इंडियन नेवी ने बुधवार काे के-4 बैलिस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की.यह टेस्टिंग न्यूक्लियर सबमरीन अरिघात से की गई थी. अरिघात काे 2017 में लाॅन्च किया गया था. इसका अपग्रेड वर्जन जल्द ही कमीशन किया जाएगा. अरिघात आईएनएस अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है.इसे विशाखापत्तनम में भारतीय नाैसेना के शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में बनाया गया था. अरिहंत की तुलना में अरिघात 3500 किलाेमीटर की रेंज वाली के-4 मिसाइलाें से लैस हाेगी. इस सबमरीन कावजन 6 हजार टन (60 हजार क्विंटल) है.
भारतीय नाैसेना अब तक 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुकी है. इसमें से एक अरिहंत कमीशंड है, दूसरी अरिघात मिलने वाली है और तीसरी एस-3 पर टेस्टिंग जारी है.
इन सबमरीन के जरिए दुश्मन देशाें पर परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं. 1990 में भारत सरकार ने एटीवी यानी एडवांस टेक्नाेलाॅजी वेसल प्राेग्राम शुरू किया था. इसके तहत ही इन पनडुब्बियाें का निर्माण शुरू हुआ था.आईएनएस अरिघात समुद्र के अंदर मिसाइल अटैक करने में उसी तरह सक्षम है, जिस तरह अरिहंत ने 14 अक्टूबर 2022 काे टेस्टिंग की थी. तब अरिहंत से के-15 एसएलबीएम की सफल टेस्टिंग की गई थी. इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के अलावा दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन गया था. अब आसान भाषा में समझिए न्यूक्लियर ट्रायड क्या हाेता है? इसे हम भारत और पाकिस्तान के उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर युद्ध की तैयारी करने लगते हैं.