पिंपरी, 21 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पिंपरी-चिंचवड़ मनपा को लगा रिश्वतखोरी का ग्रहण कुछ भी करने पर छूट नहीं रहा है और घूसखोरी की परंपरा बरकरार है. वर्ष 1997 में चिंचवड़ के प्रेमलोक पार्क में फ्लैट का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 300 रुपये के रिश्वत के मामले से शुरु हुई घूसखोरी अब भी चल रही है. तत्कालीन मनपा आयुक्त के स्वीय सहायक से लेकर स्थायी समिति के अध्यक्ष तक को रेिशतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है. घूसखोरी के मामले से मनपा की छवि दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. पिंपरी मनपा की पहचान अमीर मनपा के रूप में है. इस समृद्ध मनपा के 33 अधिकारी और कर्मचारी अब तक भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के जाल में फंस चुके हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों को 100 रुपये से लेकर 12 लाख रुपये तक की रेिशत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इनमें से कुछ को सेवा से हटा दिया गया, वहीं कुछ को अदालत ने बरी कर देने से सेवा में बहाल कर दिया गया. इनमें तत्कालीन आयुक्त के स्वीय सहायक भी शामिल हैं. इसलिए मनपा में प्रशासन की रिश्वतखोरी बढ़ती ही जा रही है. हैरानी की बात यह है कि मनपा मुख्यालय में ही अधिकारियों व कर्मचारियों को रेिशत लेते रंगे हाथों पकड़ा जा रहा है. सरकारी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं. जनजागरूकता सभाओं और शिविरों के माध्यम से इसके महत्व से अवगत कराया जा रहा है. उसके बाद भी व्यवस्था में भ्रष्टाचार अब भी सामने आ रहा है. 17 फरवरी 1997 से 21 मार्च 2023 की अवधि के दौरान पिंपरी मनपा के 33 अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगेहाथों पकड़ा गया है. इनमें से कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को बरी कर दिया गया है और वे सेवा में शामिल हो गए हैं, वहीं एक अधिकारी को सेवा से हटा दिया गया है. मनपा के इतिहास में डिप्टी एकाउंटेंट अनिल बोथरा ने चिंचवड़ के प्रेमलोक पार्क में फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए 300 रुपये की रेिशत ली थी. इस मामले के साथ ही मनपा को घूसखोरी का ग्रहण लगा. बोथरा को 17 फरवरी 1997 को निलंबित कर दिया गया था. कुछ वर्षों के बाद, उन्हें मनपा सेवा में वापस ले लिया गया. अब तक घूसखोरी की 32 घटनाएं हो चुकी हैं और 33वीं कार्रवाई मंगलवार 21 मार्च को की गई. इससे मनपा में घूसखोरी एक बार फिर सामने आ गई है. इन घटनाओं से मनपा की छवि धूमिल हुई है. मनपा में नगरसेवकों का कार्यकाल 13 मार्च 2022 को समाप्त हो गया. उसके बाद पिछले साल से मनपा में प्रशासनिक शासन चल रहा है. इस दौर में भी मनपा में भारी धांधलियां चल रही हैं और इससे स्पष्ट होता है कि आयुक्त व प्रशासक शेखर सिंह का प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है.
कार्रवाइयों से लगेगी रिश्वतखोरी पर लगाम
मनपा आयुक्त व प्रशासक शेखर सिंह ने कहा कि पानी सप्लाई विभाग में एसीबी द्वारा की गई कार्रवाई काबिले तारीफ है. ऐसी कार्रवाइयों से रिश्वतखोरी के मामलों पर अंकुश लगाने व पारदर्शी काम होने में मदद मिलती है. आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहने से रिश्वतखोरी पर लगाम लगेगी.