मुमुक्षु शिवमजी-संदीपजी बाफना के दीक्षा कार्यक्रम में कुंकुम तिलक की रस्म संपन्न

13 Feb 2025 14:19:11
 
 
mu
 
वड़गांव मावल, 12 फरवरी (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
12 फरवरी को वड़गांव मावल में मुमुक्षु शिवम जी बाफना और संदीप जी बाफना के दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत कुमकुम तिलक की रस्म के साथ हुई. इस भव्य आयोजन में श्रमणसंघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषि जी म.सा., उपप्रवर्तक अक्षय ऋषि जी, बरसादाता गौतम मुनि जी महाराज, उपप्रवर्तिनी प्रियदर्शना जी म., महाराष्ट्र प्रवर्तिनी प्रतिभा जी, राजस्थान प्रवर्तिनी सुप्रभा जी, उपप्रवर्तिनी सत्यसाधना जी,उपप्रवर्तिनी सुमनप्रभा जी म.सा, साध्वी स्वर्णश्री जी म सा,तेलातप आराधिका चंदनबाला जी, महासती ज्ञानप्रभा जी सरल उप प्रवर्तिनी दिव्यज्योति जी म.अनुष्ठान, आराधिका साध्वी कुमुदलता जी म., महासती चारूप्रज्ञा जी म. महासाध्वी संयक दर्शना जी. साध्वी अनन्त ज्योति,आयंबिल आराधिका सफलदर्शना जी म. साध्वी सुयशा जी म., सौरभ सुधा जी आदि के सहित 100 से अधिक साधु साध्वियों के सानिध्य और जैन समाज के सैकड़ों श्रावक -श्राविकाओं की उपस्थिति में मुमुक्षु शिवम जी बाफना के माता-पिता बाफना और श्रीसंघ वड़गांव मावल द्वारा कुंकुम तिलक किया गया.
 
 mu
 
इस दौरान युवाचार्य श्री महेंद्र ऋषि जी महाराज ने कुंकुम तिलक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है. कुंकुम तिलक न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, बल्कि यह शुभता, सकारात्मकता और संस्कारों की निरंतरता को भी दर्शाता है. कुंकुम तिलक व्यक्ति के मस्तक पर लगाया जाता है,यह तिलक हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करता है और ईेशर से जुड़ने में सहायता करता है. कुंकुम तिलक के माध्यम से व्यक्ति को यह संदेश दिया जाता है कि वह अपनी ऊर्जा और विचारों को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखे. कुंकुम तिलक केवल एक धार्मिक चिह्न नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. धर्म संस्कृति और विजय का प्रतीक है. गुरूवार 13 फरवरी को गुरूभगवंतेों के सानिध्य में केसर छाटना की रस्म होगी और कल शुक्रवार, 14 फरवरी को मुमुक्षु शिवमजी संदीप जी बाफना के भव्य समारोह में युवाचार्यश्री दीक्षा प्रदान करेंगे.
Powered By Sangraha 9.0