पिंपरी, 5 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पिंपरी-चिंचवड़ शहर के नालों में गंदगी की समस्या गंभीर हो गई है. पिंपले गुरव में कुल मिलाकर सफाई जीरो है और वाकड़ के नालों में घरों व सोसायटियों का मैला छोड़ा जाता है. मनपा द्वारा शहर के 148 नालों की सफाई का काम शुरू करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हालात ‘जस के तस' बने हुए हैं. दिखावे के लिए नालों की सफाई होती है और उसके बाद नालों में फिर गंदगी जम जाती है. यानी हालात ‘ढाक के तीन पात' जैसे ही है. नालों की सफाई का काम पूरा करने के लिए मनपा प्रशासन ने संबंधित विभाग को 31 मई की डेडलाइन दी है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि, निर्धारित डेडलाइन से पहले क्या सफाई का काम पूरा होगा? बता दें कि, पिंपरी-चिंचवड़ शहर में 148 छोटे-बड़े नाले हैं. ‘अ' प्रभाग में 25, ‘ब' में 15, ‘क' में 29, ‘ड' में 12, ‘ई' में 16, ‘फ' में 19, ‘ग' में 12 और ‘ह' में 20 नाले हैं. मनपा द्वारा निर्मित (संकुचित) नालों की साल भर सफाई की जाती है. बाकी नालों की मानसून से पहले सफाई कर दी जाती है. बारिश के दिनों से पहले मनपा द्वारा शहर में नालों की सफाई का काम किया जाता है. नालों की सफाई का अभियान अप्रैल से ही शुरू कर दिया गया है.
मनपा का दावा है कि अभी तक 30 फीसदी काम पूरा हो चुका है, लेकिन वास्तविक स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत है. पिंपले गुरव स्थित एक.एस. काटे चौक में इस्तेमाल किया हुआ पानी बहाकर ले जाने वाले नाले में मैला भी मिश्रित हो रहा है. बारिश के दिन शुरू होने से पहले नालों की सफाई जरूरी होने के बावजूद यह देखने में आ रहा है कि, मनपा इस विषय को साफ नजरअंदाज कर रही है. नालों में कचरा, प्लास्टिक, पेड़ों की टहनियां आदि जमा होने से मैलायुक्त पानी रुका हुआ है, जिससे बदबू फैलकर संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बना हुआ है. मनपा द्वारा सफाई हेतु की जा रही हलचल महज दिखावा लग रही है. वाकड़ में लगभग 10 से 12 सोसायटियों के परिसर से बहने वाले प्राकृतिक नाले में विभिन्न सोसायटियों, घरों व लेबर कैंप का मैला व गंदा पानी छोड़ने से इसका रूप विद्रुप हो गया है. कुछ क्षेत्रों के निवासियों को गंदगी व उग्र दुर्गंध से परेशानी हो रही है. वाकड़ की सोसायटियों से बहने वाले नाले से दुर्गंध व मच्छरों की समस्या तो पैदा हुई ही है और बारिश के दिनों में यह मसला और भी गंभीर हो जायेगा. वजह यह है कि, बारिश के दिनों में नाला ओवरफ्लो होने पर कुछ सोसायटियों में इसका पानी घुस जाता है. लोगों का यह भी कहना है कि, कुछ लोगों की पीने के पानी की टंकी में यह पानी मिल जाता है.
अश्विनी जगताप ने किया था निरीक्षण
विधायक अश्विनी जगताप ने 15 दिन पहले मनपा के अधिकारियों के साथ नालों का निरीक्षण किया था. नालों की गंदगी देखकर उन्होंने अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई और नालों की सफाई करके उन्हें पूरी तरह से कवर करने का निर्देश दिया था. इसके बाद कुछ हद तक राहत मिली थी. नालों में ड्रेनेज का पानी व मैला छोड़ने वाली कुछ सोसायटियों को नोटिस दिये गये थे. यहां कांक्रीट रोड व ड्रेनेज लाइन का काम चल रहा है, लेकिन मैलायुक्त पानी अब भी नाले से बह रहा है. इस पर अब तक ठोस उपाय नहीं किये गये हैं.
सभी क्षेत्रों में हो रही नालों की सफाई : देशपांडे
मनपा के स्वास्थ्य कार्यकारी अधिकारी गणेश देशपांडे ने कहा, नालों की सफाई के लिए मनपा आयुक्त ने बीआरटी व स्थापत्य विभाग को आवश्यक मशीनरी जेसीबी, पोकलेन, केकड़ा (जहां जेसीबी नहीं जाती) आदि स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. इसके अनुसार मशीनरी उपलब्ध करा दी गई है और नालों की सफाई का काम जारी है. सभी 8 क्षेत्रीय कार्यालयों की सीमा में काम चल रहा है. नालों, स्ट्रॉम वॉटर पुल के नीचे का बंद पाइप (सीडी वर्क) वाले स्थान की सफाई की जा रही है. नालों की लंबाई 1 लाख 1 हजार 920 मीटर है, जबकि चौड़ाई 739 मीटर है.