सिंहगढ़, 3 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
शहर में लगातार बारिश जारी है. इस बारिश के कारण सिंहगढ़ घाट सड़क पर चार से पांच स्थानों पर पहाड़ी धसने की घटनाएं घटी हैं. यह घटना रात के समय पर घटने से कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन रविवार को दिन में घाट सड़क पर पर्यटकों की गाड़ियों की कतारें लगी थी, उस वक्त पहाड़ी धंसने की घटना होती तो बड़ा नुकसान हो सकता था. सिंहगढ़ घाट सड़क पर हर वर्ष बारिश के मौसम में पहाड़ी धंसने की घटनाएं घटती है. पिछले वर्ष पहाड़ी धंसकर एक युवा ट्रेकर की मृत्यु हो गई थी. साथ ही पहाड़ी का हिस्सा धंसने से कई बार घाट सड़क यातायात के लिए बंद करनी पड़ती थी. इस खतरनाक बने पहाड़ी के बारे में प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के बाद पहाड़ी धंसने से बचाने के कार्य हेतु करीब डेढ़ करोड़ रुपयों का फंड वन विभाग ने एक वर्ष पहले पीडब्ल्यूडी विभाग को ट्रांसफर किया था. लेकिन अब तक इस कार्य का बजट भी मंजूर नहीं हुआ है.
इस वर्ष बारिश शुरू होने के बाद बड़े पैमाने पर पहाड़ी का खतरनाक हिस्सा धंसने की शुरुआत हुई. पिछले सप्ताह पुणे दरवाजे के नजदीक ऊंचाई से पत्थर गिरे थे. अब इस घाट सड़क पर चार से पांच स्थानों पर पहाड़ी धंसकर मिट्टी और पत्थर सड़क पर आए हैं. सबसे खतरनाक स्थान होने वाले घाट सड़क के पहले तीव्र मोड़ पर बड़े पैमाने पर पहाड़ी धंस गई है. आधी सड़क पर मिट्टी और पत्थर का ढेर जमा हो गया. अच्छी बात यह है कि रात में घटना घटने से इसमें किसी को चोट नहीं आयी. लेकिन वन विभाग व सार्वजनिक कंस्ट्रक्शन विभाग में समन्वय नहीं होने से पर्यटकों की जान के लिए खतरा निर्माण हो गया है. वन विभाग के अधिकारियों द्वारा सिंहगढ़ के नीचे जांच नाका पर शुल्क जमा करने पर ध्यान दिया जाता है. दूसरे किसी काम पर वन विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं देने का आरोप नागरिकों ने लगाया है. उचित ध्यान नहीं देने से पर्यटकों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
उचित प्रबंधन करना जरूरी
शनिवार व रविवार के साथ सार्वजनिक अवकाश के दिन सिंहगढ़ पर करीब 15 हजार से 20 हजार पर्यटक आते है. संकरे घाट सड़क पर चार से पांच किलोमीटर तक गाड़ियों की लंबी कतारें लगती है. ऐसे में पहाड़ी धंसने पर बड़ा हादसा हो सकता है. घाट सड़क पर होने वाले यातायात समस्या हल करने प्रशासन द्वारा कोई ठोस उपायों पर अमल नहीं होता. साथ ही पहाड़ी धंसने से रोकने जरूरी उपायों पर अमल भी नहीं किया जा रहा है. इस बारे में उचित प्रबंधन कराने की मांग पर्यटकों तथा स्थानीय नागरिकों द्वारा की जा रही है.