अधर्म नहीं, झूठी आस्तिकता से धर्म काे खतरा

03 Apr 2021 14:22:09
 

osho_1  H x W:  
 
 प्रश्न:  धर्म काे मारता काैन है?
 
पहले समझें कि धर्म काे जिलाता काैन है? क्याेंकि अगर हम जिलाने वाले काे पहचान लें, ताे मारनेवाले काे भी पहचान जायेंगे.
धर्म काे जिलाते हैं, इस जगत में जीवंत करते हैं वे लाेग जाे धर्म के अनुभव से गुजरते हैं. बुद्ध, जीसस, कृष्ण, माेहम्मद, जलालुद्दीन, नानक, कबीर ये धर्म के मृत प्राणाें में पुनरुज्जीवन फुनक देनेवाले लाेग हैं.फिर बांसुरी बज उठती है, जाे सदियाें से न बजी हाे. ठूंठ फिर हरे पत्ताें से भर जाते हैं, और फुलाें से लद जाते हैं जिन पर सदियाें से पत्ते न आये हाें. बुद्ध के जीवन में कहानी आती है -कहानी ही कहूंगा, क्याेंकि मैं नहीं मानता कि यह काेई तथ्य है; मगर प्रतीकात्मक है. बहुमूल्य है. सत्य है- तथ्य नहीं. जिस व्यक्ति ने स्वयं सत्य काे जाना है वह धर्म काे जीवित करता है र्सिफ वही, केवल वही. उसके छूने से ही धर्म जीवित हाे उठता है और उस धर्म काे मारनेवाले वे लाेग हैं, जिन्हाेंने स्वयं ताे अनुभव नहीं किया है, लेकिन जाे दूसराें के उधार वचनाें काे दाेहराने में कुशल हाेते हैं. पण्डित और पुराेहित का व्यवसाय क्या है!
 
 
उनका व्यवसाय है कि बुद्धाें के वचनाें काे दाेहराते रहें; बुद्धाें की साख का मजा लूटते रहें. बुद्धाें काे लगे सूली, बुद्धाें काे मिले जहर, बुद्धाें पर पड़े पत्थरऔर पण्डिताें-पुजारियाें पर, माैलवी-पाेपाें पर ूलाें की वर्षा! अभी तुम देखते हाे पाेप किसी देश में जाते है, ताे इतने लाेग देखने काे इकट्ठे हाेते हैं कि अभी ब्राजील में सात आदमी भीड में दबकर मर गये; और जीसस काे सूली लगी, तब सात आदमी भी जीसस काे प्रेम करने वाले भीड़ में इकट्ठे नहीं थे. सात यहां दबकर मर गये साधारण आदमी काे देखने के लिए जिसमें कुछ भी नहीं है! जिसके पाेप हाेने के पहले काेई एक आदमी देखने न आता. अभी सालभर पहले जब यह आदमी पाेप नहीं हुआ था, किसी काे नाम का भी पता नहीं था! किसी काे प्रयाेजन भी नहीं था. और ऐसा इस आदमी में कुछ भी नहीं है. लेकिन लाखाें लाेग इकट्ठे हाेंगे.
 
 
मगर धर्म काे काैन मारता है? नास्तिक ताे नहीं मार सकते. नास्तिक की क्या बिसात! लेकिन झूठे आस्तिक मार डालते हैं. और झूठे आस्तिकाें से पृथ्वी भरी है. झूठे धार्मिक मार डालते हैं. और झूठे धार्मिकाें का बड़ा बाेलबाला है. मंदिर उनके, मस्जिद उनके, गिरजे उनके, गुरुद्वारे उनके. झूठे धार्मिक की बडी सत्ता है! राजनीति पर बल उसका; पद उसका, प्रतिष्ठा उसकी; सम्मान और सत्कार उसका! हिंदू धर्म ने हिंदुओं काे मार डाला है. मुसलमान धर्म ने मुसलमानाें काे मार डाला है. जैन धर्म ने जैनाें काे मार डाला है. बाैद्ध धर्म ने बाैद्धाें काे मार डाला है. ईसाई धर्म ने ईसाईयाें काे मार डाला है. यह पृथ्वी मरे हुए लाेगाें से भरी है. इसमें मुरदाें के अलग-अलग मरघट हैं! काेई हिंदुओं का, काेई मुसलमानाें का, काेई जैनाें का वह बात और मगर सब मरघट हैं! तुम साेचते हाे अधार्मिक लाेग धर्म काे मारते हैं, ताे गलत. अधार्मिक की क्या हैसियत है कि धर्म काे मारे.
तुमने कभी देखा: अंधेरे ने आकर और दीये काे बुझा दिया हाे!
 
 
अंधेरे की क्या हैसियत कि दीये काे बुझाये! अंधेरा दीये काे नहीं बुझा सकता. अंधेरा धाेखा भी नहीं दे सकता आलाेक हाेने का. इसलिए इस बात काे बहुत गांठ में बांध लेना, भूलना ही मत कभी. इस दुनिया में धर्म काे खतरा अधर्म से नहीं हाेता; झूठे धर्म से हाेता है. असली सिक्काें काे खतरा कंकड़-पत्थराें से नहीं हाेता; नकली सिक्काें से हाेता है. नकली सिक्के चूकि असली सिक्काें जैसे मालूम पड़ते हैं, इसलिए असली सिक्काें काे चलन के बाहर कर देते हैं. यही नियम धर्म के जगत में भी लागू हाेता है. बुद्धाें काे चलन के बाहर कर देते हैं पण्डित पुराेहित. ये नकली सिक्के हैं. ईसा काे चलन के बाहर कर दिया ईसाई पादरियाें ने, लेकिन महावीर काे चलन के बाहर कर दिया जैन मुनियाें ने. कृष्ण काे चलन के बाहर कर दिया तथाकथित कृष्ण के उपासक, पुजारी, पण्डित- इन्हाेंने चलन के बाहर कर दिया. नकली सिक्के सस्ते भी मिलते हैं. असली सिक्काें के लिए कीमत चुकानी पड़ती है! और बड़े मजे की बातें हैं कि नकली सिक्के के लिए काेई श्रम ही नहीं उठाना पड़ता. असली सिक्के के लिए बहुत श्रम से गुजरना पड़ता है.
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