उद्विग्न हाेने में आप अकेले ही भागीदार नहीं हाेते

16 Jan 2025 22:23:05
 
 

Osho 
आप कारण न बने, किसी के उद्विग्न हाेने के-यह ध्यान रखना जरूरी है. िफर भी काेई उद्विग्न हाे सकता है. क्याेंकि उद्विग्न हाेने में आप अकेले ही भागीदार नहीं हाेते. हाेनेवाला भी उतना ही भीगीदार हाेता है.मेरे एक परिचित है. अपने बेटे से वे हमेशा परेशान रहते हैं. ताे मैंने उनके बेटे से कहा,‘तेरे पिता जैसा चाहते हैं, तू वैसा ही कर. और काेई खास बात नहीं चाहते हैं. कर दे.इससे तुझे काेई नुकसान हाेने वाला नहीं है. उनकाे शान्ति हाेगी. उनके बेटे ने मुझे कहा कि ‘आपकाे पता नहीं है.इससे काेई फर्क ही नहीं पड़ता कि मैं क्या करता हूं. वे जाे कहते हैं, वह भी करूं, उससे भी उद्विग्न हाेते हैं.’ मैंने कहा, उदाहरण.
 
ताे उसने कहा कि जैसे अगर मैं काी साफ -सुथरे कपड़े पहनूं, जाे मुझे पसन्द हैं, ताे वे चार लाेगाें के सामने कहेंगे कि, देखाे, मैंने ताे हड्डी ताेड़-ताेड़ के पैसा कमाया. शाहजादे काे देखाे! मुफ्त का है. मजा कराे.कर लाे मजा! जिस दिन मर जाऊंगा, उस दिन भूखे मराेगे.अगर ऐसा न कराे, साफ-सुथरे कपड़े न पहने, ताे भी वे खड़े हाे के लाेगाें के सामने कहेंगे कि ’अच्छा! ताे क्या मैं मर गया? जब मैं मर जाऊं, तब इस हालत में घूमना! अभी ताे मजा कर लाे. यह हालत आयेगी. ज्यादा देर नहीं है.लेकिन अभी से ताे यह शक्ल ले कि मत घूमाे. मेरे सामने यह ले के मत आओ.’ ताे उनके बेटे ने मुझे कहा कि ‘बड़ी मुसीबत यह है, कि वे जाे कहते हैं, अगर उसकाे भी मानाे, ताे भी उद्विग्नता में काेई फर्क नहीं पड़ता.
 
मतलब यह हुआ कि काेई आदमी उद्विग्न हाेना ही चाहता है, ताे काेई भी बहाना खाेज सकता है. आप भी खयाल करना कि जब आप उद्विग्न हाेते हैं, ताे जरूरी नहीं है कि दूसरे ने कारण माैजूद ही किया हाे; आप अपने से भी हाे सकते हैं. सुना है मैंनेः मुल्ला नसरूद्दीन का मित्र उससे कह रहा था कि ‘अच्छी मुसीबत में ंस गया मैं. ऐसी औरत मिल गई कि एक शब्द बाेले कि ंसे.कि िफर वह इस तरह की बातें शुरू कर देती है, उस शब्द में से, कि उनका काेई अन्त ही नहीं आता.’मुल्ला ने कहा,‘यह कुछ भी नहीं है. माइन इज ए सेल्फ स्टार्टर. तुम्हें ताे एक शब्द भी बाेलना पड़ता है. एक मेरी औरत है! बाेलने की जरूरत ही नहीं है और वह शुरू कर देती है! चुप रहना भी खतरनाक है. क्याें चुप हाे? जरूर काेई मतलब है.’ खयाल करना ः जरूरी नहीं है कि दूसरा कारण उपस्थित कर रहा हाे.
 
साै में निन्यान्नबे माैके पर ताे आप कारण की तलाश कर रहे हाेते है. उसके भी कारण हैं. दफ्तर में हैं; मालिक ने कुछ कह दिया. वहां क्राेध प्रकट नहीं कर सकते.मालिक काे जवाब देना मुश्किल है. वहां जरा महंगा साैदा है. नाैकरी पर आ सकती है. मगर गुस्सा पी गये. वह पीया हुआ कहां जायेगा? उसकाे कहीें निकालना पड़ेगा.आप घर पहुंच के रास्ता खाेज रहे हैं-कि पत्नी राेटी जला के ले आये ः कि चाय थाेड़ी ठंडी ले आये.आपकाे पता भी नहीं कि आप यह रास्ता देख रहे हैं.ऐसा नहीं कि आप यह साेच रहे हैं. यह अचेतन में हैं. लेकिन क्राेध की एक मात्रा आपके भीतर खड़ी है.वह रास्ता खाेज रही है. वह मालिक की तरह न बह सकी, क्याेेंकि वह जरा पहाड़ी की तरफ चढ़ाई थी.इधर पत्नी की तरफ बह सकती है. यह जरा खाई की तरफ उतार है.
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