फैसले जल्दी आने से न्याय पर भराेसा बढ़ेगा : माेदी

01 Sep 2024 22:33:30
 
 

PM 
प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने कहा है की फैसले जल्दी आने से लाेगाें का न्याय पर भराेसा बढ़ेगा. दिल्ली में जिला अदालताें के दाे दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पीएम ने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए देश में कठाेर कानून माैजूद हैं. न्याय में हाेनेवाली देरी काे खत्म करने ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्र्नचर पर सरकार ने करीब 8 हजार कराेड़ खर्च किए हैं. न्याय देने में जिला अदालताें का राेल अहम है. सबसे पहले न्याय के लिए लाेग यहीं आते हैं.प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार काे जिला अदालताें की नेशनल काॅन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. उन्हाेंने कहा- आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चाें की सुरक्षा समाज की गंभीर चिंता है. देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठाेर कानून बने हैं.
 
ट्रायल जज जमानत देने में इच्छुक नहीं: सिब्बल
 
सीनियर एडवाेकेट और सुप्रीम काेर्ट बार एसाेसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने भारत में ट्रायल काेर्ट, जिला और सत्र न्यायालयाें काे सशक्त बनाने के महत्व पर जाेर दिया है. उन्हाेंने कहा कि ट्रायल जजाें में यह विश्वास पैदा किया जाना चाहिए कि उनके फैसले उनके खिलाफ नहीं हाेंगे.जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के समाराेह में बाेलते हुए सिब्बल ने कहा, हमारे ट्रायल काेर्ट, जिला और सत्र न्यायालयाें काे बिना किसी भय या उत्साह के न्याय देने के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता है. जब तक पिरामिड के निचले हिस्से में बैठे लाेगाें में दबाव काे झेलने की क्षमता नहीं हाेगी, तब तक राजनीति का ऊपरी ढांचा न्याय नहीं दे पाएगा. मैं ट्रायल और जिला न्यायालयाें के स्तरपर न्यायपालिका काे अधीनस्थ नहीं कहना चाहता, क्याेंकि वहां बैठे न्यायाधीश न्याय देते हैं और किसी भी प्राधिकारी के अधीनस्थ हाेने का सवाल शब्दाें में विराेधाभास है.
 
उस स्तर पर न्यायपालिका काे यह विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि उनके न्यायिक फैसले कभी भी उनके खिलाफ नहीं हाेंगे और वह न्याय वितरण प्रणाली की रीढ़ की हड्डी का प्रतिनिधित्व करते हैं.उनके पास बिना किसी भय या पक्षपात के न्याय देने के लिए लचीलापन और स्वतंत्रता हाेनी चाहिए.यह तथ्य कि ट्रायल काेर्ट और जिला न्यायालय कुछ महत्वपूर्ण मामलाें में जमानत देने से कतराते हैं, अपने आप में उस अस्वस्थता का लक्षण है जाे फैल चुकी है. अपने करियर के दाैरान, मैंने शायद ही कभी ऐसा देखा हाे. उस स्तर पर जमानत दी गई हाे. यह सिर्फ मेरा अनुभव नहीं है, बल्कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भी कई बार कहा है कि उच्चतम स्तर पर न्यायालय जमानत के मामलाें के बाेझ तले दबे हुए हैं, क्याेंकि ट्रायल काेर्ट और जिला एवं सत्र न्यायालयाें के स्तर पर जमानत एक अपवाद प्रतीत हाेती है. बेशक, यह कहने की जरूरत नहीं है कि जमानत देना प्रत्येक मामले के तथ्याें औरपरिस्थितियाें पर निर्भर करता है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने उच्चतम न्यायालय की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हाेने के उपलक्ष्य में शनिवार काे एक सिक्का और डाक टिकट जारी किया.
Powered By Sangraha 9.0