गुरुवार पेठ, 30 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
श्री गोड़ीजी पोर्शनाथ जिनालय के विशाल परिसर में पन्यास राजरक्षितविजयजी, पंन्यास नयरक्षितविजयजी, साधु-साध्वीजी के पावन निश्रा में संगीत-सजावट एवं समर्पण भाव के साथ प्रभु मिलन का भव्य कार्यक्रम हुआ. पं.राजरक्षितविजयजी ने कहा कि अनंतकाल संसार में भटकते-भटकते हमने जीवन में दुःखों को सहन किया है और दोषों को तगड़ा किया है. आज वे छोटे दोषरूपी सांप बड़े कोबरा सांप बन गये हैं और आत्मा को बंधन में ले लिया है. आत्मा क्रोध-मान-माया-लोभ आदि से अनेक बार पराजित हो चुकी है. अब, यदि हम इन कषाय से मुक्त होना चाहते हैं, तो हमें कषायरहित भगवान अरिहंत की शरण में जाना होगा. उन्होंने आगे कहा कि प्रभु का आश्रय लेने वाला संसार सागर पार उतर कर ही रहता है.
जो पूरे दिल से भगवान का भजन करता है वह कभी निराश नहीं होता. प्रभु पर वेिशास रखने से डिप्रेशन-स्ट्रेस-टेंशन आदि की मात्रा कम हो जाती है. आत्महत्या करने जैसे जोखिम भरे निर्णय लेने से बच जाते है. प्रभु से सच्चे दिल से की गई प्रार्थना कभी विफल नहीं होती. प्रभु की प्रार्थना आत्मोत्थान की सरल सीढ़ी है. आज का विज्ञान भी प्रभु प्रार्थना पर वेिशास रखता दिखाई देता है. सर्जन ऑफ अमेरिका एसोसिएशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-अमेरिका हार्ट इंस्टीट्यूट में एक हजार मरीजों पर एक अध्ययन किया गया और मरीज के नाम के साथ प्रार्थना समूह में भगवान से चार सप्ताह तक प्रार्थना करने के बाद मरीज के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता हुआ दिखाई दिया. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल स्टडीज के डॉ. अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि ऑपरेशन से पहले मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मरीज का ऑपरेशन सफल हो. इससे मुझे अच्छा रिजल्ट मिलता है. मिलनबेन भरतभाई शाह, सौ करिश्मा भाविकभाई शाह ने दीप जलाकर प्रभुमिलन की शुरुआत की