कर ढांचे में बदलाव और सरलीकरण किया जाना जरूरी

31 Jan 2025 10:49:08

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 शिवाजीनगर, 30 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों ने शनिवार (1 फरवरी) को पेश किए जाने वाले केन्द्रीय बजट को लेकर अपनी अपेक्षाएं व्यक्त की हैं. इन लोगों का मानना है कि प्राथमिकता से कर ढांचे में बदलाव किया जाना चाहिए. इसके अलावा कर सुधार और जीएसटी में भी कुछ बदलाव होना चाहिए. आम सहमति यह है कि इस बजट में ऐसी योजनाएं शामिल होनी चाहिए जो निर्यात को प्रोत्साहित करें और मांग बढ़ाएं.
 
* टैक्सेशन ऋण उपलब्धता और विकास पर ध्यान जरुरी
 
 
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उद्योग और व्यापारी वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और व्यापार को आसान बनाने के लिए प्रमुख सुधारों और नीतिगत उपायों की उम्मीद है. प्रमुख अपेक्षाएं इस प्रकार हैं कि कराधान और अनुपालन सरलीकरण, कॉर्पोरेट कर दरों में और कमी आनी चाहिए, विशेष रूप से एमएसएमई के लिए. जीएसटी स्लैब का सरलीकरण और निर्यातकों के लिए तेजी से रिफंड मिले. खपत को बढ़ावा देने के लिए आयकर स्लैब में वृद्धि या उच्च कटौती हो. साथ ही छोटे व्यवसायों और व्यापारियों के लिए विनियामक बोझ में कमी आनी जरुरी है. उद्योग कम उधार लागत और लचीले ऋण पुनर्गठन चाहता है. स्टार्टअप के लिए वित्तपोषण मानदंडों में छूट और एंजेल निवेशकों के लिए प्रोत्साहन मिले. रसद लागत को कम करने के लिए सड़कों, बंदरगाहों और रेलवे में निवेश हो. प्रोत्साहन के साथ औद्योगिक पार्कों और एसईजेड का विस्तार जरुरी है. बंदरगाहों पर तेज निकासी और कच्चे माल पर आयात शुल्क में कमी होनी चाहिए. उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत और अधिक क्षेत्र आएं. कपड़ा, कागज और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों के लिए निर्यात प्रोत्साहन में वृद्धि होनी चाहिए. वैेिशक व्यापार को बढ़ाने के लिए एफटीए का तेज कार्यान्वयन जरुरी है. एआई और ऑटोमेशन को अपनाने वाले व्यवसायों के लिए कर लाभ मिले. डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और ऑनलाइन कराधान के बोझ को कम करने के लिए नीतियां बनानी होंगी. डिजिटल व्यवसायों का समर्थन करने के लिए स्पष्ट नियम हो. उद्योगों में सौर और पवन ऊर्जा अपनाने के लिए सब्सिडी चाहिए. बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री पर कम जीएसटी लगे. एक संरचित कार्बन क्रेडिट तंत्र की शुरूआत हो. किफायती आवास को बढ़ावा मिले, खासकर किफायती आवास परियोजनाओं के लिए कर प्रोत्साहन जरुरी है. रेरा का सरलीकरण होने से तेजी से मंजूरी और अनुपालन बोझ में कमी आएगी. सीमेंट, स्टील और अन्य कच्चे माल पर जीएसटी में कमी हो. उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के उपाय करने चाहिए. एसएमई के लिए सरल ई-चालान हो. छोटे रिटेल विक्रेताओं के लिए अनुपालन बोझ में कमी हो. छोटे और पारंपरिक व्यवसायों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए. कुल मिलाकर उद्योग और व्यापारियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2025 आर्थिक विकास, व्यापार करने में आसानी और वैेिशक प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करेगा. साथ ही एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करेगा. कराधान, ऋण उपलब्धता और बुनियादी ढांचे के विकास में एक संतुलित दृष्टिकोण निरंतर विकास के लिए महत्वपूर्ण होगा.
- विजय भंडारी, अध्यक्ष, जीतो एपेक्स
 
