खड़कवासला, 20 नवंबर (आ.प्र.)
भाजपा द्वारा चार बार जीते गए खड़कवासला विधानसभा क्षेत्र में इस बार मनसे की एंट्री ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया. प्रचार अभियान के दौरान भाजपा के मौजूदा विधायक भीमराव तापकीर की जीत को लगभग तय माना जा रहा था. लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के उम्मीदवार सचिन दोड़के ने आखिरी समय तक अपनी चुनावी रणनीति को मजबूती से लागू किया, जिससे मुकाबला रोचक हो गया. नवीनतम जानकारी के अनुसार, खड़कवासला में 56.53% मतदान हुआ. खड़कवासला पिछले कुछ वर्षों से भाजपा का गढ़ बना हुआ है. विधानसभा, लोकसभा और मनपा चुनावों में भाजपा का दबदबा रहा है. इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच है.
हालांकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस के भीतर लंबे समय से चल रहे आंतरिक संघर्ष और भाजपा के प्रति मतदाताओं की नाराजगी के कारण तस्वीर कुछ बदली हुई है. भाजपा के भीतर भी इस बार असंतोष देखने को मिला, क्योंकि तापकीर के खिलाफ 11 उम्मीदवारों ने टिकट की मांग की. इससे यह चर्चा तेज हो गई थी कि खड़कवासला में इस बार हवा बदल सकती है. मनसे ने इस बार पूर्व विधायक रमेश वांजले के बेटे और युवा नेता मयूरेश वांजले को उम्मीदवार बनाया, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) ने सचिन दोड़के को फिर से मौका दिया. इससे राष्ट्रवादी कांग्रेस के भीतर नाराजगी बढ़ी. भाजपा ने अंततः भीमराव तापकीर को टिकट दिया.