पुणे, 13 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
अभिनव शिक्षण संस्थान के भोर स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज पर ताला लगाने और शाम के समय विद्यार्थियों को उनके छात्रावास से बाहर निकालने का काम बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा करना अत्यंत निंदनीय है. पुणे में शैक्षिक संस्थाओं की शोषण की प्रक्रिया शुरू होने पर सरकार और सत्ताधारी नेता चुप क्यों हैं? क्या कर्ज वसूली के बहाने किसी शासकीय अनुदानित संस्था को किसी के हाथों में तो नहीं सौंपा जा रहा? इस प्रकार के गंभीर सवाल सोमवार को राजीव गांधी स्मारक समिति, पुणे की ओर से आयोजित पत्रकार सम्मेलन में उठाए गए. पुणे श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित इस पत्रकार सम्मेलन में पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटिल, शिवसेना यूबीटी के शहर अध्यक्ष संजय मोरे, कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी, राजीव गांधी स्मारक समिति के धनंजय भिलारे, प्रसन्न पाटील, संजय अभंग, एडवोकेट स्वप्निल जगताप, गणेश मोरे और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे. पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटिल ने कहा कि किसी भी शैक्षिक संस्था को स्थापित करने के लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता होती है. शिक्षा संस्थाएं विद्यार्थियों का भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
यदि कोई संस्था अपनी वृद्धि के लिए कर्ज के माध्यम से पूंजी जुटाती है तो यह गलत नहीं है, लेकिन 20 से 22 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 134 करोड़ रुपये की संपत्ति को सील करना और विद्यार्थियों को शाम के समय छात्रावास से बाहर निकालना किस कानून के तहत आता है? अभिनव संस्था पूरी तरह से निजी नहीं है, यह संस्था शासकीय अनुदान पर चलती है, इसलिए इस पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का नियंत्रण होता है.
बैंक ऑफ बड़ौदा ने पिछले दस वर्षों में बड़े उद्योगपतियों के 44 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए हैं, लेकिन एक शैक्षिक संस्था द्वारा समय पर कर्ज चुकता न करने पर पूरी संपत्ति जब्त करना गलत है. छात्रों के शैक्षिक वर्ष को ध्यान में रखते हुए संपत्ति को जब्त कर शिक्षा संस्थान को चालू रखना जरूरी था, लेकिन बैंक ऐसा करते नहीं दिख रही है.
यह घटना अत्यंत निंदनीय है और सरकार को छात्रों के शैक्षिक हितों को संरक्षित करने के लिए पहल करनी चाहिए. विद्यार्थियों का शैक्षिक नुकसान नहीं होने देंगे : चंद्रकांत पाटिल अभिनव शिक्षा संस्थान के विद्यार्थियों का शैक्षिक नुकसान नहीं होने देंगे, ऐसा ओशासन उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को दिया. उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों की परीक्षाएं ली जाएंगी और अगले वर्ष उन्हें अन्य कॉलेजों में प्रवेश दिया जाएगा.