विश्वधर्मी प्रो. डॉ. विश्वनाथदा. कराड आज 3 फरवरी 2024 को 84 साल की उम्र में प्रवेश कर रहे हैं. किसान परिवार से आने वाले प्रो. कराड की विश्वस्तरीय वेिशविद्यालय स्थापित करने की यात्रा अद्भुत और प्रेरणादायक है. पिछले 40 वर्षों से इस संस्था ने ऐसे युवाओं का निर्माण किया है, जो स्वामी विवेकानंद के विचारों पर आगे चलते हुए भारत माता का चेहरा बदल सकते हैं और भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं. अमेरिका के चार विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों ने एक साथ आकर डॉ. विश्वनाथ दा. कराड की एक प्रतिमा स्थापित की है, जिससे उनके आदर्शों, संस्थानों, मंदिरों और विभिन्न धर्मों के ज्ञान केंद्रों को सम्मानित किया गया है. प्रो. डॉ. विश्वनाथ कराड़ के जन्मदिन के अवसर पर विशेष लेख.
इंजीनियरिंग के प्रोफेसर से लेकर पांच विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों की स्थापना तक प्रो. डॉ. विश्वनाथ कराड की यात्रा प्रेरणादायक, अद्भुत और असामान्य है. उन्होंने महाराष्ट्र के शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चारों क्षेत्रों में बड़ा योगदान दिया है. मूल्य आधारित शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाते हुए, वह एक सम्मानित व्यक्तित्व बने हैं. उन्होंने अमेरिका के साल्ट लेक में आयोजित एक धार्मिक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किये और उन्हें दुनिया भर के धार्मिक नेताओं, विचारकों और श्रोताओं से सराहना प्राप्त की. वे कई मायनों में चलते फिरते वेिशविद्यालय जैसे हैं. उन्होंने छात्रों को अनुशासन, व्यक्तित्व विकास, भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया और शिक्षा क्षेत्र को एक नई और निर्णायक दिशा दी. इंद्रायणी नदी के तट पर 84 फुट का पर्दा खड़ा करके, उन्होंने दुनिया के सभी तीर्थ स्थलों को इस विचार के साथ बदलने का लक्ष्य रखा कि यह तीर्थ ज्ञान के तीर्थ हैं. ज्ञानभूमि से देवभूमि तक की इसी अवधारणा के अनुरूप श्रीक्षेत्र बद्रीनाथ में सरस्वती नदी के तट पर मां सरस्वती का मंदिर स्थापित किया गया. आगामी समय में भी सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने लाने में उन्हें स्वस्थ जीवन प्राप्त हो, यही उनके जन्मदिन पर माऊली के चरणों में विनम्र प्रार्थना है.
एमआईटी समूह की विभिन्न इमारतें या लोणी कालभोर (राजबाग) स्थित दार्शनिक संत ज्ञानेेशर महाराज और तुकाराम महाराज के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा गुंबद आध्यात्मिक विज्ञान की वैज्ञानिक प्रयोगशाला कहा जाता है. इसके अलावा उन्होंने 40 वर्षों तक विभिन्न वर्ल्ड पार्लियामेंट तकनीकी कार्यक्रमों, एंडोमेंट लेक्चर सीरीज योग-योगासन, सामूहिक प्रार्थना, ध्यान के लिए मानक स्थापित किए हैं.
लेखक- डॉ. मिलिंद पांडे प्र-कुलपति, एमआईटी डब्ल्यूपीयू, पुणे