चाकण एमआईडीसी से उद्योग दूसरे राज्यों में जा रहे : सुप्रिया सुले

सांसद ने ट्वीट कर राज्य सरकार पर साधा निशाना; ट्रैफिक जाम, इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में कंपनियां कर रहीं पलायन

    07-Oct-2024
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supriya
 
चाकण, 6 अक्टूबर (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, लगातार ट्रैफिक जाम और अनियंत्रित विकास ने चाकण औद्योगिक एस्टेट में उद्यमियों को परेशान कर दिया है. इसका असर मुख्य रूप से यहां की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर पड़ा है और हड़कंप मच गया है.क्योंकि कई कंपनियां यहां से पलायन करने लगी हैं. सांसद सुप्रिया सुले ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्ीवट कर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. सांसद सुले ने कहा, चाकण एमआईडीसी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अत्यधिक बोझ है. सरकारी एजेंसियों की ओर से बैठकें करने के अलावा कोई कदम नहीं उठाया जाता है. इसकी वजह से अब तक चाकण एमआईडीसी से करीब 50 कंपनियां गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में स्थानांतरित हो चुकी हैं, पुणे में आईटीयंस भी परेशान हैं.
 
कुछ दिन पहले एक इंटरनेशनल कंपनी पुणे आने के लिए इच्छुक थी. कंपनी की टीम पुणे आई. सुबह एयरपोर्ट पर उतरने के बाद कार से खराड़ी में आईटी पार्क देखा और फिर हिंजवड़ी जाने के लिए निकले. खराड़ी से हिंजवड़ी की दूरी तय करने में उन्हें साढ़े 4 घंटे लगे. खराब सड़कों और ट्रैफिक जाम के कारण संबंधित कंपनी के लोग दोबारा पुणे नहीं आये. सड़कों की खराब हालत और ट्रैफिक जाम के कारण नई कंपनियां तो नहीं आ रहीं, बल्कि यहां स्थित कंपनियां दूसरे राज्यों में जाने लगी हैं. इसलिए, यह अनुमान लगाया गया है कि भविष्य में पुणे में रोजगार की समस्या गंभीर रूप से प्रभावित होगी. पुणे में चाकण इंडस्ट्रियल एस्टेट को ऑटोमोबाइल हब के रूप में जाना जाता है.
 
महिंद्रा, ब्रिजस्टोन, मर्सिडीज बेंज, वोक्सवैगन, बॉश सहित कई विश्व स्तरीय कंपनियां यहां काम कर रही हैं. लेकिन, औद्योगिक क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए सड़क नेटवर्क अपर्याप्त और संकीर्ण है. वहीं हाई-वे पर लगातार ट्रैफिक जाम की वजह से फैक्ट्रियों को नुकसान हो रहा है. ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जुलाई महीने में एक उच्च स्तरीय बैठक की थी और उद्योगपतियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिया था. लेकिन, ऐसा लगता है कि विभागों ने इस सुझाव को डस्टबिन में डाल दिया है.
 
नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरा
चाकण एमआईडीसी की किसी भी सड़क से आप निकलेंगे तो आपको सड़कों के किनारे कचरे के ढेर दिखेंगे. एमआईडीसी की कचरा प्रबंधन नीति केवल कागजों पर है क्या? यह सवाल उठ रहा है. चाकण औद्योगिक क्षेत्र में कंपनियों का गंदा पानी, केमिकलयुक्त पानी जमीन में गहरे गड्ढे करके बहाये जाने के कारण क्षेत्र के कुओं, नालों, भामा नदी और बोर का पानी दूषित हो गया है. लेकिन, प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
 
कंपनियों की उत्पादकता पर पड़ रहा असर
औद्योगिक क्षेत्र की कुछ सड़कों का नवीनीकरण बहुत धीमी गति से हो रहा है. इससे सड़कों पर ट्रैफिक जाम के साथ-साथ दुर्घटनाएं भी बढ़ गई हैं. इसका असर कंपनियों की उत्पादकता पर पड़ रहा है. सुबह व शाम 6 घंटे तक भारी यातायात बंद किया गया है. इससे कंपनियों को कच्चा माल और तैयार उत्पाद समय पर बाजार तक पहुंचाने में देरी हो रही है. इस संबंध में व्यापारिक संगठनों द्वारा बार-बार शिकायतें की जा रही हैं. लेकिन, महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल के अधिकारियों के साथ कई बैठकें होने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हो रही है.
 
नेताओं का बढ़ रहा हस्तक्षेप
चाकण एमआईडीसी में माथाड़ी और कामगार आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों द्वारा कंपनी के अधिकारियों को लगातार आतंकित करने की कई घटनाएं अब तक सामने आ चुकी हैं. लेकिन, इनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. राजनीतिक नेताओं का बढ़ता हस्तक्षेप अपराध को बढ़ाने में योगदान दे रहा है. ट्रैफिक जाम, कचरा प्रबंधन, बिजली, बढ़ते अपराध और पानी जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण चाकण से 50 कंपनियां दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गई हैं. इसके साथ ही अभी कई कंपनियां बाहरी राज्यों में जगह तलाश रही हैं. अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रैफिक जाम ने यहां उद्योगों का दम घोंट दिया है. फेडरेशन ऑफ चाकण इंडस्ट्रीज के अनुसार, ट्रैफिक जाम के कारण कर्मचारियों का प्रतिदिन आने-जाने में 2 से 3 घंटे का समय बर्बाद होता है और उत्पादकता प्रभावित होती है.