महावीर स्वामी ने किया जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार

श्री गोड़ीजी पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर टेम्पल में आयोजित धर्मसभा में मुनि पुण्यध्यान विजयजी ने कहा

    24-Jul-2024
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jain 
 
गुरुवार पेठ, 23 जुलाई (आ.प्र.)
 
भगवान महावीर स्वामी ने जैन धर्म के सिद्धांतों और विचारों का प्रचार और प्रसार किया. महावीर स्वामी की शिक्षाएँ और उनकी संगठनात्मक शक्ति जैन धर्म के मूल सिद्धांतों को आज भी शाश्वत बनाती है, ऐसे शब्दों मों प्रवचनकार आचार्यदेव प. पू. श्रीमद्‌‍ विजय तत्वदर्शन सूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य प. पू. मुनिराज श्री पुण्यध्यान विजयजी म. सा. ने अपने प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं का मार्गदर्शन किया. श्री गोड़ीजी पार्श्वनाथ जैन श्वेतांबर टेम्पल, गुरुवार पेठ में चातुर्मास शुरू हो गया है. इस दौरान वह रोज सुबह प्रवचनद्वारा श्रावकों को मार्गदर्शन करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य अपने कर्मों का फल भोगने के लिए बार-बार जन्म लेता है. कर्मों के फल नष्ट होने पर ही व्यक्ति की भावनाएं और विचार शुद्ध और पवित्र हो जाते हैं, जिससे आत्मा की मुक्ति संभव हो जाती है. प्रत्येक व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति के लिए अच्छे कर्म करने चाहिए. मोक्ष के अनेक उपाय श्रवण, भजन कीर्तन, भगवान का नाम- स्मरण, पूजा आरती आदि हैं. मनुष्य को सच्चे मन से अच्छे कर्म करते रहना चाहिए. साधन-सामग्री पुन्हा से प्राप्त की जा सकती है, लेकिन साधना गुरु कृपा से प्राप्त होती है. पुण्य कम हो तो चलेगा लेकिन प्रभु की कृपा हम पर सदैव बनी रहनी चाहिए. ईश्वर ने हमें मनुष्य जन्म दिया है और हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए. सबकी आवाज साफ, शुद्ध विचार, अच्छे कर्म रखना चाहिए, कठिनाइयों में प्रभु सदैव हमारी रक्षा करते हैं. इस अवसर पर प. पू. सा. श्री कल्पज्ञाश्रीजी म. सा. आदि ठाणा उपस्थित थे.
                                                                                                                                                 saman