चुने हुए सरपंच काे पद से हटाना गलत: SC

07 Oct 2024 12:13:24

SC

सुप्रीम काेर्ट ने बाॅम्बे हाईकाेर्ट के फैसले काे रद्द करते हुए अपना फैसला सुनाया जिसमें कहा कि चुने हुए सरपंच काे पद से हटाना गलत है.जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधि काे हटाना उनके साथ अन्याय है. कार्यकाल पूरा हाेने तक उन्हें पद पर रहने का अधिकार है. गाैरतलब है कि जलगांव में एक महिला सरपंच चुनी गई थी. गांववालाें के विराेध के चलते कले्नटर ने उस पद से हटा दिया.बाॅम्बे हाईकाेर्ट ने भी कले्नटर के निर्णय काे बरकरार रखा, लेकिन सुप्रीम काेर्ट के निर्णय ने सभी के फैसलाें काे पलट दिया. ग्राम पंचायत सरपंच काे पद से हटाने के मामले काे सुप्रीम काेर्ट ने गंभीरता से लिया है.जस्टिस सूर्यकांत और उज्जवल भुइया की पीठ ने कहा कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि काे हटाने काे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, खासकर ग्रामीण क्षेत्राें की महिलाओं के मामले में. 27 सितंबर काे सप्रीम काेर्ट ने बाॅम्बे हाईकाेर्ट के फैसले काे पलटते हुए सरपंच काे कार्यकाल पूरा हाेने तक बहाल करने का आदेश दिया. बेंच ने कहा - यह क्लासिक केस है.
 
एक महिला गांव से चुनी जाती है और सरपंच के पद पर हाेती है. यह बात ग्रामीणाें काे मंजूर नहीं है. वे निराश हैं, क्याेंकि उन्हें उनके निर्देशाें का पालन करना पड़ता है.ग्रामीण इस बात काे स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि महिला सरपंच है. दरअसल, महाराष्ट्र के जलगांव में विचखेड़ा ग्रामपंचायत की सरपंच मनीषा रवींद्र पानपाटिल ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई काे लेकर याचिका दायर की थी. ग्रामीणाें की शिकायत के बाद उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया गया. मनीषा पर सरकारी जमीन पर बने मकान में अपनी सास के साथ रहने का आराेप था. पानपाटिल ने इस आराेप का खंडन किया. उन्हाेंने बताया कि वह अपने पति और बच्चाें के साथ किराए के मकान में रहती हैं. सुप्रीम काेर्ट ने कहा कि यह स्थिति तब और गंभीर हाेती जा रही है जब देश में सरकारी कार्यालयाें और संस्थानाें समेत सभी क्षेत्राें में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य अपनाया जा रहा है. जमीनी स्तर पर ऐसे उदाहरण हमारी किसी भी प्रगति पर बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं. पीठ ने यह भी कहा कि महिलाएं बड़े संघर्ष के बाद ही ऐसे सार्वजनिक कार्यालयाें तक पहुंचने में सफल हाेती हैं.
Powered By Sangraha 9.0