आयकर को ट्रांजेक्शन टैक्स से बदलना चाहिए
 

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केंद्रीय बजट आर्थिक नीति-निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, और कराधान सुधार इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. एक अभिनव प्रस्ताव या अपेक्षा ऐसी है कि आयकर को ट्रांजेक्शन टैक्स से बदलना चाहिए. यह डिजिटल भुगतान और बैंक हस्तांतरण जैसी वित्तीय गतिविधियों पर लगाया जा सकता है. ट्रांजेक्शन टैक्स अनौपचारिक क्षेत्र में सभी वित्तीय ट्रांजेक्शन को शामिल करके कर आधार को व्यापक बनाएगा. यह कर संरचना को सरल बना सकता है. अनुपालन बोझ को कम करते हुए कर चोरी को कम करेगा, क्योंकि ट्रांजेक्शन की निगरानी करनी आसान होगी. इससे यह लाभ होगा कि हर कोई वित्तीय गतिविधियों के माध्यम से आनुपातिक रूप से योगदान देगा. बैंकिंग प्रणालियों के माध्यम से स्वचालित संग्रह प्रशासनिक जटिलता को कम करता है. बढ़ी हुई डिस्पोजेबल आय खर्च और निवेश को प्रोत्साहित करती है. डिजिटल ट्रेल्स चोरी को कठिन बनाएंगे जिससे कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है. इसमें फ्लैट दरें कम आय वाले समूहों को असंगत रूप से प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन आवश्यक ट्रांजेक्शन को छूट देते हुए समाधान निकाला जा सकता है. उच्च-मूल्य वाले ट्रांजेक्शन पर प्रभाव न पड़े इसके लिए छूट की लिए सीमाएं निर्धारित करें. जीएसटी के साथ ओवरलैप न हो इसलिए ट्रांजेक्शन टैक्स को पूरक बनाने के लिए जीएसटी को तर्कसंगत बनाएं. ब्राजील का सीपीएमएफ (वित्तीय ट्रांजेक्शन पर टैक्स) ऐसे सुधारों को लागू करने और निगरानी करने पर मूल्यवान सबक प्रदान करता है. यह सुधार कर अनुपालन बढ़ा सकता है, प्रशासनिक लागत कम कर सकता है और अधिक न्यायसंगत और उपभोग-संचालित अर्थव्यवस्था बना सकता है. इसका विचारशील डिजाइन और चरणबद्ध कार्यान्वयन के साथ, ट्रांजेक्शन टैक्स भारत की राजकोषीय नीतियों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम हो सकता है. - इंदर जैन, अध्यक्ष-प्रबंध निदेशक, एपीपीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड
 
 
 
घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए प्रोत्साहन मिले
 
 
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पुणे रियल एस्टेट विकास के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है. आगामी बजट 2025 घर खरीदारों और डेवलपर्स दोनों की उभरती जरूरतों को संबोधित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा. बढ़ती इनपुट कीमतों के कारण किफायती आवास मूल्य सीमा में संशोधन की आवश्यकता है, जो बाजार की वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से दर्शाएगा और समावेशी विकास को बढ़ावा देगा. हम पुणे जैसे मेट्रो शहरों में किफायती आवास पर मौजूदा 45 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 70 लाख रुपये करने की उम्मीद करते हैं. इस बदलाव से घर खरीदारों को 5% के बजाय 1% की कम जीएसटी दर का लाभ मिलेगा, जिससे किफायती आवास की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. इसके अतिरिक्त, हम सरकार से पुणे में बुनियादी ढांचे के निवेश को प्राथमिकता देने का आग्रह करते हैं ताकि कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके, जो शहर के आवासीय और वाणिज्यिक विकास का एक प्रमुख चालक है. घर खरीदारों के लिए ब्याज कटौती सीमा में वृद्धि और डेवलपर्स के लिए कर प्रोत्साहन जैसी पहल रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास को और गति दे सकती हैं. पुणे, अपने मजबूत आईटी, शिक्षा और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के साथ, परिवर्तन के लिए तैयार है, बशर्ते नीति समर्थन इसकी क्षमता के साथ तालमेल बनाए रखे. -
 
