शिवाजीनगर, 31 जनवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
भारत सरकार का बजट आज शनिवार (1 फरवरी) को पेश होनेवाला है. इस बार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सुधारों की उम्मीदें बहुत अयादा हैं. खासकर, राजकोषीय स्थिरता, कर सुधार और निवेश वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इस बजट में हर टैक्स पेयर चाहता है कि सरलीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. टीडीएस दर संरचना को सरल बनाया जाना चाहिए, पूंजीगत लाभ कराधान को कम किया जाना चाहिए और वर्तमान कानून की तुलना में इसे अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए. लोग चाहते हैं कि सभी टैक्स रेट, खर्चे और कटौतियों को महंगाई दरों के अनुसार समायोजित किया जाना चाहिए क्योंकि यह मांग लंबे समय से लंबित है. फिलहाल अयादा ध्यान जुर्माना और दंड वसूलने पर है, जिसे कम किया जाना चाहिए और टैक्स रिटर्न को सरल बनाया जाना चाहिए. इस वर्ष देश की जनता आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने, अनुपालन बढ़ाने और करदाताओं को राहत प्रदान करने के लिए कराधान में सुधारों की प्रबल उम्मीद लगाए हुए हैं. संक्षेप में, करदाता एक ऐसी कर प्रणाली की आशा करते हैं जो प्रगतिशील, कुशल और आर्थिक विकास के लिए अनुकूल हो.
पीएलआई के दायरे को बढ़ाने पर ध्यान देने की उम्मीद
आगामी बजट में, हम बुनियादी ढांचे पर खर्च और पीएलआई के दायरे को बढ़ाने पर निरंतर ध्यान दिये जाने की उम्मीद करते हैं. ऑटोमोटिव क्षेत्र के संबंध में, भारत अब वैेिशक स्तर पर सबसे कम समय-सीमा में ई20 (20% इथेनॉल मिश्रण) के लक्ष्य को प्राप्त करने की कगार पर है. यह हमारे किसानों से प्राप्त स्वदेशी जैव ईंधन (इथेनॉल) के साथ महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन आयात को प्रतिस्थापित करेगा, परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन कम होगा. इसके अलावा विद्युतीकृत प्रौद्योगिकियों की बिक्री भी तेजी से बढ़ रही है. आगे बढ़ते हुए हम सरकार से उचित योग्यता-आधारित नीतियों के लिए अनुरोध करते हैं जो हरित प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक ईंधन की पूरी श्रृंखला को लोकप्रिय बनाने में सहायता और समर्थन करती हैं, जिससे कई स्थायी गतिशीलता समाधानों को तेजी से और अधिक अपनाने में मदद मिलती है. इसके अलावा, बजट के माध्यम से पुराने वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहित करने के उपायों से नई पीढ़ी के वाहनों की मांग बढ़ेगी और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को खत्म किया जा सकेगा. हम सरकार से युवाओं को कौशलयुक्त करने के उपायों को प्राथमिकता देने, एमएसएमई का समर्थन करने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में निवेश करने के उद्देश्य से उपायों को प्राथमिकता देने का भी आग्रह करते हैं.
- विक्रम गुलाटी, कंट्री हेड, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर
स्टील और सीमेंट पर जीएसटी दरों को कम करना आवश्यक
भारत में रियल एस्टेट सेक्टर का जीडीपी उत्पादन में बड़ा योगदान है, जहां बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होता है और यह वित्तीय क्षेत्रों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का आधार है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम सरकार से इस बजट में उम्मीद करते हैं कि सरकार को किफायती आवास की कीमत सीमा बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है. रियल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा प्रदान करना जरूरी है, जिससे फंडिंग और निवेश को आकर्षित किया जा सकता है. हाऊसिंग लोन पर ब्याज के लिए कर कटौती सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना जरूरी लगता है. रियल इस्टेट डेवलपर्स के लिए इनपुट लागत कम करने और आवास को और अधिक किफायती बनाने के लिए आयरन, स्टील और सीमेंट जैसी प्रमुख निर्माण सामग्री पर जीएसटी दरों को कम करना आवश्यक है. प्रोजेक्ट की मंजूरी में देरी को कम करने, लालफीताशाही को कम करने और समग्र प्रोजेक्ट लागत को कम करने के लिए सिंगल-विंडो क्लीयरेंस मैकेनिज्म महत्वपूर्ण है. इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन में वृद्धि से कनेक्टिविटी बढ़ सकती है. इससे रियल इस्टेट क्षेत्र में मांग भी बढ़ेगी. टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल इमारतों के लिए प्रोत्साहन देने की हम मांग करते हैं. भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में तेजी लानी जरूरी है जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी, विवाद कम होंगे और निवेशकों और घर खरीदने वालों के बीच वेिशास बढ़ेगा.
