पुणे पुस्तक महोत्सव दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल

चंद्रकांत पाटिल ने व्यक्त की अपनी राय : 40 करोड़ रुपये की पुस्तकों की बिक्री हुई्‌‍

    08-Jan-2025
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पुणे, 7 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

पुणे पुस्तक महोत्सव को 10 लाख से अधिक लोगों ने देखा और 40 करोड़ रुपये की पुस्तकों की बिक्री हुई्‌‍. यह महोत्सव अब दुनिया के लिए एक मॉडल बन गया है, ऐसा मत उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने व्यक्त किया. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा 14 से 22 दिसंबर के दौरान फर्ग्यूसन कॉलेज मैदान पर पुणे पुस्तक महोत्सव का आयोजन किया गया था. इस महोत्सव के आयोजन में योगदान देने वाले विभिन्न व्यक्तियों को सम्मानित करने का कार्यक्रम सोमवार को भांडारकर प्राच्यविद्या संस्थान के प्रांगण में आयोजित किया गया. इस अवसर पर पाटिल ने अपने विचार रखे. एनबीटी के अध्यक्ष मिलिंद मराठे, मुख्य संयोजक राजेश पांडे, सावित्रीबाई फुले पुणे वेिशविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेश गोसावी, प्र-कुलपति डॉ. पराग कालकर, आनंद काटीकर और लेखक-निर्देशक प्रवीण तरडे इस कार्यक्रम में उपस्थित थे. कार्यक्रम में यह भी घोषणा की गई कि अगला महोत्सव 13 से 21 दिसंबर के बीच आयोजित किया जाएगा. पाटिल ने कहा कि महोत्सव के नौ दिनों में 500 स्वयंसेवकों ने कड़ी मेहनत की. यह महोत्सव बिना किसी दुर्घटना के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इस महोत्सव ने युवा स्वयंसेवकों को विभिन्न प्रकार के अनुभव प्रदान किए, जिससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला. ये अनुभव उनके भविष्य के जीवन में बहुत उपयोगी होंगे. प्रवीण तरडे ने कहा कि पुणे शहर को उत्सवों और महोत्सवों की परंपरा विरासत में मिली है. गणेशोत्सव, नवरात्रि उत्सव और अब पुणे पुस्तक महोत्सव महाराष्ट्र की नई पहचान बन गया है. यह महोत्सव स्वयंसेवकों की मेहनत के कारण सफल रहा. प्रकाशकों के चेहरों पर खुशी देखने लायक थी. पुस्तक व्यवसाय से जुड़े लोग समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. मुख्य संयोजक राजेश पांडे ने कहा कि महोत्सव को जनता से भारी प्रतिसाद मिला, साथ ही सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली. 1 करोड़ से अधिक लोगों ने महोत्सव की वीडियो क्लिप्स देखीं, और 77 लाख लोगों ने महोत्सव के बारे में खोज की. इस महोत्सव के आयोजन में 30 विभाग प्रमुख शामिल थे. स्वयंसेवकों का योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण था.
 
महिलाओं को बायोग्राफी पढ़ने में ज्यादा रुचि : डॉ. गोसावी

सावित्रीबाई फुले पुणे वेिशविद्यालय ने महोत्सव के दौरान पाठन (पढ़ने) की आदतों पर एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण के प्राथमिक निष्कर्ष डॉ. गोसावी ने प्रस्तुत किए. सर्वेक्षण में 24 से 50 वर्ष के आयु वर्ग में 55% पुरुष और 45% महिलाएं शामिल थीं. महिलाओं को आत्मकथाएं और आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना पसंद है. स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को जानकारीपरक, आत्मकथात्मक और ऐतिहासिक विषयों पर पुस्तकें पसंद आती हैं. प्राथमिक शिक्षा प्राप्त लोगों का रुझान आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों की ओर है, जबकि नौकरीपेशा लोगों को आत्मकथाएं, इतिहास और स्व-सहायता (सेल्फ-हेल्प) किताबें पसंद हैं. विद्यार्थियों का झुकाव ऐतिहासिक और तकनीकी विषयों की पुस्तकों की ओर दिखाई देता है. इस सर्वेक्षण के विस्तृत परिणाम जल्द ही प्रकाशित किए जाएंगे.