दवाओं से भी हाे सकते हैं कमजाेर !

    21-Dec-2022
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भाैतिकवादी संस्कृति ने जहां जीवन के प्रत्येक क्षेत्र काे प्रभावित किया है, वहीं मनुष्य का स्वास्थ्य अपनी सेहत की सही देखभाल नहीं कर पाता. बीमार हाेने की हालत में वह दवाओं का सेवन करके जल्द से जल्द ठीक हाेना चाहता है, लेकिन कुछ स्वस्थ व्य्नित भी खुद काे चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते हैं. इंसान का स्वस्थ रहना उसके खान-पान व उसके रहन-सहन पर निर्भर करता है, जबकि वे इसे दवाओं का लाभ समझता है. अनेक दवाएं ऐसी हैं, जाे लाभ की बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचाती हैं. कुछ दवाएं रिए्नशन करने पर जानलेवा तक साबित हाे जाती हैं, जबकि कुछ दवाएं मीठे जहर का काम करती हैं.कब्ज की दवा से पाचनतंत्र प्रभावित हाेता है. सर्दी, खांसी, जुकाम, सरदर्द और नींद न आने के लिए ली जाने वाली एस्प्रीन सालि सिलेट नामक रसायन हाता हे, जाे श्रवण केंद्रीय के ज्ञान तुतु पर विरीत प्रभाव डालता है. कुनेन का अधिक सेवन कर लेने पर व्य्नित बहरा हाे सकता है. ये दवाएं एक तरह से नशे का काम करती है.
 
नियमित रूप से एक ही दवा का इस्तेमाल करते रहने से दवा का असर कम हाेता जाता है और व्य्नित दवा की मात्रा में बढ़ाेतरी करने लगता है. दवाओं में अल्काेहल का भी अधिक प्रयाेग किया जाता है, जाे कि फेफड़ाें काे हानि पहुंचाती है. अधिकांश दवाएं शरीर के अनुकूल नहीं हाेतीं, जिससे ये शरीर में घुलमिल कर खाद्य पदार्थाें की भांति पच नहीं पाती हैं. नतीजतन, ये शरीर में एकत्रित हाेकर स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव डालती हैं.दवाओं में जड़ी-बुटियाें के अलावा खनिज लाेहा, चांदी, साेना, हीरा, पारा, गंधक, अभ्रक, मूंगा, माेती व संखिया आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही कई र्नत दवाओं में अफीम, अनेक जानवराें का र्नत व चर्बी आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है. सल्फा तथा एंटीबायाेटिक दवाओं के लंबे समय तक सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
चिकित्सकाें का कहना है कि मे्नसाफार्म, प्ले्नवान, एमी्नलीन, ्नलाेराे्नलीन व नियाे्नलीन आदि दवाएं बहुत खतरनाक हैं.