अग्रवाल का अर्थ हमेशा आगे और सहज रहने वाला

13 Jan 2025 10:08:13
 
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   कार्ला, 12 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
अग्रवाल समाज के लोग सदैव अपने कुल को मिले वरदान का सदुपयोग करके विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रहे हैं और सेवा भाव के कार्यों में भी सबसे आगे हैं. संस्कृत में ‌‘अग्र‌’ का अर्थ है, आगे रहने वाला और ‌‘वाल‌’ का अर्थ है, सहज, यशवान, विनम्र. भगवान ने उन्हें न केवल आगे रहने का अग्रवाल नाम दिया, बल्कि उन्होंने कठिन परिश्रम से अपने कार्यों से भी यह सिद्ध कर दिया. वे हर व्यवस्था में अग्रणी बने हुए हैं और यह दिखाते हैं कि एक श्रेष्ठ जीवन वही है, जिसमें व्यक्ति काम करने के लिए आगे रहे और श्रेय प्राप्ति के लिए पीछे रहे. अग्रवाल समाज ने धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के सिद्धांतों के अनुसार अपने जीवन को आकार दिया है. उन्होंने न केवल देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनका योगदान सिर्फ भौतिकता तक सीमित नहीं है, वे अपनी संपत्ति और संसाधनों का प्रयोग धार्मिक कार्यों, दान और आराधना में भी करते हैं.
 
 
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सफल जीवन का मतलब जीवन में शिक्षा, सीखना, प्रशिक्षण, मूल्य फिर आता है धर्म. सबसे बड़ा सम्मान प्रसन्नता है. कई लोग अत्यधिक संपत्ति और धन-दौलत के बावजूद अपनी जिधदगी को साधारण, संन्यासी जैसे जीवन जीने के रूप में हरिद्वार, वृंदावन और अग्रोहा में बिता रहे हैं. भगवान हमेशा हमारे पीछे होते हैं, लेकिन जब काम का समय आता है, तो वह सबसे आगे होते हैं, और यही उदाहरण है अग्रवाल बंधुओं का. जीवन में रस और यश दोनों में से केवल एक ही प्राप्त होता है, जिसने यश की कामना की, वह कभी यश नहीं पा सका, और जिसने रस में पूर्णता प्राप्त की, उसे यश की कोई चिंता नहीं होती. आज कुंभ के मेले में अग्रवाल समाज, विशेष रूप से महाराजा अग्रसेन के वंशजों का सबसे बड़ा योगदान है, जो वहां की पूरी व्यवस्था को संभाल रहे हैं. यह बात देश के प्रख्यात कथावाचक और भागवत कथावाचक पुण्डरीक गोस्वामी महाराज ने मुंबई अग्रवाल सामूहिक विवाह सम्मेलन में अपने आशीर्वचन में कही.
 
वे लोनावला के नारायणीधाम में भागवतकथा के लिए आए थे, जहां उन्होंने कार्ला स्थित महाराजा अग्रसेन पैलेस में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में भी आकर अग्रबंधुओं को आशीर्वाद दिया. मुंबई अग्रवाल सामूहिक विवाह सम्मेलन संस्था द्वारा आयोजित 2 दिवसीय ‌‘युवक- युवती परिचय सम्मेलन‌’ उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ. यह भव्य आयोजन 11 और 12 जनवरी को लोनावला के कार्ला स्थित महाराजा अग्रसेन पैलेस में आयोजित किया गया था, जिसमें समाज के उच्च शिक्षित युवाओं को अपना जीवनसाथी चुनने का अवसर प्रदान किया गया था. इस सम्मेलन में कुल 100 प्रत्याशियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, जिसमें 45 लड़कियां एवं 55 लड़के शामिल थे.
 
