत ज्ञानेश्वर महाराज एवं देहू से संत तुकाराम महाराज की पादुका ३० जून की सुबह बस से पंढरपुर के लिए रवाना हुईं. बहुत ही कम वारकरियों की उपस्थिति में qदडी मपुंडलिका वरदे हरि विट्ठलफ के घोष के साथ निकाली गई.
 
बता दें कि कोरोना की पृष्ठभूमि पर इस साल पैदल वारी (पद-यात्रा) रद्द की गई है, मगर परंपरा खंडित न हो, इसके लिए संत ज्ञानेश्वर महाराज एवं संत तुकाराम महाराज की पादुकाएं बस से पंढरपुर के लिए रवाना हुईं. पादुकाएं मंगलवार की दोपहर तक वाखरी पहुंचेंगी तथा वहां से पंढरपुर तक पद-यात्रा होगी. मंगलवार की सुबह आलंदी माउली के समाधि मंदिर में महापूजा की गई. देहू में मुख्य मंदिर में श्री विट्ठल-रु्िनमणी की मूर्ति का अभिषेक किया गया.
 
इन कार्यक्रमो में संबंधित संस्थानों के ट्रस्टी एवं पालकी समारोह प्रमुख उपस्थित थे. परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी (१२ जून) को देहू से संत तुकाराम महाराज की पालकी तथा उसके दूसरे दिन अष्टमी (१३ जून) को संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी ने अलंकापुरी से प्रस्थान किया, मगर दोनों संतों की पादुकाएं वहीं रखी गईं. माउली की पादुका का मु्नकाम आजोलघरी में तथा तुकोबा की पादुकाओं का मु्नकाम मुख्य मंदिर स्थित भजनी मंडप में हुआ. इन दोनों मंदिरों में बिजली की आकर्षक रोशनाई की गई. साथ ही मनमोहक फूलों की आकर्षक सजावट भी की गई थी. पादुका लेकर जा रही एसटी बसों को भी फूलों से सजाया गया था. दोनों बसों को सोडियम हाइपो्नलोराइड एवं सैनिटाइजर से सैनिटाइज किया गया था. इस बसों की बम शोधक व डॉग स््नवॉड द्वारा भी जांच की गई