पुणे, 8 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
देश के प्रत्येक नागरिक के मन में देशभक्ति की भावना होनी चाहिए.जिससे देशभक्तों का निर्माण होगा और देश की प्रगति को और अधिक गति मिलेगी. यह विचार छठे राष्ट्रभक्ति साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और तरुण भारत के सलाहकार संपादक और लोकमान्य मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसायटी के संस्थापक-अध्यक्ष किरण ठाकुर ने व्यक्त किए. रविवार 7 जनवरी को कर्नाला चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा पुणे के भावे प्राथमिक स्कूल के सभागृह में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन कॉसमॉस को- ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष प्रवीण गांधी के हाथों किया गया. इस कार्यक्रम में किरण ठाकुर बोल रहे थे. यहां ज्वाइंट चैरिटी कमिश्नर एस.एम.बुके, ब्रिगेडियर डॉ. सुनील बोधे, स्वागताध्यक्षा व साहित्यकार चंद्रलेखा बेलसरे, डॉ. स्वयंप्रभा मोहिते पाटिल, वरिष्ठ समाजसेविका मायाताई प्रभुणे, ट्रस्ट के सर्वे सर्वा देशभक्त कोषकार चंद्रकांत शहासने, कार्याध्यक्षा एड्. नंदिनी शहासने आदि गणमान्य उपस्थित थे.
इस अवसर पर चंद्रलेखा बेलसरे को ‘उर्मिलाताई कराड जीवन गौरव पुरस्कार' से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही स्मारिका और वेवसाइट का भी लोकार्पण किया गया. सम्मेलनाध्यक्ष किरण ठाकुर ने स्वतंत्रता संग्राम, संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई, गोवा मुक्ति संग्राम के विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि नए निर्माण के लिए दीवानगी आवश्यक है. शिवशाहिर बाबासाहेब पुरंदरे ने महाराष्ट्र सहित देश भर में शिवचरित्र को पहुंचाने का कार्य किया है.
केवल महाराष्ट्र नहीं देश भर में राष्ट्रभक्ति हेतु जागरण होना समय की मांग है. राष्ट्रभक्ति का मतलब छत्रपति शिवाजी महाराज. उनको आदर्श मानकर राष्ट्रभक्ति की ज्योति सभी के मन में जलानी चाहिए. प्रवीण गांधी ने कहा कि प्रत्येक स्कूल तक राष्ट्रभक्ति की ज्योति ले जाने और विद्यार्थियों के मन में उसे प्रज्ज्वलित करने का शहासने का कार्य अतुलनीय है. छोटी उम्र के संस्कार ही बच्चों पर स्थायी होते हैं. एस.एम.बुके ने कहा कि राष्ट्रभक्ति बड़ा नहीं छोटा ही शब्द है. राष्ट्रभक्ति प्रत्येक व्यक्ति के दिल और दिमाग में होनी चाहिए. बेलसरे ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी में सुसंस्कृत नागरिक तैयार करना उनमें राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम पैदा करना महत्वपूर्ण है. भविष्य में सुराज्य लाने के लिए सभी को कटिबद्ध होना चाहिए. इनके अलावा ब्रिगेडियर सुनील बोधे ने भी संबोधित किया.