 


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इनमें से अधिकतर उम्मीदवार दिल्ली, मुंबई, अहमदनगर, गुजरात और विदेशों से इस खास सम्मेलन के लिए आए थे. इस सम्मेलन में उन्हें अपनी इच्छा अनुसार जीवनसाथी चुनने का अवसर प्रदान हुआ. इस कार्यक्रम में संस्था ने विशेष रूप से रायपुर के हरीश मंत्री एवं पूनम मंत्री को मंच संचालन और उम्मीदवारों की काउंसिलिंग के लिए आमंत्रित किया था. जिन्होंने सभी प्रत्याशियों को विभिन्न खेलों के माध्यम से झिझक मिटाने में मदद की. इन गतिविधियों के माध्यम से उम्मीदवारों को सभी प्रत्याशियों को जानने व समझने का अवसर प्रदान हुआ. हरीश मंत्री और पूनम मंत्री ने प्रत्याशियों की प्री और पोस्ट काउंसिलिंग भी की. इस आयोजन में मंत्रणा एवं परिचय-सत्र भी हुआ. लगभग 500 से अधिक लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
 
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सही उम्र में शादी और समझदार जीवनसाथी जरूरी
 
 
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संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डालचंद गुप्ता ने कहा कि आज इस सम्मेलन का इतना विशाल रूप लेना हमारी मेहनत और संकल्प का परिणाम है. जब मैंने 36 साल पहले इस कार्य की शुरुआत की थी, तब समाज से कड़ा विरोध था, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी. आज हमारी संस्था ने एक विशाल वृक्ष का रूप ले लिया है, जिससे समाज के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति जुड़ चुके हैं. इस सम्मेलन में 100 से अधिक उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 500 से ज्यादा लोग उपस्थित हुए, जो हमारे प्रयासों की सफलता का प्रतीक है. 15 से 20 संबंध तय होने की आशा है. हमारे समाज में कई बदलाव आए हैं, जैसे पहले सामूहिक विवाह होते थे, लेकिन अब यह परंपरा कम हो गई है. साथ ही, आजकल की पीढ़ी विवाह के लिए सही उम्र और सही मानसिकता को नजरअंदाज करती है, जो समाज के लिए चिंताजनक है.सही उम्र में शादी और जीवनसाथी की समझदारी बेहद जरूरी है,
 क्योंकि आजकल के युवा अक्सर एक-दूसरे की बातों को प्राथमिकता नहीं देते और खासकर लड़कियां सामंजस्य बैठाने के लिए तैयार नहीं होतीं. हमारी संस्था हर साल 4 बड़े कार्यक्रम आयोजित करती है और समाज के विशेष वर्गों जैसे दिव्यांग, विधवा-विधुर, तलाकशुदा और 50 साल से ऊपर के व्यक्तियों एवं उच्च शिक्षित युवक- युवतियों के लिए अलग सम्मेलन आयोजित कर रिश्ते तय करवाती है. समाज में विवाह के सही मानक स्थापित करना और एक मजबूत परिवार व्यवस्था को बढ़ावा देना हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य है. - डालचंद गुप्ता
 
संस्कृति को प्राथमिकता देना हर सनातनी का कर्तव्य
 
 
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दिल्ली की अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपालशरण गर्ग ने कहा कि मुंबई अग्रवाल सामूहिक विवाह सम्मेलन संस्था का यह अभिनव प्रयास वाकई सराहनीय है, जो पिछले 36 वर्षों से समाज के इस नेक कार्य में निरंतर तत्पर है. आज के युवा पीढ़ी को अग्रसेन महाराज की उच्च शिक्षाओं का पालन करना चाहिए और अपने पितरों के अनुभवों को समझने की आवश्यकता है. विवाह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और इसे सही समय पर और सही सोच के साथ करना अत्यंत आवश्यक है. लड़के-लड़कियों को जीवनसाथी के चुनाव में केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि प्यार और समझ का भी ध्यान रखना चाहिए. समाज को चाहिए कि वे अपने बच्चों के भविष्य के प्रति जिम्मेदार बने और सही दिशा में उनका मार्गदर्शन करे. आजकल कोई किसी की जिम्मेदारी या गारंटी लेने के लिए तैयार नहीं है, अगर समाज के लोग अपने समाज के बच्चों की जवाबदारी लें तो रिश्ते तय होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. जीवनसाथी को हर परिस्थिति में समझने की आवश्यकता सिर्फ एक आवश्यकता नहीं, बल्कि रिश्तों की मजबूती की बुनियाद है. कहीं न कहीं संस्कार का अभाव होने से रिश्ते टूट रहे हैं, इसलिए परवरिश में संस्कारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. वेस्टर्न कल्चर में महिलाओं को भोग की वस्तु माना जाता है, जबकि सनातन धर्म में उन्हें अर्धांगिनी, यानी पुरुष के साथ एक समान और पूज्य साथी के रूप में सम्मानित किया गया है. इसलिए, हर सनातनी का कर्तव्य है कि वह अपनी संस्कृति की महान शिक्षाओं को प्राथमिकता दे, ताकि समाज में महिला के असली सम्मान और गरिमा की स्थापना हो सके. - गोपालशरण गर्ग
 