- संतोष जैन, डायरेक्टर, संतोष स्टील्स / संतोष ग्रुप
आयकर में अधिक लचीलापन होना चाहिए
आयकर में अधिक लचीलापन होना चाहिए. टैक्स स्लैब बढ़ाना और टैक्स दरें कम करना आवश्यक है. सीमेंट पर जीएसटी कम किया जाना चाहिए. किफायती आवास की परिभाषा बदली जानी चाहिए. किफायती आवास के लिए वर्तमान सीमा, जो 45 लाख रुपये है, को बढ़ाया जाना चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए. - नीरज मित्तल, निदेशक, मित्तल ग्रुप बुनियादी ढांचे के समर्थन की आवश्यकता रियल एस्टेट सेक्टर को भी विकास को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे के समर्थन की आवश्यकता है. शहरी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि से कनेक्टिविटी में सुधार होगा और शहरों और कस्बों में रियल एस्टेट विकास को बढ़ावा मिलेगा. क्रेडाई ने समग्र कार्य अनुबंधों पर जीएसटी दरों को 18% से घटाकर 12% करने, आवास इकाइयों के लिए जीएसटी दरों को एकीकृत 1% दर में विलय करने और शहरी आवास की जरूरतों को पूरा करने और मलिन बस्तियों के प्रसार को रोकने के लिए किराये के आवास के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान करने की वकालत की है. इन सभी मुद्दों के परामर्श के साथ हमें इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. - कपिल गांधी, एमडी, सिग्मा वन यूनिवर्सल डिजिटलीकरण को बढ़ावा और स्टार्ट अप को समर्थन मिले बजट में हम उम्मीद करते हैं कि टैक्स संरचना को सरल बनाएं. व्यवसाय करने में आसानी हो इसलिए नियामक ढांचे को सरल बनाएं और ब्यूरोक्रेटिक बाधाओं को कम करें. एमएसएमई समर्थन में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरराइजेज के लिए प्रोत्साहन सब्सिडी और फंडिंग समर्थन प्रदान करें. निर्यात प्रोत्साहन में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नीतियां पेश करें, जैसे कि टैक्स प्रोत्साहन और सब्सिडी जरुरी है. डिजिटलीकरण को बढ़ावा दें और स्टार्ट अप और इनोवेशन हब के लिए समर्थन प्रदान करें.
- दिनेश ओसवाल, चीफ सेक्रेटरी, जीतो पुणे चैप्टर
मेडिकल टूरिजम भारत के लिए एक बड़ा अवसर
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मेडिकल टूरिजम भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि इससे स्वास्थ्य सेवा, दवा निर्माण और पर्यटन के साथ-साथ घरेलू स्तर पर निर्मित चिकित्सा उपकरणों को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकार को बजट में इस क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए. भारत के कई अस्पतालों को अब ज्वाइंट कमीशन इंटरनेशनल जैसे संगठनों से प्रमाणन प्राप्त हो चुका है. इसलिए, भारतीय स्वास्थ्य सेवा के प्रति विदेशी मरीजों का रवैया सकारात्मक है. कई चीजें की जा सकती हैं, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से उपचार चाहने वाले विदेशी रोगियों के लिए भुगतान गेटवे को सुव्यवस्थित करना तथा विदेशी रोगियों के लिए वीजा प्रसंस्करण शुल्क को कम करना. सरकार प्रक्रिया और वित्तीय विनियमन के लिए स्वास्थ्य सेवा और बीमा प्रदाताओं को एक साथ लाकर इन सभी प्रक्रियाओं में अधिक सुसंगतता ला सकती है. भारत में अस्पतालों ने पहले ही रोबोटिक्स और एआई जैसी नई तकनीकों का उपयोग शुरू कर दिया है. आयातित डायग्नोस्टिक और अन्य चिकित्सा उपकरणों पर शुल्क कम करने से इसमें मदद मिल सकती है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे के लिए अधिक प्रावधान उपलब्ध कराना लाभदायक होगा.
