पुणे, 30 मार्च (शैलेश काले द्वारा)
महावितरण की तुलना में गैर-परंपरागत स्रोतों से कम दर पर बिजली (सौर ऊर्जा) प्रदान करने के लिए ‘महाप्रीत' (महात्मा फुले रिन्यूएबल एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी लिमिटेड) और पुणे मनपा के बीच कार्य में बड़ी वित्तीय अनियमितता दिखाई दे रही है. महाप्रीत पहले सांगली जिले में 2.82 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचा करता था, लेकिन बाद में पता चला कि उसने मनपा को 3.40 रुपये की दर से बिजली दी थी, मनपा और महाप्रीत ने 2.82 रुपये की दर तय की है. लेकिन दरें घटाने के बाद भी प्रथम दृष्टया यह संकेत मिल रहा है कि अनुबंध की शर्तों में बदलाव के कारण मनपा को 39 करोड़ रुपये अधिक चुकाने होंगे. राज्य में सत्ता परिवर्तन और मनपा में प्रशासन के मौके पर राजनीतिक हलकों में ‘अंधा पीसे, कुत्ता खाए' की स्थिति बन गई है. पुणे मनपा पिछले दो वर्षों से महावितरण के बजाय निजी संस्थाओं के माध्यम से खुले बाजार से बिजली खरीदने का प्रयास कर रही है. प्रारंभ में कंपनी ईएसएसएल से सौर ऊर्जा की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी. लेकिन इस संगठन के हटने के बाद राज्य सरकार द्वारा महाप्रीत से 200 मेगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के प्रस्ताव को पिछले साल मई में मंजूरी मिल गई थी. मनपा की मांग के मुताबिक इस कंपनी ने महावितरण से 1.80 रुपये प्रति यूनिट कम यानी 3.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचने की तैयारी की.
दावा है कि इससे हर साल 28 करोड़ रुपये की बचत होगी. महाप्रीत ने पहले 20 साल तक 3.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से और अगले 5 साल तक मुफ्त में बिजली देने की इच्छा जताई. एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई कि सौर ऊर्जा परियोजना के लिए जगह, परियोजना निर्माण, रखरखाव और मरम्मत जैसे सभी खर्चे महाप्रीत वहन करेगी. साथ ही, चूंकि इस परियोजना की लागत अधिक है, इसलिए महाप्रीत और मनपा को मिलाकर एक स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है. इसी बीच, इस संबंध में हुए समझौते के बाद यह देखने में आया कि महाप्रीत सांगली जिले में 2.82 यूनिट की दर से सौर बिजली बेच रहा है. इसलिए मनपा प्रशासन ने उसी दर पर बिजली की मांग की, जिसे महाप्रीत ने मंजूर भी कर लिया. इस मांग को स्वीकृत करते हुए पुरानी शर्त को हटाकर 2.82 रुपये प्रति यूनिट की दर से 25 वर्ष बिजली आपूर्ति की शर्त को बदल दिया गया है. पहले प्रस्ताव के मुताबिक मनपा को 20 साल तक करीब 1 हजार 50 करोड़ रुपए का भुगतान करना था. हालांकि, टैरिफ कम करने के बाद मनपा को करीब 1000 रुपये का भुगतान करना होगा. यानी रेट घटाने के बाद भी प्रथम दृष्टया यह देखा जा रहा है कि मनपा को करीब 38 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
एसपीवी स्थापना में विलंब -
सरकार की मान्यता प्राप्त संस्था होने के बावजूद महाप्रीत की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठ रहे हैं. अलग-अलग स्थानीय निकायों को बिजली की अलग-अलग दरें दिए जाने से यह घोटाला सामने आया है. सौर ऊर्जा परियोजना के लिए मनपा और महाप्रीत ने संयुक्त रूप से एसपीवी का गठन किया. स्थापित करने के लिए समझौते पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे. इस परियोजना के लिए आवश्यक इक्विटी पूंजी का 80 प्रतिशत खुले बाजार से और शेष 20 प्रतिशत पूंजी महाप्रीत और मनपा की इक्विटी से जुटाई जाएगी. शेष 20 प्रतिशत शेयर पूंजी में 74 प्रतिशत महाप्रीत और शेष 26 प्रतिशत मनपा के पास होगी. एसपीवी पर हस्ताक्षर करने के बाद महाप्रीत के साथ अनुबंध में यह निर्धारित किया गया है कि इसे 60 दिनों के भीतर स्थापित किया जाना चाहिए. लेकिन इस अवधि को 5 महीने बीत चुके हैं और अभी तक एक भी एसपीवी स्थापित नहीं की गई है. मनपा ने इस संबंध में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से भी पत्राचार किया है. लेकिन नगर विकास विभाग से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण परियोजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं.
पुराने 9 एसटीपी के लिए महाप्रीत खुद सलाहकार
महाप्रीत कंपनी द्वारा सौर ऊर्जा की खरीद एक साल से ठप है. सरकार की मान्यता प्राप्त संस्था होने के बावजूद इस कंपनी ने दो अलग-अलग जिलों में स्थानीय निकायों को दो अलगअलग रेट दिए हैं. इस बीच, इस कंपनी को पुणे मनपा द्वारा शहर में पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी प्लांट्स) के जीर्णो द्धार के काम के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है. एक ओर जापान स्थित जायका कंपनी के माध्यम से केंद्र सरकार के सहयोग से शहर में नए 11 एसटीपी स्थापित किए गए हैं. निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए खुद जायका कंपनी ने फंड उपलब्ध कराया है. वहीं, पुराने प्रोजेक्ट्स के लिए बिना किसी टेंडर प्रक्रिया या एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के महाप्रीत को सीधे काम दिया गया है, क्योंकि यह राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त संस्था है. इससे महाप्रीत और मनपा के मामलों में शक और गहरा गया है.
राज्य सरकार से पत्रव्यवहार जारी
यह महसूस करने के बाद कि महाप्रीत ने सांगली की तुलना में पुणे मनपा को अधिक दर दी थी, प्रस्ताव को संशोधित और मंजूर किया गया था. यह बात सही है कि नए रेट के हिसाब से मनपा को 25 साल में करीब 38 करोड़ रुपए और चुकाने होंगे. लेकिन यह भी एक तथ्य है कि बिजली का बिल (ईएमआई) हर साल कम होगा. एसपीवी को स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के नगर विकास विभाग से लगातार पत्राचार किया जा रहा है. - श्रीनिवास कांदुल, चीफ इंजीनियर, विद्युत विभाग, पुणे मनपा.