  अरेंज्ड मैरिज में ज्यादा विश्वास रखता हूं
 
 
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इस परिचय सम्मेलन में मुंबई से आए उम्मीदवार सीए. दीपेश अग्रवाल ने कहा कि मुझे अपना जीवनसाथी ऐसा चाहिए जो केयरिंग, लविंग और मेरे साथ-साथ मेरे परिवार की भी इज्जत करे. आजकल लव मैरिज का चलन बढ़ गया है, लेकिन मैं अभी भी अरेंज्ड मैरिज में ज्यादा वेिशास रखता हू्‌ं‍. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमें यह सुनिश्चित होता है कि मेरी साथी हमारे परिवार की परंपराओं और मूल्यों से पूरी तरह अवगत होगी और उन्हें सम्मान देगी. यह वेिशास और समझ का रिश्ता हमेशा मजबूत बना रहता है. - सीए. दीपेश अग्रवाल
 
 
ऐसा दामाद चाहिए जो बेटी के सपनों को पंख दे
 
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एक अभिभावक कमला गोयल ने कहा कि मैं अपनी बेटी के साथ इस इवेंट में आई हूं, और मेरा सिर्फ एक ही उद्देश्य है - मुझे ऐसा दामाद चाहिए जो मेरी बेटी के सपनों को पंख दे, उसकी इज्जत करे, और उसे हर कदम पर पूरा समर्थन दे. साथ ही, वह इंटेलिजेंट और समझदार हो, ताकि वह उसकी यात्रा में सही मार्गदर्शन कर सके. - कमला गोयल
 
 
हर परिस्थिति में साथ देने वाला जीवन साथी चाहिए
 
 
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हैदराबाद से आईं एक उम्मीदवार श्रद्धा गोयल ने कहा कि मैं एक इवेंट मैनेजर हूं और आज पहली बार इस सम्मेलन में अपने माता-पिता और बहन के साथ आई हू्‌ं‍. यहां के सत्र और परिचय गतिविधियां बेहद प्रभावशाली हैं, जिन्होंने मेरी सारी झिझक दूर कर दी. नए लोगों से मिलकर और इस अच्छे वातावरण में रहकर मुझे बहुत आत्मवेिशास मिला. मेरे लिए जीवनसाथी में सबसे अहम है प्यार और सम्मान, क्योंकि यह मेरे लिए सच में मायने रखता है. पैसे से कहीं ज्यादा, मुझे एक ऐसा साथी चाहिए जो हर परिस्थिति में मेरा साथ दे, मेरी इज्जत करे और मुझे सपोर्ट करे. मुझे अपने जीवन में वही प्यार और सच्चाई चाहिए जो मुझे खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने का मौका दे.
- श्रद्धा गोयल
 
 संस्था परिवारों में विश्वास का निर्माण करती है
 
 
 
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मुंबई से आए एक उम्मीदवार के अभिभावक राजीव अग्रवाल ने कहा कि पहले माता-पिता ही रिश्ते तय करते थे, लेकिन आजकल बच्चों की पसंद को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे परिचय सम्मेलन बच्चों को अपने अनुसार जीवनसाथी चुनने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं. मेरे समय में जो परिचय सम्मेलन होते थे, वे इस पैमाने पर नहीं होते थे. मुंबई अग्रवाल सामूहिक विवाह सम्मेलन संस्था ने इस क्षेत्र में पिछले 36 वर्षों से जो योगदान दिया है, वह अत्यंत सराहनीय है. उनकी व्यवस्था बेहद प्रभावी और व्यवस्थित है, जो उम्मीदवारों के परिवारों के बीच वेिशास का निर्माण करती है. यहां तय होने वाले रिश्तों में एक गहरा भरोसा होता है, क्योंकि संस्था के पास उम्मीदवारों की सटीक और सच्ची जानकारी होती है, जो रिश्तों को स्थिर और भरोसेमंद बनाती है. यह पहल वाकई अद्वितीय है और इसे लगातार बढ़ावा मिलना चाहिए. - राजीव अग्रवाल
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