ओशो आश्रम की जमीन नहीं बेची जा सकती : हाईकोर्ट

अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

    10-Apr-2024
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osho 
 
कोरेगांव पार्क, 9 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की ट्रस्टीशिप के तहत चलने वाले कोरेगांव पार्क स्थित ओशो आश्रम की 9,800 स्क्वेयर फुट जमीन को बेचा नहीं जा सकता. यह फैसला बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया. संयुक्त चैरिटी आयुक्त आर. यू. मालवणकर की कोर्ट द्वारा 7 दिसंबर 2023 को पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. इसलिए यह भी साफ है कि राजीव बजाज और उनके परिवार को यह भूमि नहीं मिलेगी. ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन को बजाज परिवार से लिए गए 50 करोड़ रुपये भी लौटाने होंगे. आश्रम के प्लॉट नंबर 15 और 16 को बजाज को बेचने की अनुमति के लिए चैरिटी कमिश्नर के पास एक आवेदन दायर किया गया था. कोविडकाल में ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन को पैसों की जरूरत और यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ओशो आश्रम में आने वाले विदेशियों की संख्या में कमी के कारण आश्रम का खर्च उठाना संभव नहीं हो पा रहा था.
 
इस आवेदन पर ओशो आश्रम के संन्यासियों और अनुयायियों ने आपत्ति जताई थी. इनमें से 26 संन्यासियों ने कोर्ट में उपस्थित होकर लिखित आपत्ति और दस्तावेज भी दाखिल किये. इसके साथ ही 12 हजार से अधिक लोगों ने ऑनलाइन अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. इस मामले में मुख्य आपत्तिकर्ता योगेश ठक्कर ने अपनी आपत्ति और न्यास में धन के दुरुपयोग के बारे में बताया और इससे पहले ट्रस्ट ने चैरिटी आयुक्त के सामने ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की संपत्तियों को गलत तरीके से और गुमराह करके अनुमति लेकर बेचे जाने का मामला संज्ञान में लाया था. ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से, आवेदक ने चैरिटी कमिश्नर की पूर्व अनुमति के बिना एक टेंडर नोटिस निकाली थी और 50 करोड़ रुपये की राशि स्वीकार की थी. इस समझौते को भी चैरिटी कमिश्नर ने रद्द कर दिया.
 
मालवणकर ने ट्रस्ट को राजीवनयन राहुल कुमार बजाज और ऋषभ फैमिली ट्रस्ट से प्राप्त 50 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि बिना ब्याज के वापस करने का निर्देश दिया था. ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन ने चैरिटी कमिश्नर द्वारा पारित आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 20 जुलाई 2020 को फाउंडेशन ने अखबार में एक नोटिस दिया था जिसके मुताबिक ट्रस्ट को कुल तीन ऑफर मिले थे. इनमें सबसे पहले अतुल ईेशरदास चोरडिया ने 72 करोड़ 90 लाख, दूसरे नंबर पर एटूजेड ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने 85 करोड़ 50 लाख और तीसरे नंबर पर राजीवनयन राहुलकुमार बजाज ने ऋषभ फैमिली ट्रस्ट के जरिए 107 करोड़ का ऑफर दिया था. ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन ने प्रस्ताव का विरोध करने वाले 26 विद्रोही शिष्यों के खिलाफ याचिका दायर की थी. इनमें सुनील मीरपुरी और योगेश ठक्कर भी शामिल थे. उनकी ओर से एड. अनिल अंतुरकर, टीनेश शहानी और वैभव मेथा ने पैरवी की.