शिवाजीनगर, 11 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे की विरासत में एक और वृद्धि हुई है, और वह है दादा भगवान प्रणित निष्पक्षपाती त्रिमंदिर. यह मंदिर पुणे-बेंगलुरु राजमार्ग पर खेड़ शिवपुर के पास वरवे बुद्रुक में बना है. इस अद्भुत त्रिमंदिर का भव्य उद्घाटन समारोह बुधवार से रविवार (12 से 16 फरवरी, 2025) तक आयोजित किया जा रहा है. इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी भगवान समेत भगवान कृष्ण और भगवान शिव, इस प्रकार हिन्दू धर्म के तीन मुख्य संप्रदायों (जैन, वैष्णव और शिव) के देवताओं की स्थापना की गई है. इस प्रकार अब एक ही छत के नीचे इन तीन प्रमुख संप्रदायों के देवताओं के दर्शन संभव हो गए हैं.
इस त्रिमंदिर में स्थापित सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा पूज्य दीपकभाई द्वारा की जाएगी. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 14 फरवरी को प्रातः 10 बजे से दोपहर 12.45 बजे तक भगवान शिव एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी तथा 15 फरवरी को प्रातः 10 बजे से दोपहर 12.45 बजे तक भगवान कृष्ण एवं अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी. रविवार (16 फरवरी) को वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी भगवंत एवं अन्य देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा एवं शुद्धि-पूजन-आरती सुबह 10 बजे से दोपहर 12.45 बजे तक की जाएगी. रविवार शाम 5 से 7.30 बजे तक त्रिमंदिर परिसर में विशेष भक्ति सेवा का भी आयोजन किया गया है.
इस प्राणप्रतिष्ठापना समारोह के अंतर्गत शनिवार (15 फरवरी) को सायं 4 से 7.30 बजे तक आत्म- साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए ‘ज्ञानविधि' नामक अद्भुत प्रयोग का आयोजन किया गया है. यहां किसी भी धर्म को त्यागे बिना, ज्ञान की विधि को अपनाकर, बिना कोई गुरु बदले, आत्मा का अनुभव निःशुल्क कर सकते हैं. जीवन में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए भी व्यक्ति मुक्ति का अनुभव करता है. इस विशाल त्रिमंदिर परिसर में 1,000 से 1,200 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक सत्संग हॉल, सात्विक भोजन परोसने वाला एक रेस्तरां, फूड कोर्ट समेत आधुनिक आवास वाले गेस्ट हाउस भी बनाए जा रहे हैं.
प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव में विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़े बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की संभावना है. देश-विदेश में बसे दादा भगवान परिवार के अनुयायी बड़ी संख्या में इस अलौकिक समारोह में भाग लेने के लिए पुणे आए हैं. ऐसा माना जाता है कि एक सुंदर पहाड़ी पर स्थित पुणे त्रिमंदिर, महाराष्ट्र और अन्य स्थानों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शांति और समझ का एक पवित्र स्थान बन जाएगा, तथा आसपास के गांवों के लिए धर्म और अध्यात्म का एक प्रमुख केंद्र भी बन जाएगा.
मुख्य देवताओं के अलावा अन्य प्रतिमाएं
बताया गया कि इन तीन मुख्य देवताओं के अलावा कुलस्वामिनी श्री तुलजा भवानी माता, आदि शक्ति श्री अम्बा माता, श्री पद्मावती माता, श्री चक्रेेशरी माता, श्री भद्रकाली माता, श्रीनाथजी, श्री तिरुपति बालाजी, श्री साईं बाबा, श्री हनुमान जी और यहां श्री गणपति जी के भी दर्शन होंगे. सिद्ध भगवानों में श्री आदिनाथ, श्री अजितनाथ, श्री पोर्शनाथ, श्री महावीर तथा चौबीस में से प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभ प्रभु की प्रतिमाएं भी इस मंदिर में स्थापित की गई हैं. निष्पक्षपाति त्रिमंदिर का विशेष आकर्षण यहां स्थापित संगमरमर से निर्मित श्री सीमंधर स्वामी की 13 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा है. आत्म-धर्म के प्रतीक अरिहंत भगवान की मूर्ति के दर्शन करके प्रत्येक आगंतुक को अलौकिक शांति और स्थिरता का अनुभव होगा.
दीपकभाई के साथ प्रश्नोत्तर सत्र
इस पांच दिवसीय महोत्सव के तहत 12 फरवरी को शाम 5:00 बजे से 7:30 बजे तक, 13 फरवरी को प्रातः 10 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक तथा सायं 5 बजे से 7:30 बजे तक, इसके अलावा, 14 फरवरी को शाम 5 से 7:30 बजे तक पूज्य दीपकभाई के साथ प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया है. इस सत्संग में कोई भी व्यक्ति अपने आध्यात्मिक या व्यावहारिक प्रश्न पूछ सकता है और पूज्य दीपकभाई से संतोषजनक उत्तर प्राप्त कर सकता है.