‌‘मामलेदार कचहरी‌’ की जगह पर 6 महीने में नई सरकारी बिल्डिंग

28 Jan 2025 10:05:09
 
 
kacheri
 
 
 
पुणे, 27 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
लगभग बीस साल से लंबित मामलेदार कचहरी के पुनर्विकास परियोजना का काम आगामी छह महीने में पूरा होने वाला है. तहसीलदार, सिटी सर्वे कार्यालय के साथ खड़क पुलिस थाने जैसी आठ सरकारी कार्यालय नई बिल्डिंग में शुरू होंगे. बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) सिद्धांत के तहत 7078 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर बन रही इस बिल्डिंग में एक भूमिगत तल और पांच मंजिलें होंगी, साथ ही नीचे दो मंजिला पार्किंग स्थल होगा. बिल्डिंग का निर्माण, प्लास्टरिंग और बिजली के काम हो चुके हैं. बिल्डिंग के पास एक निजी जमीन के अधिग्रहण संबंधी मामले पर अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसके कारण पार्किंग की दो मंजिलों को जोड़ने वाले स्लैब के काम में रुकावट आई है.
 
बाकी हिस्से में स्लैब डालने का काम चल रहा है. यहां आने वाले कार्यालयों के फर्नीचर के लिए अलग से निविदा निकाली जाएगी. इस बिल्डिंग में पुणे शहर और हवेली तहसीलदार, सीटी सर्वे क्रमांक एक और दो कार्यालय, सब रजिस्ट्रार और सार्वजनिक निर्माण विभाग की शाखा कार्यालय के साथसाथ खड़क पुलिस स्टेशन को स्थान दिया जाएगा. पहले ये सभी कार्यालय मामलेदार कचहरी परिसर में थे, जिनमें से कुछ अभी भी वहां काम कर रहे हैं और वहां आने वाले नागरिकों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कसबापेठ विधानसभा क्षेत्र के विधायक हेमंत रासने ने नागपुर में विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में इस परियोजना पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया था. रासने ने कहा कि पिछले पंद्रह से बीस वर्षों से इस परियोजना का काम चल रहा है, जिससे यहां के सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले लोगों को काफी कठिनाई हो रही है.
 
उन्होंने खड़क पुलिस कॉलोनी के पुनर्विकास की भी मांग की थी. वर्तमान में 90% काम पूरा हो चुका है. बिल्डिंग का निर्माण अगले तीन महीने में पूरा हो जाएगा और बाकी काम तीन महीने में खत्म होगा. इसके बाद इन जगहों को सरकारी कार्यालयों को सौंप दिया जाएगा, ऐसा सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया. राज्य मंत्रिमंडल ने 2002 में बीओटी सिद्धांत पर इस परियोजना को मंजूरी दी थी. खड़कमाल इलाके में यह जगह लगभग 14,793 वर्ग मीटर है. इस काम को कामदार काकड़े की कंपनी को सौंपा गया है. इस इमारत के अलावा अन्य कुछ सरकारी इमारतें भी बनवाई गई हैं.
 
परियोजना में देरी के बारे में अधिकारियों ने बताया कि मनपा ने निर्माण नियमों में बदलाव किए थे, जिसके कारण पार्किंग के लिए दो अतिरिक्त मंजिलों का निर्माण करना पड़ा. इस विवाद के कारण कुछ निजी जमीन का कब्जा नहीं मिल पाया, जिससे परियोजना में देरी हुई. पिछले एक साल में काम में गति आई है.
 
 ब्रिटिश काल से है मामलेदार कचहरी
  
मामलेदार कचहरी की जगह का उपयोग पेशवा काल से शुरू हुआ था. ब्रिटिश शासन के दौरान 1886-87 में यहां इमारत का निर्माण हुआ था. इसका उपयोग जेल और कोर्ट के रूप में किया गया, जिसे मामलेदार कचहरी के रूप में जाना गया. यहां क्रांतिकारी उमाजी राजे नाइक की समाधि भी है. इसके बाद, इस स्थान पर तहसीलदार कार्यालय और अन्य सरकारी कार्यालय शुरू हुए. बिल्डिंग पुरानी हो जाने के कारण राज्य सरकार ने यहां बीओटी सिद्धांत पर एक नया प्रक्षेत्र बनाने का निर्णय लिया.
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