शहर में फरवरी से ही पानी की किल्लत : टैंकरों की मांग बढ़ी

24 Mar 2023 16:17:29
 
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पुणे, 23 मार्च (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
फरवरी और मार्च महीने में गर्मी शुरू होने के पहले ही कुछ दिनों में पानी के टैंकरों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसके लिए मनपा की बढ़ती सीमा, निर्माण गतिविधि में वृद्धि जैसे कारण भी बताए जा रहे हैं. बता दें कि फरवरी में पानी के टैंकरों ने शहर में पुणे मनपा द्वारा निगरानी किए गए 7 वॉटर-लिफ्टिंग और डिस्ट्रिब्यूशन पाइंट से कुल 27,280 चक्कर लगाए. इसके उलट यही संख्या फरवरी 2022 में 25,702 और 2021 में सिर्फ 18,862 फेरों की रही थी. आंकड़े बताते हैं कि अधिक उपभोक्ता न केवल गर्मी के मौसम में बल्कि पूरे साल टैंकर के पानी की सोर्सिंग कर रहे हैं. निवासियों ने इस बढ़ती मांग पर चिंता जताई है और कहा कि मनपा प्रशासन को बेहतर योजना पर ध्यान देना चाहिए. वहीं मनपा के अधिकारियों का कहना है कि वे इक्विटेबल जलापूर्ति परियोजना पर काम कर रहे हैं और जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे को बेहतर बना रहे हैं, जिससे स्थिति में सुधार होगा. येवलेवाड़ी के निवासियों का कहना है कि साल बीत गए, लेकिन जलापूर्ति की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. दूसरी ओर, हाउसिंग सोसाइटियों का टैंकरों पर खर्च दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.
 
शहर की दूसरी ओर बावधन निवासी बताते हैं कि बावधन बुद्रुक, कोंढवे धावडे, न्यू कोपरे, शिवणे, किरकटवाडी, नांदोशी, उत्तमनगर, नऱ्हे, धायरी, आंबेगांव, सूस और म्हालुंगे क्षेत्र भी इस गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं. पुणे मनपा के जल आपूर्ति विभाग के प्रमुख अनिरुद्ध पावसकर ने इस संदर्भ में बताया है कि प्रशासन पानी की पाइपलाइन और टैंक बना रहा है. विलय किए गए गांवों में जलापूर्ति व्यवस्था के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार है. मनपा ने पहले ही कुछ सुविधाएं शुरू कर दी हैं. इन कार्यों में तेजी लाने के लिए महानगरपालिका के बजट में डेडिकेटेड फंड आवंटित किया जा रहा है. इस बीच, मनपा के साथ अनुबंध करने वाले टैंकरों के मालिकों का कहना है कि ये सेवाएं लाभदायक नहीं हैं. भले ही पानी मांग बढ़ गई हो, यह घाटे का व्यवसाय है. वे बताते हैं कि अगर किसी हाउसिंग सोसायटी को नागरिक प्रशासन की वजह से पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है, तो मनपा मुफ्त में पानी उपलब्ध कराता है. इससे टैंकरों की मांग बढ़ गई है. मनपा हमें विभिन्न सोसायटियों में पानी ले जाने के लिए परिवहन शुल्क देती है लेकिन इन शुल्कों को 5 वर्षों में नहीं बढ़ाया गया है. जबकि हमारा खर्च कई गुना बढ़ गया है. सजग नागरिक मंच के अध्यक्ष विवेक वेलणकर ने कहा है कि टैंकर लॉबी और कुछ नागरिक अधिकारियों की सांठगांठ है. इस धंधे में राजनेताओं की संलिप्तता इसे फलने-फूलने में मदद कर रही है. वे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में बाधा उत्पन्न करते हैं, जो उनके हितों की पूर्ति करता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पानी के टैंकर राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों द्वारा चलाए जाते हैं, जो पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और पानी की चोरी में भी शामिल हैं. उनका आरोप है कि वह अवैध पानी के नल और पानी के कनेक्शन प्रदान करने में मदद करते हैं. यही अंततः कई क्षेत्रों में पानी की कमी का कारण बनता है.
 
 
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पीएमसी ने दूरी और वाहन की जल-वहन क्षमता के आधार पर निजी टैंकरों के लिए दरें निर्धारित की हैं. यह इन टैंकर मालिकों के साथ लगभग 100 टैंकरों के साथ सालाना अनुबंध करता है. शहर में करीब 100 टैंकर चलते हैं. वे पुणे मनपा द्वारा निगरानी किए गए 7 वितरण केंद्रों से पानी उठाते हैं. लगभग 450 टैंकर मालिक स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. वे निजी कुओं या बोरवेल जैसे अन्य स्रोतों से पानी उठाते हैं, लेकिन मनपा के पास इन वाहनों का रिकॉर्ड नहीं है.
 
 
पीएमसी के चार्जेस
10,000 लीटर तक 604 रुपये
10,000 से 15,000 लीटर 951 रुपये
15,000 से 20,000 लीटर 1,341 रुपये
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