 
रंजीत नाइकनवरे, अध्यक्ष, क्रेडाई पुणे मेट्रो
 
 
किफायती आवास की परिभाषा बदलना समय की मांग
 
 
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फिलहाल लगभग 1 करोड़ किफायती घरों की कमी है और 2030 तक यह संख्या बढ़कर 3 करोड़ हो जाने की संभावना है. इस पृष्ठभूमि में यूनिट की कीमतों को कारपेट एरिया मानदंड से अलग करके किफायती आवास की परिभाषा बदलें और मेट्रो शहरों के लिए कारपेट एरिया मानदंड को बढ़ाकर 70 वर्ग मीटर और अन्य शहरों के लिए 90 वर्ग मीटर करें. 80-ख इ , योजना की घोषणा करें (जैसा कि किफायती घरों के लिए पहले किया गया था या आयकर दरों को घटाकर 15% करें. इससे पूरे भारत में किफायती घरों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जो समय की मांग है. आवास ऋण ब्याज के लिए कर कटौती की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करें. आवास ऋण मूलधन के पुनर्भुगतान के लिए, पहले स्वयं-कब्जे वाले घरों की लागत के लिए 5 लाख रुपये तक की कटौती की अनुमति दें. सभी श्रेणी के घरों जैसे कि किफायती घरों के लिए जीएसटी दरों को 5% से घटाकर 1% किया जाए या फिर पहले की तरह इनपुट क्रेडिट टैक्स की अनुमति दी जाए. किराये के आवास के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करें.
 
- शांतिलाल कटारिया, गवर्निंग कमिटी सदस्य, क्रेडाई नेशनल (पूर्व वीपी)
 
बिजनेस को आसान बनाने कुछ नीतियां जरुरी
 
चालू वर्ष में पेश होने वाले बजट के सिलसिले में हमारी कुछ अपेक्षाएं हैं, जिस पर माननीय अर्थमंत्री जी को ध्यान देना चाहिए. जीएसटी और अन्य कारणों से सरकार को जो आय हो रही है, उसे देखते हुए आयकर की श्रेणी को कम करना चाहिए. उच्च आय वालों के लिए जो टैक्स बढ़ाया गया है, उसे कम करना चाहिए, ताकि लोग अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए प्रेरित हों. इसके अलावा, सरकार को बिजनेस को आसान बनाने के लिए कुछ नीतियां बनानी चाहिए ताकि हमारे कामों में कोई रुकावट न आए. आयात पर टैक्स बढ़ाने के बजाय, निकटतम स्थानों पर टैक्स कम करने से हमारे देश में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. कृषि पर्यटन और महिलाओं द्वारा किए जाए उद्योगों को भी सराहना मिलनी चाहिए. जो लोग रेगुलर रूप से टैक्स भर रहे हैं, रेगुलर रूप से जो भारत की सेवा करने में अपना योगदान दे रहे हैं, उनको प्रोत्साहित करने के लिए उनको कुछ मान पत्र मिलने चाहिए, उनका सम्मान पूर्वक कुछ उनको मिलना चाहिए.
 
- मनोज छाजेड़, एमडी, सिद्धि ग्रुप और वीपी जीतो पुणे चैप्टर
 
 
सोने और आभूषण निर्यात को बढ़ावा देने की नीतियां हों
 
 
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भारत में आभूषण उद्योग आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जो मजबूत विकास, पारदर्शिता और संगठित व्यापार की ओर बढ़ रहा है. यदि आगामी बजट 2025 आम आदमी के लिए विचारशील नीतियों और कर सुधारों पर केंद्रित है, तो इससे इस उद्योग के लिए मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, आयात शुल्क को कम करके स्वर्ण मुद्रीकरण योजनाओं को मजबूत करने की पहल से उद्योग की दक्षता और मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अतिरिक्त, हाल के दिनों में आभूषण उद्योग ने पूंजी बाजार में प्रवेश किया है और आईपीओ की सफलता के माध्यम से अपनी मान्यता और वेिशसनीयता बढ़ाई है. इससे इस क्षेत्र के लोगों को संगठित व्यावसायिक पद्धतियां अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है. आभूषण उद्योग, जो भारत के कुल निर्यात में 5% का योगदान देता है, में सोने के निर्यात को सुविधाजनक बनाने और आभूषण निर्यात को बढ़ावा देने के लिए टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने वाली नीतियों से निर्यात क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. लक्षित सुधारों के साथ, बजट 2025 में सरकार भारत के आभूषण उद्योग को एक नए स्तर पर ले जाने, आधुनिकता के साथ परंपरा को संरक्षित करने और आने वाले वर्षों में वैेिशक महाशक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकती है.
 
- डॉ. सौरभ गाडगिल, सीएमडी, पीएनजी ज्वेलर्स 
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