पुणे, 4 जून (आ.प्र.)
आयुर्वेद यह एक साधना है. ज्ञान केवल किताबों के आधार पर नहीं उसके लिए अनुभव भी होना जरूरी है. आयुर्वेद को पुन:प्रतिष्ठित प्राप्त कराके लिए समर्पित भावना की जरूरत है. यह आह्वान राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने किया. पत्रकार भवन के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी के हाथों देश के प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ.सुभाष रानडे व डॉ.सुनंदा रानडे को परिवर्तन आयुर्वेद जीवन गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया. इस अवसर पर वे बोल रहे थे.
कार्यक्रम में सिंबायोसिस के संस्थापक डॉ. शां.ब. मुजुमदार, नैक राष्ट्रीय मूल्यांकन और अधिस्वीकृति समिति के अध्यक्ष डॉ.भूषण पटवर्धन, परिवर्तन के अध्यक्ष डॉ. शैलेश गुजर, सचिव स्वरूपा गुजर आदि उपस्थित थे.
राज्यपाल ने कहा कि योग और आयुर्वेद का भारतीय ज्ञान दुनिया के लिए मार्गदर्शक है. ज्ञान अनुभव सिद्ध और उपयुक्त है. हमें आयुर्वेदिक उपचार पद्धति पर विश्वास रखना होगा. प्रकृति द्वारा दिए इस अद्भुत नजराने का रोगों के उपचार के लिए उपयोग करना चाहिए, इसके लिए हमें संस्कृत का अभ्यास करना होगा.