पुणे, 12 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
‘शंकर पुणतांबेकर यांच्या निवडक कथा’ पुस्तक की सभी कथाएं व्यंग्य से ओतप्रोत हैं. कुछ फैंटेसी और कुछ फार्स की नवकथाएं यानी गंगाधर गाडगिल, अरविंद गोखले ने जिस तरह मराठी में लेखन किया वैसी हैं. परंतु शेष व्यंग्य कथाएं हैं. यह विचार प्रसिद्ध गजलकार और साहित्यकार प्रदीप निफाडकर ने व्यक्त किए. वे नारायण पेठ के महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ज्ञानदा के अंतर्गत शंकर पुणतांबेकर की हिंदी कथाओं का श्रीधर दीक्षित द्वारा मराठी में अनुवाद ‘शंकर पुणतांबेकर यांच्या निवडक कथा’ के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि दीक्षित जी आप ने मराठी भाषा में अच्छा खासा योगदान दिया है. मैं इस किताब को मराठी में व्यंग्य शैली अमल में लानी चाहिए इस दृष्टि से देखता हू्ं. दुर्भाग्यवश आज व्यंग्य समझनें वाले नेता ही नहीं आम आदमी भी नहीं हैं. इस समय श्रीधर दीक्षित की तीन कथाओं का अभिवाचन प्रा. डॉ. नीलिमा वैद्य, प्रा. डॉ. ओमप्रकाश शर्मा, प्रा. रविकिरण गळंगे ने किया.
इस अवसर पर श्रीधर दीक्षित, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ज्ञानदा की संचालिका एवं कार्याध्यक्ष डॉ नीला बोरवणकर ने मनोगत व्यक्त किए. इस कार्यक्रम का प्रास्ताविक व सूत्रसंचालन सभा के सचिव रविकिरण गलंगे ने किया तथा आभार ज्ञानदा की संयोजक सुनेत्रा गोंदकर ने व्यक्त किया.