मीडिया जगत को ‘राष्ट्र प्रथम' के सूत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

21 Aug 2023 11:22:04
 
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पुणे, 20 अगस्त (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
 
सोशल मीडिया के प्रभाव से मीडिया जगत्‌‍ लोकतांत्रिक होता जा रहा है. इसके जरिए हर व्यक्ति अभिव्यक्ति का माध्यम बन रहा है, लेकिन मीडिया जगत्‌‍ को ‘राष्ट्र प्रथम' के सूत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने यह राय व्यक्त की. वेिश संवाद केंद्र पश्चिम महाराष्ट्र और डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित देवर्षि नारद पत्रकारिता पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर पूनावाला बोल रहे थे. इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले शहर के ‘दिव्य मराठी' के ब्यूरो चीफ अनिरुद्ध देवचक्के, ‘जी 24 तास' के वरिष्ठ पत्रकार अरुण मेहेत्रे, ‘पुढारी' की संवाददाता सुषमा नेहरकर और सोशल मीडियाकर्मी आशुतोष मुगलीकर को देवर्षि नारद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मंच पर डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के काउंसिल और गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष डॉ. शरद कुंटे, विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष धनंजय कुलकर्णी, अभय कुलकर्णी आदि मौजूद थे.
 
 
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यह वर्ष देवर्षि नारद पुरस्कारों का 12 वां वर्ष है. पुरस्कार के रूप में वरिष्ठ पत्रकारों को 21,000 रुपये और अन्य तीन पुरस्कार 11,000 रुपये और देवर्षि नारद की मूर्ति दी गई. इस अवसर पर डॉ. सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग प्रमुख संजय तांबट और पुणे श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष पांडुरंग सांडभोर का भी सम्मान किया गया. पूनावाला ने कहा कि आज सोशल मीडिया पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकता. आम आदमी इन माध्यमों का आसानी से उपयोग कर रहा है. हालांकि यह तस्वीर सकारात्मक है, लेकिन समाज के सामने कुछ चुनौतियां भी खड़ी हुई हैं. समाज के नेताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे मीडिया के सकारात्मक एवं विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ाने के प्रयास करें. फर्जी खबरों को रोकने के लिए हमेशा सतर्कता बरतना जरूरी है. इसलिए मीडिया और नागरिकों के लिए जरूरी है कि वे राष्ट्र की भूमिका को सर्वोपरि रखते हुए मीडिया का उपयोग करें. अभय कुलकर्णी ने कहा, हमने 75 साल पहले राजनीतिक आजादी हासिल कर ली है, लेकिन मानसिक आजादी हासिल करना जरूरी है. उसके लिए राष्ट्रीय चिंतन आवश्यक है.
 
हम अपनी संस्कृति में देवर्षि नारद को प्रथम पत्रकार मानते हैं. हम हर साल उनके नाम पर पुरस्कार देते हैं. पुरस्कार विजेताओं का चयन एक विशेष समिति द्वारा इस आधार पर किया जाता है. डॉ. शरद कुंटे ने कहा, 138 साल से संस्था राष्ट्रीय विरासत को साथ लेकर काम कर रही है. समय के साथ आने वाली चुनौतियों को सही तरीके से हल करने के लिए काम किया जा रहा है. स्वतंत्रता-पूर्व काल से ही यूनिवर्सिटीज में राष्ट्रीय विचार का प्रचार-प्रसार होता रहा है. स्वतंत्रता सेनानी सावरकर ने फर्ग्यूसन महाविद्यालय से युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने का काम शुरू किया. इसलिए बहुत से लोग उनके पवित्र स्थान पर विजिट करने आते हैं. फर्ग्यूसन से शिक्षा लेकर देश के अनेक सिद्ध व्यक्तियों ने सफलतापूर्वक प्रगति की है. संस्थान राष्ट्रीय शिक्षा और पहचान की भावना पैदा करने के लिए काम कर रहा है.
 
आशुतोष मुगलीकर ने कहा कि आज के सोशल मीडिया के युग में फर्जी खबरें तेजी से फैल रही हैं और इसका असर समाज पर पड़ रहा है. इसलिए समय रहते सच्चाई की मदद से इन चीजों को रोकने का प्रयास करना चाहिए. समाज में जो गलत है उस पर हमें अपनी बात रखनी चाहिए. अंग्रेजों के आने से पहले, हम विभिन्न प्रकार की पोषक फसलें उगाते थे, लेकिन अब शहरी ग्राहक ही पोषक और विष-मुक्त खाद्यान्न खरीद रहे हैं. शहरी उपभोक्ताओं को अब पहल करनी चाहिए और किसानों को पौष्टिक खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. नेहरकर ने कहा कि आज फैमिली डॉक्टर की नहीं बल्कि फैमिली फार्मर की जरूरत है. अनिरुद्ध देवचक्के ने कहा, आज का दिन खुशी और सौभाग्य का दिन है. त्रिवेणी संगम का आज संयोग बना है, क्योंकि राष्ट्रीय विचार का प्रचार करने वाले वेिश संवाद केंद्र और डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के सहयोग से शब्द प्रभु देवर्षि नारद के नाम पर पुरस्कार मिलना महत्वपूर्ण है. इस पुरस्कार ने हमारी जिम्मेदारी बढ़ा दी है.
 
मैं यह पुरस्कार अहमदनगर के अपने साथी मित्रों और पत्रकारों को समर्पित करता हूं. अरुण मेहेत्रे ने कहा, मैंने फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई की है और आज उसी स्थान पर पुरस्कार प्राप्त करना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है. वसुंधरा काशीकर ने सूत्र-संचालन किया. दीपा भंडारे ने नारद स्तवन प्रस्तुत किया. डेक्कन एजुकेशन सोसायटी के सचिव धनंजय कुलकर्णी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
 
 मीडिया का स्वरूप बदला ः शहजाद पूनावाला
 
 
पूनावाला ने कहा कि स्वतंत्रता-पूर्व काल में मीडिया ने लोगों में जनजागरूकता और चेतना पैदा करने का काम किया. मीडिया ने भारतीयों में स्वदेशी और स्वशासन की भावना जगाने का महान कार्य किया. स्वतंत्रता के बाद मीडिया का स्वरूप बदल गया. मीडिया जगत्‌‍ की सत्ता कुछ लोगों के हाथों में सीमित हो गई, जिससे नागरिकों की आकांक्षाओं और उनकी समस्याओं को मीडिया में जगह मिलना मुश्किल हो गया. पूनावाला ने कहा कि सोशल मीडिया आम जनों के नियंत्रण में आने से मीडिया जगत्‌‍ का लोकतांत्रिकरण हो रहा है. यह एक स्वागत योग्य बात है कि आम आदमी अब मीडिया के केंद्र में ह
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