महाराष्ट्र से साढ़े तीन लाख टन का शक्कर निर्यात

22 Jan 2025 14:00:04
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 पुणे, 21 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

शक्कर मिलों के संघों की मांग को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने दस लाख टन शक्कर के निर्यात को मंजूरी दी है, जिसमें से साढ़े तीन लाख टन शक्कर महाराष्ट्र के मिलों से निर्यात की जाएगी. इसके कारण बाजार में शक्कर की कीमत प्रति किलो एक रुपये बढ़ गई है. केंद्र सरकार के घोषणा करने के बाद तात्कालिक रूप से थोक बाजार में तेजी आई. शक्कर की कीमत प्रति क्विंटल 100 रुपये बढ़कर 4,000 रुपये पर पहुंच गई. इसके परिणामस्वरूप, खुदरा बाजार में शक्कर की कीमत प्रति किलो 42 से 43 रुपये के बीच हो गई है. हालांकि निर्यात के इस निर्णय से मिल मालिकों को शक्कर को उचित दरों पर बेचने में मदद मिलेगी, जिससे गन्ना उत्पादकों को समय पर भुगतान किया जा सकेगा. राज्य शुगर एसोसिएशन, वेस्टर्न महाराष्ट्र शुगर मिल एसोसिएशन (विस्मा), राष्ट्रीय शुगर एसोसिएशन सहित अन्य संघों ने केंद्र सरकार से शक्कर के निर्यात अनुमति देने की अपील की थी. देश में पिछले वर्ष की शक्कर का स्टॉक, वर्तमान वर्ष का नया उत्पादन, घरेलू शक्कर की खपत, निर्यात के बाद घरेलू उपयोग के लिए उचित स्टॉक को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात की अनुमति दी. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले सप्ताह शक्कर की कीमत प्रति टन 41,437 रुपये थी. भारत द्वारा निर्यात शुरू करने के बाद, इस कीमत में थोड़ी गिरावट की संभावना है. हालांकि, शक्कर मिलों के लिए यह कीमत अभी भी स्वीकार्य है. देश में शक्कर की कीमतों को बढ़ने से बचाने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान शक्कर निर्यात को अनुमति नहीं दी थी. पिछले चार वर्षों में केंद्र सरकार ने हर वर्ष कम से कम 60 लाख टन या उससे अधिक शक्कर की निर्यात की अनुमति दी थी. इसके मुकाबले इस वर्ष केवल दस लाख टन शक्कर के निर्यात की अनुमति दी गई है.
शक्कर निर्यात बढ़ाना चाहिए : वलसे

पाटिल केंद्र सरकार को कम से कम 40 से 50 लाख टन शक्कर की निर्यात की अनुमति देनी चाहिए, ऐसा विचार वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने व्यक्त किया. केंद्र सरकार ने दस लाख टन शक्कर निर्यात की अनुमति दी है, लेकिन शक्कर का स्टॉक अधिक है. इसलिए यदि अतिरिक्त शक्कर की निर्यात की जाती है, तो घरेलू कीमतें स्थिर रहेंगी और इसका लाभ किसानों को होगा.  
 
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