- डॉ. दिविज माने, निदेशक, नोबल हॉस्पिटल्स एंड रिसर्च सेंटर
स्टैंडर्ड डिडक्शन 1 लाख रुपये तक बढ़ाना जरूरी
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केंद्रीय बजट में कुछ प्रमुख अपेक्षाओं में वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए मानक कटौती में वृद्धि महत्वपूर्ण है. बढ़ती महंगाई के मद्देनजर 50,000 रुपये की मानक कटौती अपर्याप्त लगती है. इसे बढ़ाकर 75,000 या 1 लाख रुपये करने से वेतनभोगी व्यक्तियों को अपनी डिस्पोजेबल आय को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और खपत को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. सेवानिवृत्ति बचत पर अधिक ध्यान देना जरुरी लगता है. सरकार को एनपीएस योगदान के लिए उच्च कर लाभ शुरू करने पर विचार करना चाहिए, खासकर टियर-2 खातों के लिए ध्यान दें. सेवानिवृत्त लोगों के लिए एक विशेष कर-बचत श्रेणी बनाना जो निश्चित आय निवेश पर बहुत अधिक निर्भर हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजनाओं में वृद्धि की उम्मीद है. चूंकि भौतिक सोना सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बना हुआ है, इसलिए उच्च ब्याज दरों या लंबी अवधि के होल्डिंग्स के लिए अतिरिक्त कर लाभों के साथ एसजीबी को बढ़ावा देना भौतिक सोने की तुलना में वित्तीय सोने के स्वामित्व को प्रोत्साहित कर सकता है. भारत के स्थायित्व लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने के लिए, हरित अवसंरचना परियोजनाओं के लिए कर-मुक्त बांड शुरू करें, या पर्यावरण अनुकूल फंडों में निवेश करने पर कर कटौती की पेशकश करें.
- आनंद शाम चांडक, चार्टर्ड एकाउंटेंट, पुणे
महंगाई को बढ़ावा देने वाला बजट पेश न करें
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देश में आम आदमी की आय का 40 प्रतिशत हिस्सा भोजन पर खर्च हो रहा है. परिणामस्वरूप, बचत के लिए कुछ भी नहीं बचता. इसलिए मुख्य अपेक्षा यही है कि वित्त मंत्री मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने वाला बजट पेश न करें. भारत में एक बड़ा मध्यम वर्ग है और इनमें से अधिकांश लोग आयकर दाता हैं. करदाताओं और कर पेशेवरों द्वारा समय पर अनुपालन के कारण पिछले दस वर्षों में दाखिल आयकर रिटर्न (आईटीआर) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 8 करोड़ तक पहुंच गई है. उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस समूह को आयकर में राहत प्रदान करेंगे. क्योंकि महंगाई की मार झेल रहे मध्यम वर्ग को अगर आयकर में राहत मिलती है तो इससे बाजार में मांग बढ़ेगी, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा. बैंक जमा पर अर्जित ब्याज पर आयकर की दर सामान्य से कम होनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय घरेलू बचत का 56.4 प्रतिशत बैंकों में जमा किया गया था. 2023-24 में यह हिस्सा घटकर 45.2 प्रतिशत रह गया है. इसका मुख्य कारण शेयर बाजार और म्युच्युअल फंड आदि की तुलना में कम रिटर्न मिलना तथा इस पर लगने वाला टैक्स है. यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक अच्छा कदम हो सकता है क्योंकि सीआईआई का प्रस्ताव उनके लिए एक कदम आगे है.
- सूर्यकांत पाठक, कार्यकारी निदेशक, ग्राहक पेठ
कराधान में सुधारों की काफी उम्मीद
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इस बार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सुधारों की उम्मीदें बहुत अयादा हैं. खासकर राजकोषीय स्थिरता, कर सुधार और निवेश वृद्धि पर नजरें हैं. हर करदाता चाहता है कि सरलीकरण पर ध्यान दिया जाना चाहिए. बजट में टीडीएस दर संरचना को सरल बनाया जाना चाहिए. पूंजीगत लाभ कराधान को कम किया जाना चाहिए और वर्तमान कानून की तुलना में इसे अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए. ऐसे कुछ और मुद्दों पर ध्यान देना जरूरी है, 1) आयकर राहत - ऐसी उम्मीद है कि सरकार राहत प्रदान करने के लिए कर स्लैब या छूट पेश करेगी, खासकर मध्यम वर्ग को, जो अक्सर बोझ महसूस करता है. व्यक्तियों के लिए एक नया कर ढांचा या उच्च कटौती सीमा डिस्पोजेबल आय में सुधार और उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है. 2) कॉर्पोरेट कर सुधार - व्यवसाय, विशेष रूप से एमएसएमई, छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप पर बोझ कम करने के लिए लोग सरलीकृत अनुपालन प्रक्रियाओं की अपेक्षा करते हैं. 3) जीएसटी को सरल बनाना - व्यवसाय माल और सेवा कर (जीएसटी) संरचना के और अधिक सरलीकरण की उम्मीद करते हैं, जिसमें अनुपालन जटिलता और दर युक्तिकरण जैसे मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. अधिक कुशल कर तंत्र उद्योगों पर बोझ को कम करेगा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ाएगा 4) पूंजीगत लाभ और निवेश पर कर - कई लोग निवेश को प्रोत्साहित करने के उपायों की अपेक्षा करते हैं, जैसे कि दीर्घकालिक निवेश के लिए कम पूंजीगत लाभ कर दरें या अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए परिवर्तन हो.
- मंगेश कटारिया, चार्टर्ड एकाउंटेंट, पुणे