‘विकसित भारत‌’ हेतु छात्रों का सर्वांगीण विकास जरूरी

सूर्यदत्त के प्रो. डॉ. संजय बी. चोरड़िया के विचार : वर्षगांठ के अवसर पर एक माह तक चलेगा सूर्योत्सव

    16-Jan-2025
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sanjay 
 
 
डेक्कन, 15 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
  
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर बल देते हुए इस नई पीढ़ी को हमारी जीवंत एवं तपस्वी भारतीय संस्कृति, परम्परा एवं ऐतिहासिक विरासत से परिचित कराया जाना चाहिए. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन ने अपनी 26वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पहली बार एक महीने तक चलने वाला ‌‘सूर्यो त्सव‌’ कार्यक्रम आयोजित किया है. विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, इस बात पर विचारमंथन चल रहा है कि नई पीढ़ी ‌‘विकसित भारत‌’ के निर्माण में किस प्रकार योगदान दे सकती है. उन्होंने बुधवार (15 जनवरी) को विशेष महोत्सव ‌‘सूर्योत्सव2025‌’ के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत की.
 
इस अवसर पर निदेशक प्रशांत पितलिया, सूर्यदत्त लॉ कॉलेज की प्राचार्या केतकी बापट आदि उपस्थित थे. प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा कि संस्था की स्थापना के बाद से ही सूर्यदत्त ने हमेशा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया है. इस साल ‌‘सूर्यदत्त‌’ 26 साल पूरे कर रहा है. प्रोफेसरों को छात्रों को केवल कक्षा शिक्षा ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी प्रदान करना होगा. हमें बदलते समय में भारतीय संस्कृति को संरक्षित रखना होगा. इस संबंध में व्याख्यानों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज के विशेषज्ञों के विचारों को समझने में मदद करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि हम ग्रामीण क्षेत्रों में उन लड़कियों के लिए साइकिल वितरण कार्यक्रम लागू करते हैं, जिन्हें स्कूल जाने में कठिनाई होती है. लड़के या लड़कियों को गलत कामों का शिकार नहीं होना चाहिए. उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए योग, प्राणायाम, ध्यान और कराटे का प्रशिक्षण दिया जाता है. इससे छात्रों में अनुशासन भी पैदा होता है. हमने यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है कि स्टार्टअप के बीज स्कूली जीवन से ही बो दिए जाएं. एआई-आधारित प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. निदेशक प्रशांत पितलिया ने कहा कि सूर्यदत्त सम्पूर्ण, आत्मनिर्भर और परिवर्तनकारी छात्र तैयार करने के लिए काम कर रहे हैं. केतकी बापट ने बताया कि चूंकि संस्थान में समग्र विकास और भावनात्मक विकास के लिए नियमित गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, इसलिए यहां के विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों से अलग नजर आते हैं.
 
 संस्थानों की खाली जगहें उद्यमियों को उपलब्ध कराएं
 
पुणे में कई संस्थान केवल 8 से 10 घंटे ही संचालित होते हैं. बाकी समय करोड़ों रुपए की लागत से बनाया गया बुनियादी ढांचा खाली पड़ा रहता है. इसमें सभागार, कक्षाएं, प्रयोगशालाएं आदि शामिल हैं. ऐसी चीजें नवोदित उद्यमियों, वरिष्ठ नागरिकों और स्टार्टअप शुरू करने के इच्छुक लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए. जो छात्र इंटर-डिसिप्लिनरी शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. - प्रो. डॉ. संजय बी. चोरड़िया संस्थापक-अध्यक्ष, सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन